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वैदिक घड़ी

न्यूज हवेली लाइफ स्टाइल डेस्क

भारत की सनातन संस्कृति और सभ्यता में अनेक महान ग्रंथों की रचना तथा अद्भुत वैज्ञानिक प्रयोग और सर्जनाएं हुई हैं। ऐसी ही एक अद्भुत और आज भी समय का सटीक ज्ञान देने वाली सर्जना है- वैदिक घड़ी (Vedic Ghadee) । सामान्य घड़ी ग्रीनविच मीन टाइम और उस पर आधारित आईएसटी (भारतीय मानक समय) बताती है जबकि वैदिक घड़ी (Vedic Ghadee) हम जिस समय, जिस स्थान पर खड़े हैं, उस क्षण की सटीक लोकेशन के आधार पर समय बताती है। यह सूर्य के सिद्धान्तों पर समय बताती है। वैदिक घड़ी (Vedic Clock) सनातन परम्परा में ज्योतिष का अभिन्न हिस्सा है जिसके उपयोग से 27 नक्षत्र, वार, घड़ी, मुहूर्त जान सकते हैं। एक सामान्य व्यक्ति के पास भी यदि वैदिक घड़ी है तो वह मुहूर्त देख सकता है, क्षणवार और चौघड़िया निकाल सकता है। विश्व की पहली वैदिक घड़ी उज्जैन में स्थापित है। (Vedic Ghadee : Know what is Vedic Clock and what are the meanings of the words written in it.)

सनातन धर्म में तिथियों को देखने के लिये पंचांग का उपयोग किया जाता है जिसमे समय का बारीक और सटीक विश्लेषण होता है। ग्रीनविच मीन टाइम पर आधारित आधुनिक कही जाने वाली घड़ियों में जहां 24 घंटे होते हैं, वहीं वैदिक घड़ी (Vedic Ghadee) में 30 घंटे होते हैं। वैदिक घड़ी (Vedic Clock) में 24 मिनट का एक घटी माना जाता है और 60 घटी का एक अघोरा माना जाता है।

वैदिक घड़ी के लाभ

गर्मी में सूर्य अलग समय पर उदित होता है तो सर्द मौसम में इसका अलग समय में उदय होता है। इसी के अनुसार पंचांग बनाए जाते हैं। पंचांग सूर्य सिद्धान्तों पर बनाया जाता है। तीज-त्योहार को देखने के लिए पंचांग पर आश्रित रहना पड़ता है  क्योंकि कोई भी आधुनिक घड़ी इनके बारे में नहीं बताती है। इसके विपरीत वैदिक घड़ी तिथियों, तीज-त्योहारों की तिथि और मुहूर्त को लेकर भ्रम दूर करती है और इससे हम सटीक जानकारी पा सकते हैं। किसी भी स्थान के समय का निर्धारण अक्षांस, देशान्तर रेखा के आधार पर होता है, इसलिए वैदिक घड़ी जिस भी स्थान पर आप हैं वहां से ये अक्षांश और देशान्त रेखा, और सूर्योदय का समय लेकर सटीक जानकारी आप को दे देती है।

वैदिक घड़ी इस तरह बताती है समय

◆ 12:00 बजने के स्थान पर आदित्या लिखा होता है जिसका अर्थ है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं- अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु।

◆ 01:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा होता है जिसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है- एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति

◆ 02:00 बजने की स्थान पर अश्विनौ लिखा होता है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं।

◆ 03:00 बजने के स्थान पर त्रिगुणाः लिखा होता है जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण।

◆ 04:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेदाः लिखा होता है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

◆ 05:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणाः लिखा होता है जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं- अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान।

◆ 06:00 बजने के स्थान पर षड्रसाः लिखा होता है।, इसका तात्पर्य है कि रस छह प्रकार के होते हैं- मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय।

◆ 07:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षयः लिखा होता है। इसका तात्पर्य है कि सप्त ऋषि सात हुए हैं- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ।

◆ 08:00 बजने के स्थान पर अष्ट सिद्धियः लिखा होता है जिसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती हैं- अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।

◆ 09:00 बजने के स्थान पर नवद्रव्यणि लिखा होता है जिसका तात्पर्य है कि निधियां नौ प्रकार की होती होती हैं- पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व।

◆ 10:00 बजने के स्थान पर दशदिशः लिखा होता है।  इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती हैं- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश, पाताल।

◆ 11:00 बजने के स्थान पर रुद्राः लिखा होता है। इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव।

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