यूएई को मालूम है आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल खत्म होने वाले हैं, इसलिए वह अपने आप को टूरिज्म का हब बना रहा है। बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें खड़ी करके दुनियाभर के रईसों को फ्लैट बेच रहा है। असलियत में ये रईस ऐसे फ्लैट्स के मालिक ही नहीं हैं क्योंकि वहां कोई भी बाहरी नागरिक जमीन नहीं खरीद सकता, बस एक एग्रीमेंट है और वह भी यूएई के पक्ष में।
संजीव जिन्दल
पेट्रो पदार्थों के मामले में धनी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) अब टूरिज्म सेक्टर से बहुत मोटी कमाई कर रहा है। वह अपने यहां बहुत बड़ा मंदिर (बीएपीएस मंदिर, अबूधाबी) बनाने की इजाजत देता है तो बहुत ही सुंदर गुरुद्वारा साहिब (दुबई) बनवाने की भी अनुमति देता है। हम खुश हो जाते हैं देखो यूएई में मंदिर बन गया, गुरुद्वारा बन गया। लेकिन, इसके पीछे असली खेल कमाई का है।
यूएई में किसी भी अन्य देश का नागरिक जमीन नहीं खरीद सकता और हम लोग उसकी जमीन पर मोटा इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। मतलब कि अपना घर न सजा कर किसी दूसरे का घर सजा रहे हैं। यूएई को मालूम है आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल खत्म होने वाले हैं, इसलिए वह अपने आप को टूरिज्म का हब बना रहा है। बड़ी-बड़ी ऊंची इमारतें खड़ी करके दुनियाभर के रईसों को फ्लैट बेच रहा है। असलियत में ये रईस ऐसे फ्लैट्स के मालिक ही नहीं हैं क्योंकि वहां कोई भी बाहरी नागरिक जमीन नहीं खरीद सकता, बस एक एग्रीमेंट है और वह भी यूएई के पक्ष में। संयुक्त अरब अमीरात अपने आप को लिबरल देश के रूप में पेश कर रहा है ताकि दुनियाभर से ज्यादा से ज्यादा पैसा इकट्ठा कर सके। यह उसके शासकों का दिमाग ही तो है वे रेतीली जमीन पर 50 डिग्री तापमान में दुनिया को अपार्टमेंट बेच रहे हैं, असलियत में बेच भी नहीं रहे हैं बस खरीदने वाले को तसल्ली है कि फ्लैट मेरा है।

कुछ साल पहले तक केवल हांगकांग और सिंगापुर ही ट्रांजिट पॉइंट थे। अब दुबई का हवाई अड्डा इंटरनेशनल ट्रांजिट पॉइंट बन चुका है। इस कारण भारत में अन्य देशों के पर्यटकों का आना अपेक्षाकत कम हो गया है क्योंकि पहले नेपाल जाने वाले पर्यटकों को भारत आना ही पड़ता था जबकि अब अमेरिका और यूरोप के पर्यटक पहले दुबई पहुंचते हैं और वहां से सीधे काठमांडू। अमेरिका और यूरोप के पर्यटकों के लिए नेपाल बहुत ही पसंदीदा टूरिस्ट स्पॉट है। हमारे यहां अपराधों की भरमार, तरह-तरह के प्रदर्शनों, कभी नॉनवेज पर पाबंदी तो कभी दंगे आदि के कारण विदेशी पर्यटक बहुत कम आते हैं। रही-सही कसर ऐसे होटल संचालक और टैक्सी-बैक चालक पूरी कर देते हैं जिनके लिए पर्यटक अतिथि न होकर महज टार्गेट हैं यानी हलाल करने वाला बकरा। कुछ दिन पहले मैं और पुष्पेंद्र गोला शिमला की माल रोड पर घूम रहे थे तो हमें कोई भी विदेशी पर्यटक दिखाई नहीं दिया। शिमला की ऐसी हालत देखकर मन बहुत खराब हुआ।
कुछ समय पहले बागेश्वर धाम वाले महाराज दुबई गए थे और दुबई के बारे में बहुत अच्छे-अच्छे बयान दिए। यह भी दुबई का विज्ञापन ही था यानी यूएई के शासकों के दिमाग का खेल। आज यूएई दिमाग से कमाई कर रहा है और हम अपनी बेवकूफियां की वजह से जग हंसाई करवा रहे हैं।