लाहौल-स्पीति : हिमाचल प्रदेश का ठंडा रेगिस्तान
भारत में कई ठंडे रेगिस्तान भी हैं। हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पीति भी ऐसा ही सर्द रेगिस्तान है जहां साल में बमुश्किल ढाई सौ दिन ही धूप निकलती है। यहां बारिश…
भारत में कई ठंडे रेगिस्तान भी हैं। हिमाचल प्रदेश का लाहौल-स्पीति भी ऐसा ही सर्द रेगिस्तान है जहां साल में बमुश्किल ढाई सौ दिन ही धूप निकलती है। यहां बारिश…
इन राष्ट्रीय उद्यानों में हालांकि मानवीय गतिविधियों की इजाजात नहीं है लेकिन साल में कुछ महीने लोगों को यहां आकर वन्यजीवों को निर्भय होकर विचरते देखने का अवसर दिया जाता…
म्यूलिंग वैली की सुन्दरता आपको अन्दर तक विभोर कर देगी। टैंट वगैरह लगाने के बाद हम लोगों ने मैगी बनाकर बड़े मजे से खायी। वहां की सुन्दरता को निहारते और…
गंगटोक का पुराना नाम है गन्तोक। तिब्बती भाषा के इस शब्द का अर्थ है पहाड़। सिक्किम का यह सबसे बड़ा शहर एक प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थल के रूप में उभरा है।…
एस्ट्रो टूरिज्म के अनेक आकर्षण हैं। इनमें प्रमुख है मेटयोर शॉवर यानि अतिशबाजी के समान होने वाली उल्का वृष्टि। ऐसी उल्का वृष्टि हर साल कई बार होती है और यदि…
विरूपाक्ष मन्दिर को विक्रमादित्य द्वितीय की पत्नी रानी लोकमाह देवी ने बनवाया था। इसको बनाने के लिए ईंट और चूने का भी इस्तेमाल किया गया है। तुंगभद्रा के दक्षिणी किनारे…
फुरकिया से पिण्डारी जीरो पॉइण्ट तक का सात किलोमीटर रास्ता बुग्यालों (पर्वतीय घास के मैदानों) से होकर जाता है। कहीं-कहीं बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानें भी मिल जाती हैं। अत्यंत सुन्दर…
इस मन्दिर का निर्माण कच्छप राजा देवपाल ने 1323 ईस्वी (विक्रम संवत 1383) में करवाया था। यह रहस्यमयी मन्दिर इकन्तेश्वर (एकट्टसो) महादेव मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां…
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम ने करीब चार महीने तक सर्वेक्षण कर इसके दुनिया की सबसे ऊंची सड़क होने का प्रमाणपत्र जारी किया। इससे पहले बोलिविया की उतरुंकू…
ऋषिकेश को “गढ़वाल हिमालय का प्रवेश द्वार” और “योग कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड” के रूप में जाना जाता है। इस शहर ने “विश्व की योग राजधानी” के रूप में प्रसिद्धि…