Chaukodi: पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित चौकोड़ी एक छोटा-सा पहाड़ी कस्बा है जो राष्ट्रीय राजमार्ग 309ए पर बेरीनाग से 10 किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से 2010 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस कस्बे के उत्तर में दसौली, नकुरी और तिब्बत हैं जबकि पूरब में थल और डीडीहाट।
गजेन्द्र त्रिपाठी
“बांज, चीड़, बुरांश और देवदार के घने जंगल, फलदार बगीचे, दूर तक फैले चाय बागान, नीला आसमान और उत्तर दिशा में चांदी-सा चमकता पर्वतराज हिमालय। ऐसी खूबसूरती और कहां?” ये पंक्तियां किसी साहित्यकार की कल्पना नहीं बल्कि वाराणसी के एक अखबार में मेरे सहकर्मी रहे खुशाल सिंह धामी ने कुमाऊं के घूमने लायक स्थानों पर चर्चा के दौरान चौकोड़ी (Chaukodi) घूमने की सलाह देते हुए कही थीं। खैर, उस दिन की बात उसी दिन खत्म हो गयी और जीवन की तमाम व्यस्तताओं के बीच चौकोड़ी का यह शब्द-चित्रण स्मृति-पटल पर धुंधला होते हुए खत्म-सा हो गया। वर्षों बाद जब एकाएक चौकोड़ी जाने का कार्यक्रम बना तो धामी जी की बातें दिमाग में कौंध गयीं।
दरअसल, पिथौरागढ़ में रात को रुकने के दौरान गेस्टहाउस के स्टाफ के साथ बातचीत में चौकोड़ी (Chaukodi) की जिक्र आया। रूम सर्विस ब्वॉय ने सलाह दी, “घूम आइये साब, टैक्सी से ढाई घंटे में पहुंच जायेंगे। फिर न जाने कब आना हो, हो भी कि नहीं।” उसकी बात में दम लगा। अगले दिन सवेरे नाश्ता कर टैक्सी में बैठ गया। घुमावदार पहाड़ी सड़क पर जगह-जगह रुकते और प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द लेते हुए करीब साढ़े तीन घन्टे में चौकोड़ी (Chaukodi) पहुंचना हुआ। टैक्सी से उतरा तो सिर के ठीक ऊपर नीला आसमान और सामने बर्फ की चादर से ढके शिखरों के दर्शन करते ही जो थोड़ी-बहुत थकान थी, वह हवा हो गयी।
पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित चौकोड़ी (Chaukodi) एक छोटा-सा पहाड़ी कस्बा है जो राष्ट्रीय राजमार्ग 309ए पर बेरीनाग से 10 किलोमीटर दूर है। समुद्र तल से 2010 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस कस्बे के उत्तर में दसौली, नकुरी और तिब्बत हैं जबकि पूरब में थल और डीडीहाट। यहां से नन्दा देवी, नन्दा कोट, त्रिशूल, थरकोट, मैकतोली और पंचाचूली के सुन्दर दृश्य देखे जा सकते हैं। कुदरत ने चौकोड़ी (Chaukodi) को खुले मन से खूबसूरती की नेमत बख्शी है। इस अनुपम सौन्दर्य का आनन्द पैदल घूमकर ही लिया जा सकता है। यह पूरा क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से बहुत ही समृद्ध है। कुछ साल पहले यहीं पर चौकोड़ी-कोटमान्य सड़क के किनारे दुर्लभ सफेद उल्लू मिला था।

चौकोड़ी (Chaukodi) दुनिया के बेहतरीन सूर्योदय और सूर्यास्त पॉइन्ट्स में से एक है। सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्यों के अलावा यहां के सितारों से भरे आसमान का नजारा भी दिलकश होता है। यही कारण है कि दुनियाभर के नामी एस्ट्रोफोटोग्राफर आकाशगंगा की फोटोग्राफी के लिए यहां आते रहते हैं।
यह छोटी-सी बस्ती एक समय कुमाऊं के सबसे बड़े व्यापारी रहे दान सिंह बिष्ट मालदार की कर्मभूमि रही है। दान सिंह मालदार देश के बड़े लकड़ी व्यापारी थे जिनका कारोबार कुमाऊं से लेकर भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक फैला था। उन्हीं के प्रयासों के चलते चौकोड़ी (Chaukodi) में चाय बागान लगाए गए। एक समय चौकोडी की चाय भारत की बेहतरीन चाय में शुमार होती थी। चाय बागान आज भी हैं पर अब उनका वैसा नाम नहीं रहा। दान सिंह मालदार की इस विरासत को न तो स्थानीय लोग सही से सम्भाल पाये और न उत्तराखण्ड सरकार। पर्वतीय शैली में बनी उनकी हवेली यहां आज भी है। इस भवन के ठीक नीचे चौकोड़ी बुबू का मन्दिर है। चौकोड़ी बुबू इस स्थान के रक्षक माने जाते हैं। स्थानीय मान्यताओं में उन्हें कुमाऊं के सबसे बड़े लोकदेवता गोलज्यू का अवतार माना जाता है।
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चौकोड़ी के आसपास के प्रमुख स्थान (Major places around Chaukodi)
“हिमनगरी” के नाम से प्रसिद्ध मुनस्यारी चौकोड़ी से करीब 96 किलोमीटर दूर है। नेपाल सीमा पर स्थित धारचूला यहां से करीब 105 किमी पड़ता है जिसका रास्ता थल और डीडीहाट होते हुए है। तिब्बत और नेपाल की सीमा पर स्थित गुंजी चौकोड़ी से 173 किमी दूर है। पवित्र कैलास-मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु गुंजी होते हुए ही आगे बढ़ते हैं। गुंजी से नाभीढांग 17 किमी पड़ता है जहां से 10 किमी दूर स्थित लिपुलेख दर्रे को पार कर कैलास यात्री तिबब्त में प्रवेश करते हैं।
पाताल भुवनेश्वर :

गंगोलीहाट केभुवनेश्वर गांव में समुद्रतल से 1350मीटर की ऊंचाई पर स्थित पाताल भुवनेश्वरएक गुफा मन्दिर है। हालांकि यह भगवान शिव को समर्पित हैलेकिन ऐसा माना जाता है कि इस गुफा में 33 कोटि देवी-देवताओं कावास है।
हाट कलिका मन्दिर :

गंगोलीहाट काहाट कलिका मन्दिर सिद्धपीठ के लिए प्रसिद्ध है। स्कन्दपुराण के मानस खण्ड में भी इस देवी का वर्णन मिलता है। इस सिद्धपीठ की स्थापना आदि शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। मां हाट कालिका कुमाऊं रेजीमेण्ट की आराध्य देवी के रूप में पूजी जाती हैं। सालभर आम लोगों के साथ ही कुमाऊं रेजीमेण्ट के जवानों और अधिकारियों की यहां भीड़ लगी रहती है
धरमघर :

चौकोड़ी से 9 किमी दूर है धरमघर। महात्मा गांधी के पगचिन्हों पर चलने वाली सरला बहन (कैथरीन मेरी हैलीमन) ने अपनी जिन्दगी के अन्तिम कुछ साल यहीं गुजारे थे। उनके निवास स्थान हिमदर्शन कुटीर से हिमालय की चोटियों का विहंगम दृश्य दिखायी दिखाई देता है।
चौकोड़ी का मौसम (Chaukodi weather)
चौकोरी की जलवायु शीतोष्ण है। यहां का औसत वार्षिक तापमान 14.5 डिग्री है जबकि औसत वार्षिक वर्षा 1523 मिमी है। नवम्बर से मार्च मध्य तक यहां कड़ाके की सर्दी पड़ती है।

ऐसे पहुंचें चौकोड़ी (How to reach Chaukodi)

सड़क मार्ग : चौकोड़ी दिल्ली से 530, काठगोदाम से 198 (वाया अल्मोड़ा और बागेश्वर), नैनीताल से 183 और पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से करीब 82 किलोमीटर पड़ता है। यहां के लिए बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
रेल मार्ग : टनकपुर और काठगोदाम रेलवे स्टेशन चौकोड़ी के निकटतम रेलवे स्टेशन हैं। कोलकाता, दिल्ली, लखनऊ, बरेली से काठगोदाम के लिए ट्रेन मिल जाती हैं। टनकपुर से बरेली, पीलीभीत और दिल्ली के लिए ट्रेन मिलती हैं।
वायु मार्ग : पंतनगर एयरपोर्ट यहां से करीब 228 किमी और बरेली एयरपोर्ट करीब 300 किमी पड़ता है। पिथौरागढ़ के पास नैनी-सैनी में भी हवाई पट्टी है।

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