फुरकिया से पिण्डारी जीरो पॉइण्ट तक का सात किलोमीटर रास्ता बुग्यालों (पर्वतीय घास के मैदानों) से होकर जाता है। कहीं-कहीं बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानें भी मिल जाती हैं। अत्यंत सुन्दर दिखने वाले इस क्षेत्र में अक्सर भूस्खलन होता रहता है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
पिण्डारी। इस शब्द को पढ़ते ही दक्षिण पश्चिम भारत के उन योद्धाओं की छवि सामने आ जाती है जो कई राजाओं की सेना का अहम हिस्सा थे। मराठा शासकों के साथ वेलेजली की सहायक संधियों के फलस्वरूप जो अव्यवस्था उत्पन्न हुई, उसके चलते तमाम पिण्डारी लूटमार जैसा काम करने लगे। लेकिन, भारत के उच्च हिमालयी क्षेत्र में पिण्डारी नाम का एक बड़ा ग्लेशियर भी है। उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले में जनपद मुख्यालय से करीब 82 किमी दूर यह ग्लेशियर नन्दा देवी शिखर के पास स्थित है। समुद्रतल से 3,660 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस ग्लेशियर से ही पिण्डारी (पिण्डरगंगा) नदी निकलती जो अलकनन्दा की एक मुख्य सहायक नदी है। यही अलकनन्दा गंगा की एक प्रमुख उपनदी है।
पिण्डारी ग्लेशियर नन्दा देवी शिखर के दाहिने तरफ है। समुद्र तल से 7,816 मीटर ऊंची नन्दा देवी भारत की सबसे ऊंची चोटी है। पिण्डारी ग्लेशियर तीन किलोमीटर लम्बा और 1.5 मीटर चौड़ा है। जीरो प्वॉइन्ट से ग्लेशियर दो किलोमीटर दूर है। ग्लेशियर के बीच में एक बहुत बड़ी दरार है जिसमें गर्मी के मौसम में कलकल करती पिण्डारगंगा नदी बहती हुई दिखाई देती है।
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पिण्डारी ग्लेशियर जाने के लिए बागेश्वर जिला मुख्यालय होते हुए 40 किलोमीटर दूर सौंग पहुंचना होता है। सौंग से पैदल यात्रा शुरू होती है। हालंकि सौंग से तीन किमी दूर लोहारखेत तक सडक भी है। लोहारखेत से पिण्डारी यात्रा का कठिनतम भाग शुरू होता है। दरअसल, यहां से आठ किमी दूर धाकुडी तक सीधी चढाई है। धाकुडी टॉप समुद्र तल से 2900 मीटर की ऊंचाई पर है। इसके बाद नीचे उतरकर 2680 मीटर की ऊंचाई पर धाकुडी कैम्प है। धाकुड़ी से खाती गांव तक का आठ किमी रास्ता उतार भरा है। पिण्डर नदी के किनारे बसे खाती गांव से एक रास्ता सुन्दरढूंगा ग्लेशियर के लिए अलग हो जाता है। यहां से आगे द्वाली तक का 11 किलोमीटर लम्बा पूरा रास्ता घने जंगलों के बीच पिण्डर नदी के किनारे-किनारे है। द्वाली के बाद अगला ठहराव समुद्र तल से 3,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित फुरकिया है। द्वाली से यहां पहुंचने के लिए करीब पांच किलोमीटर पैदल चलना होता है। यहां से नन्दा देवी रेंज की कई चोटियों का नजरा इतना सुन्दर है कि साऱी थकान उडन-छू हो जाती है।
फुरकिया से पिण्डारी जीरो पॉइण्ट तक का सात किलोमीटर रास्ता बुग्यालों (पर्वतीय घास के मैदानों) से होकर जाता है। कहीं-कहीं बड़े-बड़े पत्थर और चट्टानें भी मिल जाती हैं। अत्यंत सुन्दर दिखने वाले इस क्षेत्र में अक्सर भूस्खलन होता रहता है। इस कारण जीरो प्वॉइन्ट की ऊंचाई लगातार कम होती जा रही है।
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ऐसे पहुंचे बागेश्वर
पिण्डारी ग्लेशियर जाने के लिए सबसे पहले बागेश्वर जिला मुख्यालय पहुंचना होता है। बागेश्वर का निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो यहां से करीब 154 किलोमीटर पड़ता है। कठगोदाम हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम क्षेत्र में है जहां से बागेश्वर के लिए उत्तराखण्ड परिवहन निगम और केमू की बसें तथा टैक्सियां मिल जाती हैं।
बागेश्वर का निकटतम हवाईअड्डा पन्तनगर यहां से करीब 188 किमी है। बरेली एयरपोर्ट बागेश्वर से करीब 258 किमी पड़ता है।