शास्त्रों के अनुसार, जहां तुलसी विराजमान होती हैं, वहां साक्षात नारायण और कृष्ण जी विराजमान रहते हैं, इसलिये तुलसी को माता के रूप में पूजा जाता है। इसी कारण प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए।
न्यूज हवेली डेस्क
भारत में ज्यादातर घरों, खासतौर पर हिन्दुओं के यहां तुलसी चौरा अवश्य होता है। इसके समक्ष दीपक अथवा धूप जलाकर पूजन किया जाता है। यानी तुलसी का धार्मिक महत्व है। लेकिन, यह इसका एक पक्ष है। आयुर्वेद और धर्मशास्त्रों में इसके औषधीय महत्व के बारे में बताया गया है। यह भी कहा गया है कि तुलसी के पौधे की उपस्थिति वास्तु दोष को खत्म कर देती है। यह समझिये कि घर में तुलसी के पौधे की उपस्थिति एक वैद्य के समान है। यह जन्म से लेकर मृत्यु तक काम आती है। हमारे शास्त्रों में तुलसी का पूज्यनीय देवी के रूप में उल्लेख है।
हिंदू धर्म में तुलसी विवाह या भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम के साथ माता तुलसी का विवाह एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह होता है और इससे एक दिन पहले देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। तुलसी को मां शब्द से अलंकृत कर हिन्दू नित्य इसकी पूजा-आराधना भी करते है। इसके औषधीय गुणों पर आधुनिक रसायन और चिकित्सा शास्त्रों ने भी मुहर लगा दी है। इसकी हवा और स्पर्श एवं इसका भोग दीर्घायु देता है। (Tulsi is like a doctor in the house, capable of removing Vaastu defects also)
शास्त्रानुसार तुलसी के विभिन्न प्रकार के पौधे मिलते हैं। इनमें श्रीकृष्ण तुलसी, लक्ष्मी तुलसी, राम तुलसी, भू तुलसी, नील तुलसी, श्वेत तुलसी, रक्त तुलसी, वन तुलसी, ज्ञान तुलसी मुख्य हैं। सबके गुण अलग-अलग हैं। इन पौधों के पत्ते और अर्क नाक, कान, वायु, कफ, ज्वर, खांसी और दिल की बिमारियों पर खास प्रभाव डालते हैं। तुलसी की महक हवा में मौजूद बीमारी फैलाने वाले कई सूक्ष्म कीटाणुओं को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करती है।
तुलसी के सेवन से मिलने वाले फायदे
तुलसी की महक से सांस से संबंधित कई रोगों में लाभ मिलता है। रोजाना इसके दो सो चार पत्तों का सेवन कर हम सामान्य बुखार से बचे रहते हैं। यह मौसम परिवर्तन के समय होने वाली बीमारियों से बचाव करती है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है लेकिन इसके लिए हमें नियमित रूप से तुलसी का सेवन करते रहना चाहिए।
प्रतिदिन सुबह खाली पेट तुलसी की चार पत्तियां ग्रहण करने से मधुमेह, रक्त विकार, वात, पित्त आदि दोष दूर होने लगते है। प्रतिदिन कुछ देर तुलसी के पौधे के समीप आसन लगाकर बैठने से श्वास के रोगों से जल्दी छुटकारा मिलता है।
तुलसी के वास्तु लाभ
रसोईघर में तुलसी का गमला रसोई रखने से पारिवारिक कलह समाप्त होती है। पुत्र यदि जिद्दी हो तो पूर्व दिशा की खिडकी के पास इसका गमला रखने से उसका हठ दूर होता है। यदि घर की कोई सन्तान अपनी मर्यादा से बाहर है अर्थात नियंत्रण में नहीं है तो पूर्व दिशा में रखे तुलसी के पौधे में से तीन पत्ते किसी ना किसी रूप में उस सन्तान को खिलाने से वह आज्ञानुसार व्यवहार करने लगती है।
कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो तो अग्नि कोण में तुलसी का पौधा लगाकर विवाह योग्य कन्या उसको नित्य जल अर्पण कर उसकी प्रदक्षिणा करे। इससे सभी बाधाएं दूर होकर विवाह जल्दी और अनुकूल स्थान में होता है। यदि कारोबार ठीक नहीं चल रहा तो दक्षिण-पश्चिम में रखे तुलसी कि गमले पर प्रति शुक्रवार को सुबह कच्चा दूध अर्पण करने और मिठाई का भोग रखकर किसी सुहागिन स्त्री को मीठी वस्तु देने से व्यवसाय में सफलता मिलती है।
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नौकरी में यदि उच्चाधिकारी की वजह से परेशानी हो तो ऑफिस में खाली जमीन या किसी गमले आदि जहां पर भी मिटटी हो, वहां पर सोमवार को तुलसी के सोलह बीज किसी सफेद कपडे में बांध कर सुबह दबा दें, सम्मन की वृद्धि होगी। घर कि महिला नित्य पंचामृत बनाकर उससे तुलसी चौरे पर रखे शालिग्राम जी का अभिषेक करती हैं तो घर में वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
ये ही कहते हैं शास्त्र
शास्त्रों के अनुसार, जहां तुलसी विराजमान होती हैं, वहां साक्षात नारायण और कृष्ण जी विराजमान रहते हैं, इसलिये तुलसी को माता के रूप में पूजा जाता है। इसी कारण प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए।
शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी स्वरूप माना गया है, इस कारण घर में तुलसी हो तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। तुलसी के पत्ते कुछ खास दिनों में नहीं तोड़ने चाहिए। ये दिन हैं अमावस्या, पूर्णिमा एकादशी, रविवार और सूर्य या चंद्र ग्रहण काल। बिना उपयोग तुलसी के पत्ते कभी नहीं तोड़ने चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति को दोष लगता है। अनावश्यक रूप से तुलसी के पत्ते तोड़ना तुलसी को नष्ट करने के समान माना गया है।
प्रतिदिन तुलसी पूजन करना और सायंकाल उसके समक्ष दीपक जलाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि जो लोग शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाते हैं, उनके घर में महालक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
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तुलसी का सूखा पौधा घर में नहीं रखना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। तुलसी का सूखा पौधा घर में होने से बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए। यदि घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा सूख जाता है तो उसे किसी पवित्र नदी, तालाब या कुएं में प्रवाहित कर देना चाहिए। साथ ही सूखा पौधा हटाने के बाद तुरंत तुलसी का नया पौधा लगा लेना चाहिए। आपने गौर किया होगा कि तुलसी का पौधा सूखने के दौरान घर में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं। शास्त्रों के अनुसार, ऐसा इसलिए होता है कि जिस घर पर मुसीबत आने वाली होती है, उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी यानी तुलसी चली जाती है। जहां दरिद्रता, अशांति या क्लेश होता है, वहां माता लक्ष्मी का निवास नहीं होता। अगर ज्योतिष की मानें तो ऐसा बुध के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़ पौधों का कारक ग्रह माना जाता है। बुध ऐसा ग्रह है जो अन्य ग्रहों के अच्छे और बुरे प्रभाव जातक तक पहुंचाता है। अगर कोई ग्रह अशुभ फल देगा तो उसका अशुभ प्रभाव बुध के कारक वस्तुओं पर भी होता है। अगर कोई ग्रह शुभ फल देता है तो उसके शुभ प्रभाव से तुलसी का पौधा उत्तरोत्तर बढ़ता रहता है। बुध के प्रभाव से पौधे पर फल-फूल लगने लगते हैंl
तुलसी का पौधा घर की दक्षिण दिशा में नहीं लगाना चाहिए। यह दिशा पितृ पक्ष की होती है और यदि आप यहां तुलसी का पौधा लगाते हैं तो भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार तुलसी का पौधा घर के उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इन दिशाओं में देवताओं का वास होता है.
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यू तो पूजन में तुलसी का विशेष महत्तव है पर भगवान शिव और प्रथम पूज्य गणेश जी के पूजन में तुलसी का प्रयोग वर्जित है।
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