म्यूलिंग वैली : इस सुन्दर-दुर्गम राह पर बनते गये रिश्ते
म्यूलिंग वैली की सुन्दरता आपको अन्दर तक विभोर कर देगी। टैंट वगैरह लगाने के बाद हम लोगों ने मैगी बनाकर बड़े मजे से खायी। वहां की सुन्दरता को निहारते और…
वैदिक घड़ी : जानिए क्या है वैदिक घड़ी और क्या हैं इसमें लिखे शब्दों के अर्थ
न्यूज हवेली लाइफ स्टाइल डेस्क भारत की सनातन संस्कृति और सभ्यता में अनेक महान ग्रंथों की रचना तथा अद्भुत वैज्ञानिक प्रयोग और सर्जनाएं हुई हैं। ऐसी ही एक अद्भुत और…
गंगटोक : मेहनतकश बादशाहों का शहर
गंगटोक का पुराना नाम है गन्तोक। तिब्बती भाषा के इस शब्द का अर्थ है पहाड़। सिक्किम का यह सबसे बड़ा शहर एक प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में उभरा है।…
अमरनाथ : यहां शिव ने बताया अमरत्व का रहस्य
अमरनाथ यात्रा एक विशिष्ट अवधि के लिए होती है और आमतौर पर हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार स्कन्दस्थी के पावन दिन घोषित तिथि पर शुरू होती है और श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन)…
एस्ट्रो टूरिज्म : धरती से दूर ग्रह-नक्षत्रों की दुनिया
एस्ट्रो टूरिज्म के अनेक आकर्षण हैं। इनमें प्रमुख है मेटयोर शॉवर यानि अतिशबाजी के समान होने वाली उल्का वृष्टि। ऐसी उल्का वृष्टि हर साल कई बार होती है और यदि…
विरूपाक्ष मन्दिर : कुरूप आंखों वाले शिव का धाम
विरूपाक्ष मन्दिर को विक्रमादित्य द्वितीय की पत्नी रानी लोकमाह देवी ने बनवाया था। इसको बनाने के लिए ईंट और चूने का भी इस्तेमाल किया गया है। तुंगभद्रा के दक्षिणी किनारे…
जामुन : इस वृक्ष के हर अंग में है किसी न किसी रोग को दूर करने की शक्ति
विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता है बल्कि पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस और पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को…
श्रीपुरम महालक्ष्मी नारायण मन्दिर : दक्षिण भारत का स्वर्ण मन्दिर
वेल्लोर नगर के दक्षिण में मलाईकोड़ी के पहाड़ों पर श्रीपुरम महालक्ष्मी नारायण स्वर्ण मन्दिर का निर्माण वेल्लोर के चैरिटेबल ट्रस्ट श्री नारायणी पीडम द्वारा कराया गया है। इस ट्रस्ट की…
पिण्डारी : इस ग्लेशियर से निकलती है पिण्डरगंगा
फुरकिया से पिण्डारी जीरो पॉइण्ट तक का सात किलोमीटर रास्ता बुग्यालों (पर्वतीय घास के मैदानों) से होकर जाता है। कहीं-कहीं बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानें भी मिल जाती हैं। अत्यंत सुन्दर…
चौसठ योगिनी मन्दिर : इसकी वास्तुकला से प्रेरित है भारत का पुराना संसद भवन
इस मन्दिर का निर्माण कच्छप राजा देवपाल ने 1323 ईस्वी (विक्रम संवत 1383) में करवाया था। यह रहस्यमयी मन्दिर इकन्तेश्वर (एकट्टसो) महादेव मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां…