न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उत्तर प्रदेश पुलिस को चेतावनी दी,“आप अपने डीजीपी को बता दें कि हम ऐसा कठोर आदेश दे देंगे जो सारी जिंदगी याद रहेगा।”
नई दिल्ली। (Supreme Court scolded UP Police badly) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार लगाई। गैंगस्टर अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली से खासी नाराज हुई। कहा,“उत्तर प्रदेश पुलिस पावर एंजॉय कर रही है। उसे संवेदनशील होने की जरूरत है।”न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उत्तर प्रदेश पुलिस को चेतावनी दी,“आप अपने डीजीपी को बता दें कि हम ऐसा कठोर आदेश दे देंगे जो सारी जिंदगी याद रहेगा।”अदालत ने अनुराग दुबे को फौरी तौर पर राहत देते हुए यूपी पुलिस को आदेश दिया कि अग्रिम जमानत पर सुनवाई होने तक अनुराग दुबे की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान की पीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हैं और उसे डर है कि अगर वह जांच के लिए अदालत में पेश हुआ तो उसके खिलाफ एक और नया मामला दर्ज किया जाएगा। यह देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता जांच अधिकारी की ओर से उसके मोबाइल फोन पर दिए गए किसी भी नोटिस का पालन करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा।
उत्तर प्रदेश राज्य की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राणा मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अदालत के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था लेकिन वह जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ। इसके बजाय उसने एक हलफनामा भेजा। इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि याचिकाकर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर देगी। वह शायद इसलिए पेश नहीं हो रहा होगा क्योंकि उसे पता है कि आप कोई और झूठा केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लेंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा,“आप अपने डीजीपी को बता सकते हैं कि जैसे ही वह (अनुराग दुबे) छू गया, हम ऐसा कठोर आदेश देंगे कि सारी ज़िंदगी याद रहेगा। हर बार आप उसके खिलाफ एक नई एफआईआर लेकर आते हैं। अभियोजन पक्ष कितने मामलों को बरकरार रख सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है। जिसने रजिस्टर्ड सेल डीड से खरीदा हो, उसे आप ज़मीन हड़पने वाला कहते हैं? यह सिविल विवाद है या क्रिमिनल विवाद?”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा,“हम सिर्फ़ यह बता रहे हैं कि आपकी पुलिस किस खतरनाक क्षेत्र में घुस गई है और उसका मज़ा ले रही है। सत्ता से कौन चूकना चाहेगा? अब आप पुलिस की सत्ता संभाल रहे हैं। अब आप सिविल कोर्ट की सत्ता संभाल रहे हैं और इसलिए आप मौज-मस्ती कर रहे हैं। यूपी की वकील राणा मुखर्जी ने इस पर कहा कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ गया तो उनका ब्रीफ उत्तर प्रदेश राज्य को वापस भेज दिया जाएगा।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि मुद्दा यह है कि पुलिस को किस तरह संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। अदालत ने दुबे के वकील अभिषेक चौधरी से भी पूछा कि वह क्यों पेश नहीं हो रहे हैं? वकील ने जवाब दिया कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है। हालांकि, दुबे ने पुलिस अधिकारियों को अपना मोबाइल फोन नंबर दिया है, ताकि वे उन्हें सूचित कर सकें कि उन्हें कब और कहां पेश होना है।
न्यायमूर्ति भुयान ने राणा मुखर्जी से पूछा कि अनुराग दुबे को पेश होने के लिए कैसे कहा गया था? मखर्जी ने जब उन्हें बताया कि एक पत्र भेजा गया था तो पीठ ने टिप्पणी की कि आजकल सब कुछ डिजिटल हो गया है। उन्होंने पुलिस को सुझाव दिया कि दुबे के मोबाइल फोन पर एक संदेश भेजा जाए। इसमें यह विवरण दिया जाए कि उन्हें कहां पेश होना है। अदालत ने उत्तर प्रदेश पुलिस के वकील से यह भी कहा कि अगर पुलिस अनुराग दुबे को कोर्ट की इजाजत के बगैर गिरफ्तार करती है तो संबंधित आधिकारी के खिलाफ कोर्ट कार्रवाई करेगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “उसे जांच में शामिल होने दें लेकिन उसे गिरफ्तार न करें और अगर आप सच में सोचते हैं कि किसी खास मामले में गिरफ़्तारी ज़रूरी है तो आइए और हमें बताइए कि ये कारण हैं लेकिन अगर पुलिस अधिकारी ऐसा कर रहे हैं तो आप हमसे यह ले लीजिए, हम न सिर्फ़ उन्हें निलंबित करेंगे, बल्कि उन्हें कुछ और भी खोना पड़ेगा।”
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