Rajgir: पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर (Rajgir) ब्रह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र तथा जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ स्वामी का जन्मस्थान और 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रथम देशना स्थली भी रहा है। यह भगवान बुद्ध की साधना भूमि भी है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
राजगीर, एक ऐसा नगर जिसे मगध साम्राज्य की पहली राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। इतिहास के पन्नों में वसुमतिपुर, वृहद्रथपुर, गिरिब्रज, कुशग्रपुर, राजगीहा, राजगृह आदि नामों से भी इसका उल्लेख मिलता है। ऋगवेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय उपनिषद, वायु पुराण, महाभारत और वाल्मीकि रामायण में भी इसका जिक्र आता है। इस नगर की स्थापना की तारीख अज्ञात है, हालांकि यहां लगभग 1000 ईसा पूर्व के चीनी मिट्टी के पात्र पाये गये हैं। शहर में ढाई हजार साल पुरानी साइक्लोपियन दीवार भी है जो चार मीटर चौड़ी और 40 किलोमीटर लम्बी है।
पटना से 100 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसा राजगीर (Rajgir) ब्रह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र तथा जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतनाथ स्वामी का जन्मस्थान और 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रथम देशना स्थली भी रहा है। यह भगवान बुद्ध की साधना भूमि भी है। इस प्रकार यह हिन्दुओं के साथ ही बौद्ध और जैन धर्मवलम्बियों की आस्था का एक बड़ा केन्द्र है। जैन ग्रन्थ विविध तीर्थकल्प के अनुसार राजगीर जरासंध, श्रेणिक, बिम्बसार, कनिष्क आदि प्रसिद्ध शासकों का निवास स्थान था। महाभारत के अनुसार, जरासंध ने यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण को हराकर मथुरा से द्वारिका जाने को विवश किया था। (Rajgir: The holy land of three religions)
Chitradurga Fort – चित्रदुर्ग किला : वेदवती के तट पर स्वर्णिम इतिहास
राजगीर में घूमने योग्य स्थान (Places to visit in Rajgir)
राजगीर (Rajgir) यूं तो कभी भी जा सकते हैं पर अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा माना जाता है। गृद्धकूट पर्वत, विपुलाचल पर्वत (जैन मन्दिर), आचार्य महावीर कीर्ति दिगम्बर जैन सरस्वती भवन (Acharya Mahavir Kirti Digambar Jain Saraswati Bhawan), गिरियक स्तूप,विश्वशान्ति स्तूप, लक्ष्मी नारायण मन्दिर, लाल मन्दिर, बाबा सिद्धनाथ का मन्दिर, सप्तपर्णी गुफा, मनियार मठ, वीरशासन धाम, वेणु वन, सोन भण्डार, बिम्बसार का बन्दीगृह, शंखलिपि शिलालेख, वीरयातन संग्रहालय, ह्वेन त्सांग मेमोरियल हॉल, राजगीर जू सफारी आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय़ स्थल हैं।
प्राचीन भारत के विश्व प्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय (Nalanda University) के खण्डहर राजगीर (Rajgir) से 12 किलोमीटर दूर स्थित हैं। इसके अलावा जरासंध का अखाड़ा, मराका कुक्षी, जीवका अवन गार्डन, अजातशत्रु का किला, वेणु वन, साइक्लोपियन वॉल, हॉट स्प्रिंग्स, घोड़ा कटोरा झील,यस्थीवाना, जीविका मैंगो गार्डनभी घूम सकते हैं। राजगीर में 22 कुण्ड और 52 धाराएं हैं जो देवताओं, ऋषि-मुनियों और नदियों के नाम पर हैं। राजगीर रोपवे भारत का सबसे पुराना रोपवे है।
राजगीर में क्या खायें (What to eat in Rajgir)
राजगीर (Rajgir) अपने स्वादिष्ट भोजन के लिए प्रसिद्ध है। यहां उत्तर भारतीय, जापानी, थाई, कोरियाई और चीनी व्यंजन मिलते हैं। यहां के लिट्टी-चोखा, पेड़ाकिया, चना घुगनी, खाजा, मटन कबाब, रेशमी कबाब, नैवेद्यम, चन्द्रकला, लवंग लतिका, पेड़ा, दाल पेठा, खजुरिया आदि का स्वाद लेना न भूलें।
ऐसे पहुंचें राजगीर (How to reach Rajgir)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा पटना का जयप्रकाश नारायण इण्टरनेशनल एयरपोर्ट राजगीर (Rajgir) से करीब 101 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग : नयी दिल्ली, आनन्द विहार, पटना, बक्सर, चितरंजन, दुर्गापुर आदि से राजगीर के लिए ट्रेन मिलती हैं। गया रेलवे स्टेशन यहां से करीब 63 किमी पड़ता है।
सड़क मार्ग : पटना, गया, पावापुर आदि से राजगीर के लिए नियमित सरकारी बस सेवा उपलब्ध है।
Chennakeshava Temple – चेन्नाकेशव मन्दिर : होयसल वास्तुकला की अनुपम कृति
[…] Rajgir – राजगीर : तीन धर्मों की पावन भूमि […]