मुझे जड़ी-बूटियों के बारे में जिज्ञासा, ज्ञान और समझ मेरे माता पिता से मिले हैं। हमारा परिवार हमेशा से आसपास उगने वाली वनस्पतियों के गुणों और और उपयोगों से परचित रहा है। हमारे परिवार में स्वस्थ रहने के लिए जड़ी-बूटियों का सहारा ही लिया जाता रहा है। मैं उसी परम्परा को आगे बढ़ा रहा हूं। हमारे यहां अक्सर जंगलों में उगने वाली जड़ी-बूटियों को घर के आंगन में भी जगह दे दी जाती है।
ब्राह्मी (Brahmi) नामक जड़ी-बूटी का नाम लगभग सभी ने सुना होगा, कभी न कभी ब्राह्मी आंवला केश तेल तो लगाया ही होगा। एक बार जब मम्मी-पापा से मिलने गांव वाले घर गया तो आंगन में ब्राह्मी को फलते-फूलते पाया। ब्राह्मी हमारे यहां नदी, नहर और तालाब के किनारे नमी वाली भूमि पर अक्सर उग आती है किंतु आजकल सब जगह खेत बन गए हैं तो जड़ी-बूटियों के उगने के लिए ज्यादा जगह नही बची है। मनुष्य के अतिक्रमण का शिकार ये जड़ी-बूटियां भी हो रही हैं। ब्राह्मी अब गांव से भी लुप्त होती जा रही है।
मां ने बताया कि लोग जड़ी-बूटियों का उपयोग भूलते जा रहे हैं। अब गांव में इक्का-दुक्का लोग जो इनके प्रयोग के बारे में जानते भी हैं, उन्हें भी ब्राह्मी अब सहज ही उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में जब घर में ब्राह्मी के पौधे को फलते-फूलते पाया तो सोचा आप सबसे इसके बारे में जामकारी शेयर कर लिया जाए।
अपने देश में ब्राह्मी (Brahmi) दो जड़ी-बूटियों का कहा जाता है यहां पर मैं आपको जिसके बारे में बताऊंगा उसे मण्डूकपर्णी भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम Bacopa monnieri है। पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र श्रीलंका, थाईलैंड आदि में इसे गोटू काला कहते हैं। इन देशों में इसका प्रयोग साग और चटनी के रूप में किया जाता है। इसका शेक बनाकर भी पिया जाता है।
कई बार लोग लगातार सोचने, चिंता करने, बेहोशी या थकान के कारण मानसिक स्पष्टता खो देते हैं। ऐसे में बहुत सारी बातें और चिंताएं दिमाग में घर कर लेती हैं जिससे इंसान ठीक से सोच नहीं पाता है। दिमाग में उलझन और तनाव के चलते इंसान सही तरह से स्थिति का सामना करने में सक्षम नहीं हो पाता है। ब्राह्मी दिमागी उलझन और तनाव को कम करके दिमागी स्पष्टता में सुधार लाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है। यह मस्तिष्क में रक्त संचार को भी सुचारू करती है। यह वेरिकोज वेन्स की समस्या में भी उपयोगी है। सिर के बालों के विभिन्न रोगों में इसका इस्तेमाल अत्यन्त प्रभावकारी होता है।
ब्राह्मी (Brahmi)की पत्तियों को पीसकर बनाई जाने वाली ब्राह्मी चाय वायु-मार्ग से बलगम को साफ करके सर्दी, छाती में जमाव और दमा श्वसन नली में सूजन (bronchitis) को नियंत्रित करने में मदद करती है जिससे सांस लेने में आसानी होती है। यह अपने सूजन-रोधी गुण के कारण गले और श्वसन पथ में दर्द और सूजन को भी कम करता है। ब्राह्मी पाउडर को दूध के साथ लेने से इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण मुक्त कणों से होने वाली मस्तिष्क कोशिका क्षति को रोक कर मस्तिष्क के कार्यों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।ब्राह्मी (Brahmi)का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतना आवश्यक है। दरअसल, यह थायराइड हार्मोन के स्तर को बढ़ा सकती है। ब्राह्मी यकृत (Liver) की कार्यप्रणाली पर असर डाल सकती है। इसलिए आमतौर पर हेपेटोप्रोटेक्टिव दवाओं के साथ इसको लेते समय यकत के कार्यों की निगरानी करने की सलाह दी जाती है।
(लेखक पोषण विज्ञान के गहन अध्येता होने के साथ ही न्यूट्रीकेयर बायो साइंस प्राइवेट लिमिटेड (न्यूट्री वर्ल्ड) के चेयरमैन भी हैं)