सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है। यह आरंभ में बहुत छोटा था। बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण करके उसे शानदार और भव्य बनाया गया।
जयपुर। (Shri Sanwaliya Seth Donation) राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित श्री सांवलिया सेठ मंदिर (Shri Sanwalia Seth Temple) मेवाड़ का सुप्रसिद्ध कृष्ण धाम है। इस मंदिर में हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर भंडार (दान पात्र) खोला जाता है। इस बार 30 नवंबर को राजभोग आरती के बाद मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी, मन्दिर मण्डल के अध्यक्ष और सदस्यों की मौजूदगी में भंडार खोला गया। 6 दिन लगातार चली चढ़ावे की गिनती में भगवान के भंडार में 34 करोड़ 91 लाख 95 हजार 8 रुपये निकले हैं। इसके अलावा ढाई किलो से अधिक सोना और करीब 188 किलो चांदी मिली है।
भंडार खुलने के बाद पहले ही दिन रिकॉर्ड तोड़ 11 करोड़ 34 लाख 75 हजार रुपयो के नोटों की गिनती की गई। दूसरे चरण में 3 करोड़ 60 लाख रुपये, तीसरे चरण में 4 करोड़ 27 लाख 80 हजार रुपये और चौथे चरण की दानराशि की गिनती में 2 करोड़ 73 लाख 90 हजार रुपयो के नोटों की गिनती की गई। इसके साथ ही कुल 6 चरणों में हुई नोटों की गिनती में करीब 35 करोड़ रुपये का चढ़ावा प्राप्त हुआ।
श्री सांवलिया सेठ मन्दिर के दानपात्र की गिनती इस बार 6 दिनों तक चली है जिसमें 35 करोड़ रुपये की नकदी के साथ दानपात्र/भंडार से ढ़ाई किलो सोना और 127 किलो से अधिक चांदी भी चढ़ावे में प्राप्त हुई है। इस बार दो माह में श्री साँवलिया सेठ का भंडार खोला गया। पिछली बार दीपावली के बाद खोले गए भंडार से 13 करोड़ 86 लाख रुपये चढ़ावें में आए थे।
इससे पहले सितम्बर में जब मंदिर का भंडार खोला गया था तो दानपात्र से कुल 15 करोड़ 92 लाख 88 हजार 400 रुपए प्राप्त हुए थे। इसके अलावा सांवलिया सेठ के भक्तों ने ऑनलाइन और भेंट कक्ष में 3 करोड़ 52 लाख 55 हजार रुपये का चढ़ावा चढ़ाया था। भंडार और भेंट कक्ष से कुल 19 करोड़ 45 लाख 43 हजार 400 रुपये प्राप्त हुए थे।
श्री सांवलिया सेठ के मन्दिर में नवंबर में अब तक का सबसे अधिक चढ़ावा आया हैं। इस बार मंदिर में भक्तों की संख्या इतनी अधिक थी कि यहां दो अतिरिक्त दान पेटियां लगाई गई। दानपात्रों से 12 से अधिक की विदेशी मुद्राएं भी निकली हैं जिसकी भारतीय मुद्रा में करीबन 20 लाख रुपये कीमत बताई जा रही हैं। मंदिर का भंडार दीपावली पर दो माह में और होली के समय डेढ़ माह में खोला जाता हैं। बाकी महीनों में हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर यह भंडार खोला जाता है।
सांवरिया सेठ मंदिर का इतिहास लगभग 250 वर्ष पुराना है। यह मंदिर आरंभ में बहुत छोटा था और समय के साथ क्षीण होता गया। बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण करके उसे शानदार और भव्य बनाया गया। यहां भगवान श्रीकृष्ण को सांवलियाजी, सांवरिया सेठ सांवरा सेठ या सेठों के सेठ के नाम से भी जाना जाता है।