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असम प्रचीन काल से ही सनातन धर्म का प्रमुख केन्द्र रहा है जिस कारण यहां गोरूर पायस समेत तरह-तरह के शाकाहारी व्यंजन बनाने की कला विकसित हुई। चावल यहां का मुख्य भोजन है।

अनुवंदना माहेश्वरी

ने जंगल, दूर-दूर तक फैले चाय बागान और अथाह जलराशि को लेकर बहती नदियों की धरती असम (असोम) में जितनी विविधता देखने को मिलती है, उतनी ही वैविध्यपूर्ण और समृद्ध है यहां की भोजन परम्परा। नदियां असम के लिए वरदान की तरह हैं जो यहां की घाटियों को उपजाऊ बनाती हैं। इन घाटियों में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है जो यहां की प्रमुख फसल है। चावल यहां का मुख्य भोजन है।

असम का भोजन
असम का भोजन

असम प्रचीन काल से ही सनातन धर्म का प्रमुख केन्द्र रहा है जिस कारण यहां गोरूर पायस समेत तरह-तरह के शाकाहारी व्यंजन बनाने की कला विकसित हुई। साथ ही यहां की दुरूह प्राकृतिक संरचना के चलते सिर्फ फल-सब्जियों पर निर्भर नहीं रहा जा सकता। ऐसे में मांस-मछली से तरह-तरह के व्यंजन भी बनाए जाते हैं। हालांकि माना जाता है कि पहले मुख्य रूप से जनजातीय लोग ही मांसाहारी भोजन करते थे पर समय के साथ अन्य लोग भी इसका सेवन करने लगे। इसके बावजूद सुअर का गोश्त अभी भी असम के मैदानी इलाकों और घाटी वाले क्षेत्रों में खास स्थान नहीं बना सका है।

आलू पिटिका

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है आलू पिटिका को आलू से तैयार किया जाता है। इसके लिए आलू को मैश करके सरसों के तेल, प्याज, धनिया और नमक के साथ पकाया जाता है। यह बनाने और देखने में जितना साधारण लगता है, उतना ही स्वादिष्ट भी होता है। इसे दाल-चावल के साथ साइड डिश के रूप में खाया जाता है। यहां के लोगों को यह इतना पसंद है कि कई घरों में दिन और रात दोनों समय के भोजन में इसे शामिल किया जाता है।

जाक अरु भाजी

जाक अरु भाजी
जाक अरु भाजी

जाक अरु भाजी असम की प्रमुख और बहुत प्रसिद्ध डिश है। आलू पिटिका की तरह यह भी शाकाहारी व्यंजन है। ऐसा नहीं कि इसे किसी खास अवसर पर तैयार किया जाता है बल्कि यह यहां को रोजमर्रा के भोजन का एक अहम हिस्सा है। परम्पारगत असमिया परिवारों में इसे लगभग रोजाना बनाया जाता है। इस स्वास्थ्यवर्धक डिश को सब्जियों, जड़ी-बूटियों, अदरक, लहसुन, दालचीनी, प्याज और कभी-कभी नींबू के साथ बनाया जाता है।

पिठा

पिठा
पिठा

पिठा एक प्रकार की मिठाई है जिसे स्नैक की तरह खाया जाता है। आमतौर पर सुबह के नाश्ते में या शाम की चाय के साथ इसे खाया जाता है। इसको कई तरह से बनाया जाता है जैसे मीठा, नमकीन, उबला हुआ या तला हुआ पिठा। असम के महापर्व बिहू पर यह अवश्य बनाया जाता है।

गोरूर पायस

गोरूर पायस
गोरूर पायस

खीर को संस्कृत में पायस कहा जाता है। जाहिर है कि गोरूर पायस भी एक तरह की खीर है, कुछ-कुछ उत्तर भारत में बनने वाली चावल की खीर और रबड़ी के मिले-जुले स्वाद वाली। इसे चावल, दूध, गुड़, काजू और तेजपत्ते से बनाया जाता है। इसको और स्वादिष्ट बनाने के लिए इसमें खजूर भी डाले जाते हैं। तीज-त्यौहारों समेत सभी प्रमुख अवसरों पर इसे बनाया जाता है। यह असम के प्रमुख व्यंजनों में तो शामिल है ही, पर्यटकों को भी बहुत पसंद आती है।

नारियल के लड्डू

नारियल के लड्डू
नारियल के लड्डू

असम में नारियल को बहुत ही पवित्र माना जाता है। सभी तीज-त्यौहारों खासकर बिहू पर नारियल के तरह-तरह के व्यंजन बनाये जाते हैं खासकर नारियल के लड्डू। इन लड्डुओं को कच्चे नारियल से बनाया जाता है। साथ ही इसमें बादाम, काजू, पिस्ता, चिरौंजी आदि मेवे भी मिलाये जाते हैं।

खरबूजे के बीज

इसे बनाने के लिए खरबूजे के बीज को धोकर अच्छे से सुखाया जाता है, फिर इन्हें पैन में घी डालकर सुनहरा होने तक भूना जाता है। इसके बाद इसमें चीनी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार करते हैं। बीज और चीनी से तैयार हुए इस पेस्ट को गर्मा-गर्म सर्व किया जाता है।

खार

खार
खार

खार एक मांसाहारी डिश है जिसे मसालों, कच्चे पपीते, दालों आदि के मिश्रण के साथ तैयार किया जाता है। इसे बनाने के बाद केले के सूखे पत्तों से छाना जाता है। इसका स्वाद अन्य मांसाहारी व्यंजनों से काफी अलग होता है। आप कह सकते हैं कि इसका स्वाद कुछ अलग ही होता है। इसे प्रायः दोपहर में चावल के साथ खाया जाता है।

डक मीट

डक मीट
डक मीट

उत्तर भारत के लोग भले ही चिकन के दीवाने हों पर असम के लोगों को तो डक मीट ही भाता है। उत्सवों और खास अवसरों पर इसे अवश्य बनाया जाता है। असम के कई जातीय समूहों में कोई भी त्यौहार इस खास डिश के बिना अधूरा है। डक मीट को आमतौर पर ऐश लौकी के साथ बनाया जाता है। बहुत से लोग तिल, कद्दू, मसूर की दाल आदि का भी इस्तेमाल करते हैं। इसे बनाने में साबुत या खड़े मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। असम के लगभग सभी होटल-रेस्तरां के मेन्यू में यह डिश जरूर होती है।

मासोर टेंगा

मासोर टेंगा
मासोर टेंगा

मासोर टेंगा एक तरह की फिश करी है।  इसे तैयार करने के लिए मछली को मसालों, आउटेंग, टमाटर और नींबू से बने शोरबे के साथ धीमी आंच में पकाया जाता है। इस चटपटी डिश को पर्यटक भी अंगुलियां चाट-चाटकर खाते हैं।

सिल्क वार्म

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इस डिश को रेशम के कीड़ों को मसालों के साथ फ्राई कर बनाया जाता है। यह खाने में क्रंची और रसभरी लगती है।

पारो मानजोहो

गर्म तासीर की इस डिश को सर्दी के मौसम में बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए कबूतर के मांस और केले के फूल का इस्तेमाल किया जाता है।

ऑऊ खट्टा

आऊ खट्टा
आऊ खट्टा

यह एक तरह की खट्टी-मीठी चटनी है। इसे ऑऊ (एलीफेंट एप्पल)  और गुड़ से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए पहले ऑऊ को उबालते हैं। इसके बाद इसे मैस कर थोड़े से तेल में राई या सरसों के साथ भूना जाता है, फिर गुड़ मिलाया जाता है।

102 thought on “असम : भोजन की समृद्ध परम्परा”
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