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सर्दी बहुत अधिक पड़ने की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना के एक्टिव होने की संभावना।

नई दिल्ली। यह मानसून की विदाई की वेला है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि 15 अक्टूबर तक मॉनसून पूरी विदा हो जाएगा। IMD ने बताया कि इस साल देश में सामान्य से 8% अधिक बारिश हुई है और कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। उत्तर भारत, खासकर दिल्ली-एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में इस बार हाड़ कंपा देने वाली सर्दी पड़ने की संभावना है। इस साल पहले भीषण गर्मी, फिर सामान्य से अधिक बारिश के बाद अब सर्दी को लेकर ऐसे दावे डरा रहे हैं।

सर्दी बहुत अधिक पड़ने की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि अक्टूबर-नवंबर के दौरान ला नीना के एक्टिव होने की संभावना। IMD के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में ला नीना की स्थिति बनने की 71% संभावना है। हालांकि सर्दी कितनी पड़ेगी इसका सटीक पूर्वानुमान नवंबर में ही लग पाएगा। सर्दी में नवंबर से जनवरी 2025 तक ला नीना के उत्तरी गोलार्ध में बने रहने के आसार 75 प्रतिशत से भी अधिक हैं।  दिसंबर और जनवरी के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। ला नीना की वजह से आमतौर पर तापमान में गिरावट आती है। सर्दियों में भी इसकी वजह से अधिक बारिश होती है।

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फिलहाल पश्चिमी प्रशांत महासागर में सतह का तापमान औसत से अधिक है जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में औसत के करीब या नीचे बना हुआ है. चूंकि दोनों छोर के तापमान के बीच अंतर शून्य के करीब है इसलिए एनसो न्यूट्रल परिस्थितियां बनी हुई है। IMD के मुताबिक, ला-नीना परिस्थितियां पैदा होने में देरी हुई है।

ला-नीना जिसका स्पेनिश में अनुवाद “एक लड़की” होता है, एल नीनो के विपरीत है और यह पूरी तरह से विपरीत जलवायु व्यवहार के लिए जिम्मेदार है। ला-नीना घटना के दौरान एक मजबूत पूर्वी धारा समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर ले जाती है जिसके कारण समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है। विशेष रूप से भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में सतह ठंडी हो जाती है। IMD के अनुमान के मुताबिक ला-नीना अक्टूबर और नवंबर के बीच एक्टिव होने की संभावना 71 प्रतिशत है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में ला-नीना की स्थिति बनने की 71% संभावना है। जब ला-नीना होता है तो उत्तर भारत, खासकर उत्तर-पश्चिमी भारत और आसपास के मध्य क्षेत्र में तापमान सामान्य से कम हो जाता है।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कही यह बात

पिछले महीने ही विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की ओर से जो रिपोर्ट जारी हुई थी उससे इस बात के संकेत मिलते हैं कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान वर्तमान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) से ला नीना स्थितियों में परिवर्तित होने की 55 प्रतिशत संभावना है। WMO ने कहा कि अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 तक यह संभावना है की ला नीना की प्रबलता 60 प्रतिशत तक बढ़ जाए और इस दौरान अल नीनो के पुनः मजबूत होने की संभावना शून्य है।

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