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कोस्टारिका, फिलीपींस, ब्राजील, थाइलैंण्ड और भारत अनानास के प्रमुख उत्पादक हैं। हमारे देश में असम, मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल, गोवा और महाराष्ट्र में इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है। केरल, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तो इसकी खेती बारहों महीने की जाती है।

रेनू जे त्रिपाठी

दुनिया के सबसे घुमक्कड़ सब्जी, फल और मेवों के परिवार का सदस्य है अनानास (Pineapple)। यह भी हजारों किलोमीटर का सफर तय करता हुआ भारत पहुंचा। यहां की सरजमी इसे इस कदर भायी कि आज भारत इसका पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है। भारतीयों को इसका स्वाद और तासीर इस कदर पसंद है कि वे इसे काट कर खाते हैं, रायता बनाते हैं, जूस पीते हैं और जैम, प्यूरी एवं सिरप के रूप में भी सहेजते हैं। शादी-ब्याह में वर और कन्या पक्ष द्वारा एक-दूसरे को भेंट की जाने वाली फलों की टोकरी में यह किसी महाराजा की तरह ताज लगाये बीचों-बीच विराजमान रहता है।

अनानास मूल रूप से उष्णकटिबन्धीय जंगल में उत्पादित होने वाला फल है। शुरुआत में दक्षिणी ब्राजील और पराग्वे के बीच पराना-पराग्वे नदियों के जल निकासी क्षेत्र में इसके सघन झाड़ीनुमा जंगल हुआ करते थे। यहां से यह कैरेबियन द्वीप समूह, मध्य अमेरिका और मैक्सिको तक पहुंचा। अमेरिका के मूल निवासी इसके इस कदर दीवाने थे कि यह उनके आहार का मुख्य घटक बना गया। अब तक प्राप्त प्रमाणों के अनुसार इसका स्वाद चखने वाले पहला यूरोपीय कोलम्बस था जो सन् 1493 में ग्वाडेलोप पहुंचा था। पुर्तगालियों के साथ यह 1550 में भारत पहुंचा।

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अनानास (Pineapple) की तासीर ठंडी होती है। इस कारण गर्मी के मौसम में इसको खाने या जूस पीने से शरीर को अंदर से ठंडक मिलती है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जिनमें विटामिन सी, बीटा-कैरोटिन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, फॉलिक एसिड, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि शामिल हैं। हालांकि ब्लड शुगर के मरीजों को इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। इसमें प्राकृतिक मिठास की मात्रा बहुत अधिक होती है जो शरीर का शुगर लेवल बढ़ा सकती है। अनानास को दूध में मिलाकर या दूध के साथ कतई न खायें। इसकी वजह है इसमें मौजूद एंजाइम ब्रोमेलैन जो प्रोटीज नामक एंजाइमों के एक समूह से संबंधित है। इसके सम्पर्क में आते ही दूध फट जाता है। ऐसे दूध को शरीर के लिए असुरक्षित माना जाता है।

अनानास
अनानास

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कोस्टारिका, फिलीपींस, ब्राजील, थाइलैंण्ड और भारत अनानास के प्रमुख उत्पादक हैं। हमारे देश में असम, मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल, गोवा और महाराष्ट्र में इसकी बड़े पैमाने पर खेती होती है। केरल, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तो इसकी खेती बारहों महीने की जाती है। अब उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में भी इसका उत्पादन होने लगा है।

भारत में अनानास की पौध लगाने का मुख्य मौसम जुलाई से सितम्बर तक है। हालांकि कुछ स्थानों पर दिसम्बर से अप्रैल की बीच भी इसकी रोपाई की जाती है। फसल को फल देने लायक विकसित होने में 18 से 24 महीने लगते हैं। मार्च से जून तक बाजार में भरपूर मात्रा में अनानास पहुंचता है। बाकी दिनों में कोल्डस्टोर से इसकी आपूर्ति होती है। अनानास एक उष्णकटिबन्धीय पौधा है जो आर्द्र परिस्थितियों में पनपता है। यह मैदानी इलाकों और 900 मीटर से भी कम ऊंचाई पर पनपता है।

अनानास का पौधा 1.0 से 1.5 मीटर तक बढ़ता है, हालांकि कभी-कभी यह इससे भी लम्बा हो सकता है। इसके पौधे में सख्त और मोमी पत्तियों वाला एक छोटा स्टॉकी तना होता है। अपना फल बनाते समय यह आमतौर पर 200 फूल तक पैदा करता है, हालांकि कुछ बड़े फल वाली किस्मों में इससे भी अधिक फूल लगते हैं। एक बार जब यह फूलों से लद जाता है तो फूलों के अलग-अलग फल एक साथ मिलकर कई फल बनाते हैं।

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