सुप्रीम कोर्ट जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है।
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में अपराधियों के खिलाफ हो रही बुलडोजर कार्रवाई (bulldozer action) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है कि वह आरोपी है। न्यायमूर्ति विश्वनाथन और न्यायमूर्ति बीआर गवई की बेंच ने कहा, “अगर कोई दोषी भी हो, तब भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जा सकती।” (Supreme Court’s strict comment on bulldozer action, will issue guidelines)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इसमें आरोप लगाया गया है कि भाजपा शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और बुलडोजर कार्रवाई की जा रही है। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के वकील फारूक रशीद ने याचिका में कहा है कि अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न करने और उन्हें डराने के लिए राज्य सरकारें घरों और संपत्तियों पर बुलडोजर कार्रवाई को बढ़ावा दे रही हैं। याचिका में यह भी आरोप है कि सरकारों ने पीड़ितों को अपना बचाव करने का मौका ही नहीं दिया, बल्कि कानूनी प्रक्रिया का इंतजार किए बिना पीड़ितों को तुरंत सजा के तौर पर घरों पर बुलडोजर चला दिया।
अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देंगेः सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यूपी सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि अचल संपत्ति को कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही ध्वस्त किया जा सकता है। यूपी के विशेष सचिव गृह ने भी हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिकाओं पर कहा कि भले ही कोई व्यक्ति दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगी। पीठ ने कहा कि हम अखिल भारतीय आधार पर कुछ दिशा-निर्देश निर्धारित करने का प्रस्ताव करते हैं, ताकि उठाए गए मुद्दों के संबंध में चिंताओं का समाधान किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट के तीखे तेवर और केंद्र सरकार का जवाब
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम यहां अवैध अतिक्रमण के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। इस मामले से जुड़ी पार्टियां सुझाव दें। हम पूरे देश के लिए गाइडलाइन जारी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी का बेटा आरोपी हो सकता है, लेकिन इस आधार पर पिता का घर गिरा देना! यह कार्रवाई का सही तरीका नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की तीखी टिप्पणियों पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि किसी भी आरोपी की सम्पत्ति इसलिए नहीं गिराई गई क्योंकि उसने अपराध किया। आरोपी के अवैध कब्जों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत एक्शन लिया गया है।
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