Tue. Mar 25th, 2025
Supreme Court

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुन्दरेश और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने फैसले के पक्ष में मत दिया।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 4:1 के बहुमत के फैसले से असम में अवैध अप्रवासियों (Illegal Migrants) को भारतीय नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नागरिकता अधिनियम (Citizenship Act) की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है यानी नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए (Section 6A of Citizenship Act) की वैधता की पुष्टि की है। इसके तहत 1 जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले अवैध अप्रवासियों को नागरिकता का लाभ दिया गया था। इनमें से अधिकतर बांग्लादेश से थे।

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान है। बांग्लादेश के निर्माण के बाद राज्य में अवैध प्रवासियों के बड़े पैमाने पर प्रवेश ने इसकी संस्कृति और जनसांख्यिकी को गंभीर रूप से खतरे में डाल दिया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुन्दरेश और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने बहुमत से दिए गए अपने फैसले में कहा कि संसद के पास इस प्रावधान को लागू करने की विधायी क्षमता है। हालांकि न्यायमूर्ति पारदीवाला ने असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया।

monal website banner

यह आदेश उस याचिका पर आया जिसमें कहा गया था कि बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) से शरणार्थियों के आने से असम के जनसांख्यिकीय संतुलन पर असर पड़ा है। इसमें कहा गया था कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए राज्य के मूल निवासियों के राजनीतिक और सांस्कृतिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “केंद्र सरकार इस अधिनियम को अन्य क्षेत्रों में भी लागू कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। यह असम के लिए खास बना था। असम में आने वाले प्रवासियों की संख्या और संस्कृति आदि पर उनका प्रभाव असम में अधिक है। असम में 40 लाख प्रवासियों का प्रभाव पश्चिम बंगाल के 57 लाख से अधिक है क्योंकि असम का क्षेत्रफल पश्चिम बंगाल से कम है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *