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Udayagiri Caves : शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि उदयगिरि गुफाओं का निर्माण गुप्त नरेशों द्वारा 250 से 410 ईसा पूर्व के बीच करवाया गया था। कलाभेद के आधार पर इन्हें वैष्णव, शैव और जैन गुफाओं में बांटा गया है। इनमें से ज्यादातर गुफाओँ में विभिन्न आकृतियां हैं तो कुछ में केवल शिलालेख ही बचे हैं।

न्यूज हवेली नेटवर्क

भोपाल से विदिशा और वहां से वैस नदी होते हुए हम उदयगिरि गुफा श्रृंखला (Udayagiri Cave Series) तक पहुंचे तो सवेरे के नौ ही बजे थे और हमारे पास घूमने के लिए पर्याप्त समय था। ये गुफाएं गुप्त शासनकाल में बनायी गयी 20 गुफाओं का समूह है। यहां पत्थरों को काटकर छोटे-छोटे कमरों के रूप में गुफाओँ को बनाया गया है जिनमें देवी-देवताओँ के अलावा कई अन्य कलाकृतियां और शिलालेख हैं।

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उदयगिरि (Udayagiri) को पहले “नीचैगिरि” के नाम से जाना जाता था। महाकवि कालिदास ने भी इसे इसी नाम से सम्बोधित किया है। दसवीं शताब्दी में विदिशा का शासन धार के परमारों के हाथ में आ गया। महाराजा भोज के पौत्र उदयादित्य ने इस स्थान का नाम उदयगिरि (Udayagiri) कर दिया।

उदयगिरि गुफाएं
उदयगिरि गुफाएं

शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि उदयगिरि गुफाओं का निर्माण गुप्त नरेशों द्वारा 250 से 410 ईसा पूर्व के बीच करवाया गया था। कलाभेद के आधार पर इन्हें वैष्णव, शैव और जैन गुफाओं में बांटा गया है। इनमें से ज्यादातर गुफाओँ में विभिन्न आकृतियां हैं तो कुछ में केवल शिलालेख ही बचे हैं। पत्थरों को काटकर बनायी गयी सीढ़ियां इन गुफाओं की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। सबसे मुख्य पांचवीं गुफा है जिसमें भगवान विष्णु के वराह अवतार को भूदेवी यानी पृथ्वी को बचाते हुए उत्कीर्ण किया गया है। गुफा नम्बर छह में चन्द्रगुप्त द्वितीय और पुरानेभारतीय गुप्त कैलेंडर के मुताबिक 401 सीई का उल्लेख मिलता है।गुफा क्रमांक 19 सबसे बड़ी है। इस गुफा के प्रवेश द्वार पर बाएं स्तम्भ पर संस्कृत शिलालेख पर विक्रमा 1093 तारीख देखने को मिलती है। इसमें विष्णुपद शब्द का उल्लेख होने का साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि यह मन्दिर चन्द्रगुप्त के शासन काल में बनाया गया था।

उदयगिरि गुफाओं (Udayagiri Caves) में से ज्यादातर में उत्कीर्ण प्रस्तरमूर्तियों क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं तो कुछ गुफाओं में प्रस्तर प्रतिमाओं के प्रमाण मिलते हैं। ऐसा यहां पाये जाने वाले पत्थरों के कारण हुआ जो काफी नरम होते हैं। इन पत्थरों की खुदाई और उन पर आकृतियां उत्कीर्ण करना आसान थालेकिन ये मौसमी प्रभावों को झेलने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

उदयगिरि गुफा श्रृंखला (Udayagiri Cave Series)

उदयगिरि गुफाएं
उदयगिरि गुफाएं

गुफा संख्या 01 : गुफा श्रृंखला कीइस सबसे दक्षिणी गुफा में चार स्तम्भ हैं। इसकी पीछे की दीवार पर एक देव प्रतिमा उत्कीर्ण हैं।

गुफा संख्या 02 :यह गुफा नम्बर एक के उत्तर में दक्षिणी समूह में स्थित है। इसमें दो पायलटों के निशान और छत के नीचे संरचनात्मक मण्डप है।

गुफा संख्या 03 :यह गुफाओं के केन्द्रीय समूह की पहली गुफा है। इसका प्रवेश द्वार साधारण है और गर्भगृह के साथ भगवान स्कन्द की छवि उत्कीर्ण है। इस मन्दिर का अधिकतर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है।

गुफा संख्या 04 :यह गुफा शैव और शाक्त दोनों परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करती है। इसमें सुन्दर द्वार है। फ्रेम में बांसुरी बजाता हुआ आदमी उत्कीर्ण है जबकि दूसरी तरफ गिटारजैसा वाद्य बजाते आदमी की आकृति उत्कीर्ण है। इस गुफा में गंगा और यमुना के तट पर भगवान शिव का एकमुखी लिंग है। इस गुफा का मण्डप नष्ट हो चुका है। उदयगिरि की गुफाओं में मिलने वाली मातृकाओं के तीन समूहों में से एक इसी गुफा में है।

गुफा संख्या 05 :इस गुफा में भगवान विष्णु के वराह अवतार की पृथ्वी को बचाती छवि उत्कीर्ण हैं। इसके घुमावदार पैनलों में पौराणिक घटनाओं का विवरण अंकित है।नीचे स्थित लेटे अवस्था में दिख रही मूर्ति के पीछे कलश लिये वरुण देव की जैसी आकृति नजर आती है। साथ में दिखाई दे रही दो जल-धाराएं गंगा और यमुना की प्रतीक हैंजो स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण करती हुई प्रतीत होती हैं। गंगा और यमुना को अपने-अपने वाहन मकर और कच्छप पर दिखलाया गया है। ऊपर अप्सराएं उत्कीर्णहैं। बायीं ओर पांच पंक्तियों में यक्ष, किन्नर, गंर्धव और मरुत गणों को स्तुति-गान करते हुए दर्शाया गया है। ऊपरी पंक्ति में दिख रहे गंधर्व के हाथों में वायलिन जैसा वाद्य यंत्र इस बात का साक्ष्य हैं कि ऐसे यंत्र की उत्पति भारत में ही हुई होगी। दायीं ओर चार पंक्तियों में यक्ष और महर्षिगण चार पंक्तियों में दर्शाये गये हैं। ब्रह्मा तथा नन्दी वाहन समेत भगवानशिव को सबसे ऊपरी पंक्ति में दर्शाया गया है।

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गुफा संख्या 06 :इस गुफा में टी आकार का एक दरवाजा और पत्थरों को काट कर बनाया गया गर्भगृह है। गुफा का भीतरी हिस्सा चौकोर है तथा बाहर की ओर पत्थर को काटकर एक ऊंचा दालान बनाया गया है। चौखट अत्यन्त कलात्मक हैजिस पर सुन्दर बेल-बूटे हैं।दरवाजे पर भगवान विष्णु और शिव की गंगाधरवाली छवि उत्कीर्ण है। इस गुफा में देवी दुर्गा की महिषासुर का वध करने वाली छवि और भगवान गणेश की आकृति उत्कीर्ण हैं।

गुफा संख्या 07 :यह एक बड़ी गुफा है जिसमें आठ देवियों की  आकृतियां उत्कीर्ण हैं। यहीं देव सेनापति कार्तिकेय और भगवान गणेशकी छवियांहैं जो धुंधली पड़ गयी हैं।

गुफा संख्या 08 :यह गुफा दरअसल पहाड़ को काट कर बनाया गया घाटी की तरह का एक मार्ग है जो गुफा नम्बरसात के बाद है। यहां पत्थरों को काट कर सीढ़ियां बनायी गयी हैं। यहां कई शिलालेख हैं।

गुफा संख्या 9 से 11 : इनको तवा गुफा भी कहते हैं। हालांकि ये अब खण्डहर हो चुकी हैं लेकिन मण्डप के साक्ष्य और निशान अब भी मौजूद हैं।एक गुफा की शीर्ष छत पर कमल की एक बड़ी आकृति अंकित है।

गुफा संख्या 12 :यह एक वैष्णव गुफा है जिसमें भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार की आकृति उकेरी गयी है। यहां शंख लिपि में एक शिलालेख है।

गुफा संख्या 13 :इस गुफा में भगवान विष्णु के साथ अनन्तशयन का एक पैनल है। विष्णु की आकृति के नीचे दो पुरुष हैं। भगवान के सामने घुटने टेके लोगों में से एक आकृति राजा चन्द्रगुप्त द्वितीय और दूसरी उनके मन्त्री वीरसेन की है।

गुफा संख्या 14  :यह 15-16 छोटी-छोटी वर्गाकार गुफाओँ का समूह है। ये सभी एक-दूसरे से भिन्न हैं। यहां एक छोटा वर्गाकार अवकाश कक्ष है जो काफी क्षतिग्रस्त हो चुका है।

गुफा संख्या 15 : इस गुफा में कोई अलग गर्भगृह या पीठ नहीं है।

गुफा संख्या 16 : ये गुफा खाली है। सम्भवतः मूर्तियां प्रकृति की मार से नष्ट हो गयी या कर दी गयीं।

गुफा संख्या17 :इसमें भगवान गणेश की छवि और महिषासुर-मर्दिनी उत्कीर्ण हैं। छत पर कमल का पैटर्न है।

गुफा संख्या 18 :यह गुफा अब खाली है।

गुफा संख्या 19 :उदयगिरि गुफा श्रृंखला की इस सबसे बड़ी गुफा को अमृता गुफा भी कहते हैं। अन्य गुफाओं की तुलना में यह ज्यादा अलंकृत है। इसमें एक मण्डप के साथ काफी बड़ा मन्दिर है। यहां देवी गंगा और यमुना समेत कई पौराणिक कथाएं भी अंकित हैं। साथ ही दो शिवलिंग हैं। यह गुफा काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी है।गुफा में मिले शिलालेख पर यह उत्कीर्ण है-

नवो जीर्णोधारि

कन्हं प्रणमति

वीष्णु पादौ नित्यं।

संवत् १०९३ चंद्रगुप्तेन

कीर्तन कीर्तितः

पश्चात वीक्रमा

दिव्य राज्यः।

गुफा संख्या 20 :यह उदयगिरि श्रेणी की अन्तिम और एकमात्र गुफा है जो जैन धर्म को समर्पित मानी है। इसमें चार मूर्तिया हैंजो कमलासनों पर विराजमान हैं। इसके चारों ओर आभामण्डल और ऊपर छत्र हैं। इनमें तीन मूर्तियों में नीचे की ओरजो चक्र है, उसके दोनों ओर दो सिंह आमने-सामने मुंह किये हुए बैठे हैं।बायीं ओर की मूर्ति के पास एक शिलालेख है जो गुप्त सम्वत 106 का है।

इन गुफाओं के अलावा उदगिरि शिखर पर कुछ अन्य ध्वंसावशेष भी दिखते हैं। पूर्व-पश्चिम में 127 फीट लम्बा और उत्तर-दक्षिण में 70 फीट चौड़ा यह स्थान कोई भव्य इमारत रहा होगा। महावंश के अनुसार युवावस्था में अशोक का निवास वाग्माला पर्वत के ही एक भाग पर था। जनश्रुतियों में इसे आज भी अशोक का महल कहा जाता है।

उदयगिरि में इन बातों को रखें ध्यान (Keep these things in mind in Udayagiri)

उदयगिरि गुफाएं
उदयगिरि गुफाएं

उदयगिरि गुफाएं (Udayagiri Caves) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन संरक्षित है। इसलिए यहां उत्कीर्ण आकृतियों और शिलालेखों के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ और शोरगुल न करें अन्यथा भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है। यहां के रास्ते काफी ऊंचे-नीचे और ऊबड़-खाबड़ हैं और काफी पैदल चलना पड़ता है। इसलिए पहने जाने वाले कपड़ों के चयन में सतर्कता बरतें। आरामदायक कपड़े पहनें। स्ट्रेचेबल और फ्लैक्सिबल लोअर तथा आरामदायक जूते (स्पोर्ट्स शूज) पहन कर ही आप यहां आराम और इत्मीनान से घूम सकते हैं। टाइट जींस पहनने पर चलना-फिरना दूभर हो सकता है।

यहां घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है। अप्रैल, मई और जून में यहां भीषण गर्मी पड़ती है और पथरीलें रास्तों पर चलना दूभर हो जाता है। बारिश के मौसम में यहां न जाना ही बेहतर है क्योंकि पहाड़ी रास्तों पर फिसलन होने की वजह से चोटिल हो सकते हैं। कुल मिलाकर सर्दी का मौसम यहां घूमने के लिए आदर्श है।

उदयगिरि गुफाएं (Udayagiri Caves) सुबह नौ से लेकर शाम छह बजे तक खुली रहती हैं। यहां घूमने या इन गुफाओं में प्रवेश करने के लिए कोई भी शुल्क नहीं है। गुफा क्षेत्र में कोई होटल या गेस्टहाउस नहीं हैं। सबसे नजदीकी शहर विदिशा हैं जहां रुकने के लिए काफी विकल्प हैं। पर्यटक भोपाल के किसी होटल में चेक इन कर एक ही दिन में इन गुफाओँ को देख कर वापस आ सकते हैं।

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ऐसे पहुंचें उदयगिरि (How to reach Udayagiri)

उदयगिरि गुफाएं
उदयगिरि गुफाएं

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा भोपालका राजा भोज इण्टरनेशनल एयरपोर्ट उदयगिरि गुफाओं से करीब 66 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से ही इन गुफाओं के लिए कैब औरटैक्सी मिल जाती हैं।

रेल मार्ग : विदिशा और सांची रेलवे स्टेशन उदयगिरी गुफाओँ के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं जो यहां से क्रमशः 6 और 9 किलोमीटर दूर स्थित हैं। हालांकि मध्य प्रदेश से बाहर के लोगों के लिए भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की ट्रेन पकड़ना ही उचित रहेगा जहां के लिए देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेन सेवा है।

सड़क मार्ग : उदयगिरी की गुफाएं वाया भोपाल देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ी हुई हैं। भोपाल से विदिशा करीब 57 किमी पड़ता है। भोपाल से विदिशा के लिए नियमित रूप से बस चलती हैं। पर्यटक कैब या टैक्सी भी कर सकते हैं।

उदयगिरि की गुफा
उदयगिरि की गुफा
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