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ziaur rahman burke

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News Haveli, प्रयागराज। संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा (Sambhal violence) के लिए लोगों को भड़काने के मामले में आरोपी सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क (Ziaur Rahman Burke) की अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अर्नेश कुमार केस के तहत थोड़ी राहत दी है। इसमें 7 साल से कम सजा वाले अपराध में सामान्य तौर पर गिरफ्तारी नहीं करने का आदेश दिया गया है। हालांकि हाई कोर्ट (Allahaba High Court) ने बड़ा झटका देते हुए सभी एफआईआर को क्लब कर एक साथ सुनवाई करने तथा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग ठुकरा दी है। अदालत ने कहा कि इस मामले में एफआईआर रद्द नहीं होगी और पुलिस की जांच जारी रहेगी। सांसद बर्क के खिलाफ हिंसा के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में नामजद एफआईआर दर्ज है।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने जियाउर्रहमान बर्क की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और शासकीय अधिवक्ता ए के सण्ड ने पक्ष रखा।

कोर्ट ने कहा है कि जिन धाराओं में सांसद बर्क के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनमें 7 साल से कम की सजा होती है। इस मामले में पुलिस सांसद बर्क को नोटिस जारी करेगी। नोटिस जारी कर उन्हें पूछताछ के लिए बुला सकती है। सांसद बर्क को पुलिस की जांच में सहयोग करना होगा।

हाई कोर्ट ने कहा कि अगर पुलिस के नोटिस देने पर बयान दर्ज करने के लिए सांसद बर्क नहीं आएंगे और पुलिस की जांच में सहयोग नहीं करेंगे तभी उनकी गिरफ्तारी होगी। अदालत ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश पर अमल करने को कहा है।

दरअसल, संभल में 24 नवंबर 2024 को मस्जिद सर्वे को लेकर भड़की हिंसा मामले में पुलिस ने सपा के स्थानीय सांसद जियाउर्रहमान बर्क को आरोपी नंबर एक बनाया है। उनके खिलाफ कई धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद सांसद बर्क ने एफआईआर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी और एफआईआर रद्द किए जाने की गुहार लगाई थी।

सांसद जियाउर्रहमान बर्क की तरफ से अधिवक्ता इमरान उल्लाह और सैयद इकबाल अहमद ने दलीलें पेश की और कहा कि जिस दिन हिंसा भड़की थी, सांसद शहर में मौजूद नहीं थे।

 

 

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