News Haveli, नई दिल्ली। प्रयागराज महाकुंभ में हुई भदगड़ (Mahakumbh Stampede) और शामिल होने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देश और नियम लागू करने की मांग करने वाली जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है।
शीर्ष न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई 3 फरवरी की वाद सूची के अनुसार मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। पीठ के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने दलील दी कि इस संबंध में पहले ही इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा चुकी है। इस पर शीर्ष कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस दलील पर ध्यान देते हुए कहा कि महाकुंभ (महाकुंभ 2025) में हुई भगदड़ दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। साथ ही अधिवक्ता को इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा।
भगदड़ मचने से 30 लोगों की हुई मौत
महाकुंभ : भगदड़ में 30 लोगों की मौत की पुष्टि, 60 घायल
मौनी अमावस्या पर 28/29 जनवरी की रात करीब डेढ़ बजे संगम नोज पर भगदड़ मच गई थी। भीड़ में कई लोग कुचल गए। उत्तर प्रदेशसरकार के मुताबिक 30 लोगों की मौत हुई और 60 घायल हो गए थे। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई। याचिका में भगदड़ की घटनाओं को रोकने और अनुच्छेद 21 के तहत समानता एवं जीवन के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का अनुरोध किया गया था। याचिका में माग की गई थी कि वीआईपी मूवमेंट से आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्रभावित न हो, उनके लिए कोई खतरा पैदा न हो। यह भी कहा गया था सभी राज्यों को अपने सुविधा केंद्र बनाना चाहिए, ताकि आप्तकाल में राज्य अपने लोगों की मदद कर सके।
याचिका में सरकार से स्थिति रिपोर्ट पेश करने की मांग
याचिका में कहा गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की वह उत्तर प्रदेश सरकार को भगदड़ की घटना पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने और लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दे।
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