Saputara: सापुतारा का शाब्दिक अर्थ है “सांपों का निवास”। इस क्षेत्र के आदिवासी सांपों की पूजा करते हैं। यह डांग जिले में सह्याद्रि के पठार में एक बेहद ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 875 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर गुजरात का एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल है। सापुतार का मौसम अत्यन्त सुहावना है और किसी भी मौसम में घूमा जा सकता है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
नासिक में मन्दिरों को देखने के बाद हम सापुतारा (Saputara) के लिए रवाना हुए तो दोपहर के ढाई बज चुके थे। करीब सवा दो घण्टे के सफर के बाद हमने अपने होटल में चेक-इन किया। होटल के स्टाफ ने सलाह दी कि चाय-नाश्ते के उपरान्त सनसेट व्यू पॉइन्ट से सापुतारा (Saputara) भ्रमण की शुरुआत करना अच्छा रहेगा। इस स्थान से सूर्यास्त का अत्यन्त भव्य दृश्य देखने को मिला। इसे पश्चिम भारत के कुछ सबसे अच्छे सूर्यास्त बिन्दुओं में रखा जा सकता है।
सापुतारा (Saputara) का शाब्दिक अर्थ है “सांपों का निवास”। इस क्षेत्र के आदिवासी सांपों की पूजा करते हैं। यह डांग जिले में सह्याद्रि के पठार में एक बेहद ही खूबसूरत हिल स्टेशन है। समुद्र तल से 875 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर गुजरात का एकमात्र पर्वतीय पर्यटन स्थल है जो अपनी झील, हरियाली, जैव विविधता, नदियों, झरनों, जलप्रपातों, ट्रैकिंग रूट, उद्यानों और जनजातीय कला के लिए जाना जाता है। वन्यजीव प्रेमियों और साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए यह एक बहुत ही अच्छा गंतव्य है।
सापुतार (Saputara) का मौसम अत्यन्त सुहावना है और किसी भी मौसम में घूमा जा सकता है। मानसून के आखिरी दिनों में यहां की खूबसूरती पूरे निखार पर होती है और मौसम भी बहुत सुहावना होता है। गर्मी के दिनों में भी यहां का अधिकतम तापमान 30 डिग्री के आसपास रहता है।सर्दियों में यहां का तापमान आठ से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। मानसून में यहां औसत बारिश होती है।
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सापुतार के देखे योग्य स्थान (Places to visit in Saputar)
सापुतारा झील :
यह मानव निर्मित झील सापुतारा हिल स्टेशन से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर है। इसे सापुतारा घाटी के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन और पिकनिक स्थलों में से एक माना जाता है। पहाड़ों और हरियाली से घिरी यह झीलबोटिंग एक्टिविटी के लिए भी प्रसिद्ध है। झील के पास कई बोटिंग क्लब हैं।झील के आसपास कई पार्क और खेल के मैदान भी बनाये गये हैं। यहां फूड जोन, चाय के स्टॉल और स्थानीय उत्पाद बेचने वाली कई दुकानें हैं। मानसून के ठीक बाद इस झील का सौन्दर्य देखने लायक होता है।
लेक व्यू गार्डन : यहां विभिन्न प्रकार के पौधों और पेड़ों को सुव्यवस्थित तरीके से लगाया गया है। हर मौसम में खिले रहने वाले फूल इसे और भी आकर्षक बनाते हैं।
मधुमक्खी केन्द्र : लेक व्यू गार्डन के पास स्थित इस हनी बीज सेण्टर में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है। पर्यटक यहां शहद उत्पादन प्रक्रिया को जानने-समझने के लिए आते हैं। आप चाहें तो यहां से शुद्ध शहद खरीद सकते हैं।
हटगढ़ किला :
यह किलागुजरात और महाराष्ट्र की सीमा पर नासिक जिले के मुल्हेर में है।सापुतारा से यह करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3,600 फीट की ऊंचाई पर स्थित इसकिले तक ट्रैकिंग करते हुए पहुंचना एक अलग ही तरह का अनुभव है। यहां गंगा और यमुना नामक दो जलाशय हैंजो आसपास के गांवों के लिए पानी के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं। किले के शीर्ष से आसपास की घाटी और सुरगाना गांव के शानदार नजारे दिखते हैं।
स्टेप गार्डन :
इस बगीचे को कई चरणों के एक सेट की तरह बनाया गया है। यहां सीढ़ीदार उतार-चढ़ाव के इर्द-गिर्द खिले फूल अत्यन्त आकर्षक लगते हैं। यह सापुतारा बस स्टेशन के पास ही है।
रोज गार्डन :
इस बगीचे को गुलाब की विभिन्न किस्मों केकेन्द्र के रूप में विकसित किया गया है। यह लेक गार्डन और स्टेप गार्डन के पास ही है।
सूर्यास्त बिन्दु :यह सापुतारा के सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है।वैनिटी रोपवे रिजॉर्ट से यहां तक रोपवे से पहुंचा जा सकता है। ट्रैकिंग का शौक है तो पैदल ही यहां पहुंच सकते हैं। यहां से शानदार सूर्यास्तदेखने के अलावा आसापास के प्राकृतिक सौन्दर्य को भी देखा जा सकता है।
सापुतारा एडवेंचर पार्क :यह पार्कगवर्नर हिल पर सूर्यास्त बिन्दु के पास ही स्थित है। यहां पर सुबह आठसे शाम छह बजे तक रॉक क्लाइम्बिंग, जिप लाइन, पैराग्लाइडिंग जैसी एडवेंचर एक्टिविटी का आनन्द ले सकते हैं।
टाउनव्यू पॉइंट :शहर से करीब एक किमी दूर स्थित इस स्थान से सापुतारा का विहंगम दृश्य दिखायी देता है।
वांसदा राष्ट्रीय उद्यान :
23.99 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राष्ट्रीय अभयारण्यदक्षिणी गुजरात में नवसारी जिले की पूर्वी सीमा पर स्थित है। यह सापुतारा से मात्र 40 किमी दूर है। यहां के घने नम पर्णपाती जंगल के कुछ हिस्से दिन में भी अंधेरे में रहते हैं। यहतेंदुए, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, सांभर, चौसिंगा (चार सींग वाले मृग) और कई प्रकार के सरीसृप और पक्षी प्रजातियों का घर है। पार्क में फूलों और पौधों की लगभग 443 प्रजातियां मिलती हैं जिनमें बांस, दूधकोड, काकड़, तिमरू, हम्ब, कलाम, मोदद, हल्दू, शीशम आदि शामिल हैं। इसे 1979 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य :
डांग जिले में सापुतारा (Saputara) से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित इस अभयारण्य का नामकरण इस क्षेत्र में बहने वाली पूर्णा नदी के नाम पर किया गया है। लगभग 160 वर्ग किलोमीटर में फैलेइस वन क्षेत्र में पेड़-पौधों की 700 से अधिक प्रकार की प्रजातियां पायी जाती हैं जिनमें सागौन और बांस प्रमुख हैं। यहां प्रवासी पक्षियों की करीब 140 प्रजातियों के अलावाहाथी, गेंडा, भालू, हिरण, तेंदुआ आदि भी पाये जाते हैं।इस वजह से वनस्पति विज्ञान में रुचि रखने वालों यात्रियों और खोजकर्ताओं के लिए यह अभयारण्य किसी स्वर्ग से कम नहीं है। इस वन क्षेत्र को 1990 में अभयारण्य घोषित किया गया था।
गिरा जलप्रपात:
यह जलप्रपात डांग जिले के पश्चिमी भाग वघई के पास गिरमल के समीप स्थित है। इसे गिरमल प्रपात भी कहते हैं। इसे गुजरात का सबसे बड़ा जलप्रपात माना जाता है। गिरा एक छोटी नदी है जिसकी लम्बाई लगभग 130 किलोमीटर है और यह पर्वत के ढलानों पर अपनी घाटी बनाती हुई उतरती है। इसके निचले और अन्तिम भाग में यह प्रपात स्थित है जहांइसका पानीकरीब 30 मीटर ऊंचाई से अम्बिका नदी में गिरता है।मानसून के दौरान पानी का प्रवाह बढ़ने पर यह प्रपात अत्यन्त भव्य दिखता है। इसे “गुजरात का नियाग्रा” भी कहा जाता है। यह सापुतार से करीब 49 किमी पड़ता है।
वघई बॉटनिकल गार्डन :
24 हेक्टेयर में फैला वघई वनस्पति उद्यान गुजरात के सबसे बड़े उद्यानों में से एक है। हर साल एक लाख से भी अधिक पर्यटक यहां आते हैं। यहां पेड-पौधों की लगभग 1,400 प्रजातियां संरक्षित हैं। इस उद्यान के हर गलियारों का नाम किसी न किसी पौधे केनाम पर रखा गय़ा है।
आर्टिस्ट विलेज :कलाकारों के इस गांव में आप मूल निवासी जनजातियों (भील, कुनबी और वारली) द्वारा तैयार की गयी कलाकृतियों को देख और खरीद सकते हैं जिनमें वारली पेन्टिंग, मिट्टी के बर्तन व अन्य सामान औरबांस की कलाकृतियां शामिल हैं। यह बस स्टेशन से करीब एक किमी दूर है।
सापुतारा जनजातीय संग्रहालय :
इस संग्रहालय में स्थानीय जनजातिय़ों के रीति-रिवाजों, पोशाक और इतिहास के प्रदर्शित किया गया है।यहां आप शरीर पर बनाये जाने वाले टैटू, अंत्येष्टि पत्थर के स्तम्भ, घास की सजावट, भरवां पक्षी, लकड़ी पर नक्काशी, मिट्टी की अनुष्ठान कलाकृतियां, नृत्य-नाटका में पहने जाने वाले मुखौटे आदि देख सकते हैं।
पाण्डव गुफा :
सापुतारा से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित ये गुफा समूह रोमांच की तलाश में रहने वालों के लिए एक आदर्श स्थान हैं। इन्हें अरवलम गुफाओं के रूप में भी जाना जाता है। मिथक है कि पाण्डवों ने छिपने और आराम करने के लिए उस जगह की इस्तेमाल किया था।एक अन्य कहानी के अनुसार यहां के बौद्ध भिक्षुक पीले रंग (पाण्डू वर्ण) के वस्त्र पहनते थे, इस कारण इन गुफाओं को पाण्डव नाम मिला।
सप्तश्रृंगी देवी मन्दिर :
आमतौर पर 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं लेकिनदेवी भागवत पुराण में 108 शक्तिपीठों का उल्लेख है जिनमें से साढ़े तीन शक्तिपीठ महाराष्ट्र में हैं। सप्तश्रृंगी को अर्धशक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा किसी भी पुराण में अर्धशक्तिपीठ का उल्लेख नहीं है। यह मन्दिर सापुतारा से करीब 90 किमी दूर महाराष्ट्र में नासिक के पास वाणी में स्थित है। यहसह्याद्रि पर्वतमाला की सात चोटियों से घिरा हुआ है, इसलिए इसका नाम सप्त श्रृंगी माता (सात चोटियों की माता) के नाम पर रखा गया है। यहां माता की मूर्ति कोसिन्दूर से लेपित किया जाता है।माना जाता है देवी ने यहीं महिषासुर का वध किया था। गोदावरी नदी के किनारे बने इस मन्दिर में देवी की पूजा तीन महाशक्तियों यानी काली, महालक्ष्मी और सरस्वती के रूप में की जाती है। यहां तक पहुंचने के लिए करीब पांच सौ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।
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ऐसे पहुंचें सापुतारा (How to reach Saputara)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा नासिक इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 71 किलोमीटर दूर है। सूरत इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 164 किलोमीटर जबकि मुम्बई का छत्रपति शिवाजी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट लगभग 255 किमी दूर है।
रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन वघई सापुतारा से करीब 52 जबकि बिलिमोरा रेलवे स्टेशन यहां से लगभग 112 किमी पड़ता है। महाराष्ट्र से सापुतारा जाने के लिए नासिक की ट्रेन पकड़ सकते हैं जहां से सापुतारा करीब 90 किलोमीटर है।
सड़क मार्ग :सापुतारा गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख शहरों से काफी हद तक जुड़ा हुआ है। यह मुम्बई से 256, अहमदाबाद से 402, नासिक से 91 और सूरत से करीब 156 किलोमीटर पड़ता है।