Tue. Mar 25th, 2025
Supreme Court

नई दिल्ली। (Ban on transfer of madrassa students to government schools) सुप्रीम कोर्ट ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सभी छात्रों को सरकारी स्कूलों में ट्रांसफर करने और मदरसों से गैर मुस्लिम छात्रों को हटाने के फैसले पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के इस आदेश के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद ने याचिका दायर की थी। उत्तर प्रदेश सरकार का यह आदेश राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट पर आधारित था। इसमें राइट टू एजुकेशन (RTE) एक्ट 2009 का पालन नहीं करने वाले मदरसों की मान्यता रद्द करने और सभी मदरसों की जांच करने को कहा गया था।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सोमवार को यह बड़ा फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता के इस कथन का संज्ञान लिया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के संचार और कुछ राज्यों की कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है।

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देश की सबसे बड़ी अदालत ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों और सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर-मुस्लिम छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था। शिक्षा के अधिकार अधिनियम का पालन न करने के कारण सरकारी अनुदान प्राप्त/सहायता प्राप्त मदरसों को बंद करने की एनसीपीसीआर की सिफारिश और केंद्र तथा राज्यों द्वारा की गई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इस साल 7 जून और 25 जून को एनसीपीसीआर ने जो सिफारिश की है उस पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एनसीपीसीआर की सिफारिश के मद्देनजर जिन राज्यों ने आदेश जारी कर कार्रवाई की है उस पर रोक भी लगी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वह उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा को इस मामले में दाखिल याचिका में पक्षकार बनाएं। साथ ही अन्य राज्यों को भी अपनी याचिका में पक्षकार बनाने की भी अनुमति दे दी।

एनसीपीसीआर की रिपोर्ट में क्या था?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जब तक मदरसे शिक्षा के अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें  दिया जाने वाला फंड बंद कर देना चाहिए।

इस रिपोर्ट पर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा था। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर अल्पसंख्यक संस्थानों को चुनिंदा तरीके से निशाना बनाने का आरोप लगाया था। इसके बाद एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था कि उन्होंने कभी भी ऐसे मदरसों को बंद करने की मांग नहीं की थी बल्कि उन्होंने सिफारिश की थी कि इन संस्थानों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद कर दी जानी चाहिए क्योंकि ये गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं।

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