ग्रीन सेस वसूलने के लिए इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम (ITS) की मदद से कैमरों के जरिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।
देहरादून। हिमाचल प्रदेश की तरह अब उत्तराखंड में भी बाहरी यानी दूसरे प्रदेशों के वाहनों पर ग्रीन सेस लगेगा। सरकार ने इसे लागू करने के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों ने आवश्यक उपकरणों के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं जिन्हें 11 दिसंबर को खोला जाएगा। उत्तराखंड परिवहन विभाग राज्य की सीमाओं पर स्थित करीब 17 कैंमरों को नई तकनीकी से जोड़ने की योजना बना रहा है। अगले महीने से प्रदेश की सभी सीमाओं पर यह सिस्टम स्थापित किया जाएगा। बैंकिंग संस्थानों को भी ग्रीन सेस कलेक्शन सिस्टम में शामिल किया जाएगा।
उत्तराखंड सरकार ने राज्य में ग्रीन सेस लागू करने के लिए मार्गदर्शन को केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव के तहत सेस की फीस 20 रुपये से 80 रुपये के बीच होने की उम्मीद है। ग्रीन सेस मुख्य रूप से फास्टैग तकनीक के माध्यम से एकत्र किया जाएगा। इलेक्ट्रिक और सीएनजी से चलने वाले वाहनों को इस शुल्क से छूट दी जाएगी।
फास्टैग वॉलेट से कटेगी धनराशि
ग्रीन सेस वसूलने के लिए इंटेलिजेंट टोलिंग सिस्टम (ITS) की मदद से कैमरों के जरिए ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी। एक अधिकारी ने बताया कि ग्रीन सेस वसूलने के लिएम ऑटोमेटिक नंबर-प्लेट रिकॉग्निशन कैमरों (automatic number-plate recognition cameras) का इस्तेमाल किया जाएगा। ये कैमरे उत्तराखंड के बाहर रजिस्टर्ड गाड़ियों की पहचान करेंगे। इसके जरिए सेस की राशि सीधे कार मालिकों के फास्टैग वॉलेट से काट ली जाएगी। दोपहिया वाहनों को सेस से छूट दी गई है। चार पहिया छोटे वाहनें पर 40 रुपये जबकि मध्यम और भारी वाहनों पर क्रमशः 60 और 80 रुपये ग्रीन सेस लगेगा। तिपहिया वाहनों को इस मद में सिर्फ 20 रुपये चुकाने होंगे। सरकारी वाहनों, दमकल की गाड़ियों और एंबुलेंस समेत कुछ श्रेणियों को भी छूट दी गई है।
यह सेस किसी भी वाहन के प्रदेश में प्रवेश करने के बाद एक दिन तक लागू रहेगा। हालांकि, वाहन मालिकों के पास और रुपये देकर इस समय सीमा को बढ़ाने का भी विकल्प होगा।
उत्तराखंड में पहले सिर्फ भारी वाहनों से ग्रीन सेस वसूला जाता था लेकिन अब अन्य वाहनों को इसमें शामिल किए जाने के बाद प्रदेश के राजस्व को काफी फायदा पहुंचेगा। अभीतक ग्रीन सेस से तकरीबन 60 करोड़ रुपये वसूला जाता था लेकिन अब अन्य वाहनों के शामिल होने के बाद राज्य को 150 करोड़ से ज्यादा का राजस्व प्राप्त हो सकता है।