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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर बड़ा फैसला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना था।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद मामले पर बड़ा फैसला दिया। इस फैसले में मस्जिद कमेटी को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को लेकर मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई थी। उसने एक याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की सुनवाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया यानी मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में ही होगी। हालांकि, विवादित परिसर के सर्वे पर रोक रहेगी।

एक अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पांच आपत्तियों को खारिज कर दिया था। इसके बाद हिंदू पक्षकारों की तरफ से दाखिल सभी 18 सिविल वादों को सुनने योग्य करार दिया था। हाई कोर्ट के फैसले पर ऐतराज जताते हुए मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी।

मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलील दी गई है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य नहीं है। मस्जिद कमिटी का दावा है कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी, यह एक्ट के तहत साफ है। ऐसे में उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।

एक अगस्त को आया था फैसला

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह प्रकरण में मंगलवार करीब 1600 पेज की याचिका को सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। एक अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद को सुनवाई योग्य माना था। इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के हिंदू पक्ष के दावों को सुनवाई के योग्य मानने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी और हाई कोर्ट के फैसले को गलत करार दिया गया।

मुस्लिम पक्ष ने दायर की थी अपील

इलाहाबाद हाई कोर्ट के हिंदू पक्ष के दावों को सुनवाई के योग्य मानने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई और इस फैसले को गलत करार दिया गया। मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह ने इससे पहले बताया कि मुस्लिम पक्ष की इस अपील पर हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट लगाई। सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से भी अपनी बात रखी गई। सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट संख्या 2 में न्यायमीर्ति संजीव खन्ना और न्यायामूर्ति संजय कुमार ने मामले में सुनवाई की।

दोनों पक्षों की अपनी दलीलें

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद केस में दोनों पक्षों की ओर से अपनी-अपनी दलीलें दी जा रही है। हिंदू पक्ष की ओर से दी जा रही दलील में कहा गया है कि शाही ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है। वह हिस्सा भी जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद है, मंदिर का हिस्सा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। श्रीकृष्ण मंदिर तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। हिंदू पक्ष ने कहा है कि बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इसे वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है।

मुस्लिम पक्ष की ओर से अपनी दलील दी गई है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 60 साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं है। लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य नहीं है। मस्जिद कमिटी का दावा है कि उपासना स्थल अधिनियम 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी, यह एक्ट के तहत साफ है। ऐसे में उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती है।

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