वेल्लोर नगर के दक्षिण में मलाईकोड़ी के पहाड़ों पर श्रीपुरम महालक्ष्मी नारायण स्वर्ण मन्दिर का निर्माण वेल्लोर के चैरिटेबल ट्रस्ट श्री नारायणी पीडम द्वारा कराया गया है। इस ट्रस्ट की प्रमुख हैं आध्यात्मिक गुरु श्री शक्ति अम्मा या नारायणी अम्मा।
न्यूज हवेली नेटवर्क
तमिलनाडु के वेल्लोर शहर के दक्षिण में थिरूमलाई कोडी होते हुए रात के समय गुजरें तो आसमान में स्वर्णिम आभा नजर आती है। चांदनी रात में यह आभा और भी सुन्दर और दिव्य लगती है। यह प्रकाश-पुंज है श्रीपुरम महालक्ष्मी नारायण स्वर्ण मन्दिर का जिसे दक्षिण भारत का स्वर्ण मन्दिर भी कहते हैं। भारत के सबसे सुन्दर मन्दिरों में शामिल इस पावन धाम के निर्माण में 15 हजार किलो शुद्ध स्वर्ण का इस्तेमाल किया गया है। 100 एकड़ जमीन पर बने इस मन्दिर के निर्माण में करीब सात साल का समय लगा था।
वेल्लोर नगर के दक्षिण में मलाईकोड़ी के पहाड़ों पर इस मन्दिर का निर्माण वेल्लोर के चैरिटेबल ट्रस्ट श्री नारायणी पीडम द्वारा कराया गया है। इस ट्रस्ट की प्रमुख हैं आध्यात्मिक गुरु श्री शक्ति अम्मा या नारायणी अम्मा। इस मन्दिर का उद्घाटन 24 अगस्त 2007 में हुआ था। करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से बने इस मन्दिर को मलईकोडी, महालक्ष्मी स्वर्ण मन्दिर, लक्ष्मी अम्मा मन्दिर और नारायणी अम्मा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। भारी मात्रा में सोने का उपयोग होने की वजह से इसे स्वर्ण मन्दिर श्रीपुरम भी कहा जाता है। विश्व में किसी भी अन्य मन्दिर के निर्माण में इतने सोने का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

वृत्तकार संरचना की आन्तरिक एवं बाह्य दोनों तरह की सजावट में हर ओर स्वर्ण का इस्तेमाल किया गया है जिसमें नौ से पन्द्रह तक लेयर नजर आती हैं। सोने को मन्दिर में लगाने से पहले सलाई और बहुत ही पतली शीट में बदलने के बाद तांबे की प्लेट के ऊपर सजाया गया है। इस पर अत्यन्त सूक्ष्म कारीगरी की गयी है। नक्काशी ही इसे अद्भुत बनाती है। माता महालक्ष्मी की मूर्ति 120 किलो ठोस सोने की बनी है।
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मन्दिर का एक-एक भाग वैदिक नियमों के अनुसार बनाया गया है। ऊंचाई से देखने पर मन्दिर परिसर एक श्रीचक्र की तरह दिखता है, मतलब यह कि मन्दिर के चारों ओर किसी भी तरफ से दो किलोमीटर लम्बे इस स्टार पाथ पर चलकर गर्भगृह के अंदर पहुंचा जा सकता है। इस पूरे मार्ग में धर्म और शास्त्रों की बातें पढ़ने को मिलती हैं। मन्दिर में मुख्य रूप से माता लक्ष्मी की आराधना की जाती है। श्रद्धालु मन्दिर परिसर के दक्षिण से प्रवेश कर घड़ी की सुई की दिशा में घूमते हुए पूर्व दिशा तक आते हैं और भगवान श्रीलक्ष्मी नारायण के दर्शन करने के पश्चात फिर पूर्व में आकर दक्षिण से ही बाहर आ जाते हैं। परिसर में एक अस्पताल और शोध केन्द्र भी है।

परिसर में एक 27 फुट ऊंची दीपमालिका भी है। इसे जलाने पर मन्दिर अलौकिक आभा से दीप्त होकर वास्तव में माता लक्ष्मी का निवास स्थान लगने लगता है। मन्दिर परिसर में बनाये गये सर्वतीर्थम सरोवर में गंगा, कृष्णा, कावेरी और नर्मदा समेत देश की सभी प्रमुख नदियों का जल डाला गया है।
यह भारत का पहला मन्दिर है जहां राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और हिन्दुओं समेत सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है। यहां शॉर्ट ड्रेसेस पहनकर आना मना है, अर्थात पहनावा शालीन होना चाहिए। मोबाइल फोन, कैमरा, किसी भी तरह का ज्वलनशील सामान और सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, शराब समेत किसी भी तरह के मादक पदार्थ लाने पर भी रोक है।
श्रीपुरम महालक्ष्मी नारायण मन्दिर में दर्शन-पूजन का समय और प्रसाद (Darshan-worship timings and offerings at Sripuram Mahalakshmi Narayan Temple)

यह मंदिर प्रत्येक दिन प्रात: आठ से रात्रि आठ बजे के बीच श्रद्धालुओँ के लिए खुला रहता है। प्रातःकालीन पूजा-आरती सुबह चार बजे शुरू होकर 8 बजे तक चलती है। सायंकालीन आरती छह से सात बजे के बीच होती है। मन्दिर में प्रसाद की भी विशेष व्यवस्था है। प्रसाद की वैरायटी हर दो घंटे में बदलती रहती है। यहां पर प्रसाद के रूप में दाल-चावल, दही-चावल, मीठे चावल, उपमा और हलवा का वितरण निरन्तर होता रहता है। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन दोपहर में तीन घण्टे मन्दिर के अन्नदानम में श्रद्धालुओं के लिए भण्डारा भी चलता है।
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ऐसे पहुंचें श्रीपुरम महालक्ष्मी नारायण मन्दिर (How to reach Sripuram Mahalakshmi Narayan Temple)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा वेल्लोर एयरपोर्ट यहां से करीब 10 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग : वेल्लोर का काटपाडी रेलवे स्टेशन तमिलनाडु का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है। यह मन्दिर से करीब सात किमी दूर है। इसके अलावा यहां वेल्लौर कैण्ट रेलवे स्टेशन भी है।
सड़क मार्ग : यह मन्दिर वेल्लोर बस स्टेशन से करीब 11 किमी पड़ता है। यह तिरुपति से 120 किमी, चेन्नई से 145 किमी, पुदुचेरी से 160 किमी और बंगलुरु से 200 किलोमीटर दूर है।

वेल्लोर के आसपास के दर्शनीय स्थल (Places to visit around Vellore)
वेल्लोर शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र है। यहां गवर्मेन्ट वेल्लोर मेडिकल कॉलेज, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एण्ड इंजीनियरिंग और वूरहीस कॉलेज समेत कई जाने-माने उच्च शिक्षण संस्थान हैं।
रत्नगिरि मंदिर : भगवान बालामुरुगन के समर्पित यह मन्दिर वेल्लोर से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित है। इसको फोर हेयर-पिन बेंड्स मन्दिर भी कहा जाता है।
बालामाथी : वेल्लोर से लगभग 30 मिनट की दूरी पर पहाड़ों पर बसा बालामाथी एक खूबसूरत गांव है जो अपने शान्त वातावरण के लिए जाना जाता है। अगर आप चाहें तो घर वापसी के दौरान इस खूबसूरत गांव की मनमोहक आबोहवा का लुत्फ उठा सकते हैं। यहां का तापमान शहर की तुलना में काफी कम रहता है। शहर के गर्म मौसम के बीच यह गांव एक आदर्श विकल्प है जहां आप कुछ समय प्रकृति के साथ बिता सकते हैं।
वेल्लोर किला : राष्ट्रीय महत्व के इस ऐतिहासिक किले की बाहरी दीवारों का निर्माण ग्रेनाइट के विशाल शिलाखण्डों से हुआ है। इसको चारों ओर से गहरी खाई घेरे हुए है। किले में श्री जलागांडीश्वर मन्दिर, मस्जिद, चर्च, मुतु मण्डपम, वेल्लोर ईसाई अस्पताल और राज्य संग्रहालय भी हैं। यहां टीपू महल भी है। मान्यता है कि टीपू सुल्तान ईस्ट इण्डिया कम्पनी के खिलाफ युद्ध के दौरान अपने परिवार के साथ कुछ समय यहां रहे थे। ब्रिटिश राज के दौरान वेल्लोर फोर्ट में कई शाही कैदियों जैसे कैंडी के अंतिम राजा विक्रम राजासिंहा और टीपू सुल्तान के परिवार के सदस्यों को रखा गया था। 1806 के वेल्लोर सिपाही विद्रोह की अग्नि सर्वप्रथम इस किले में ही भड़की थी। यह ईस्ट इंडिया कम्पनी के खिलाफ भारतीय सिपाहियों के बड़े और हिंसक विद्रोह का पहला उदाहरण था जो 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से भी आधी सदी पहले घटित हुआ
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Aparatos de calibración: fundamental para el operación uniforme y productivo de las maquinarias.
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Jante Rimnova
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