Patnitop : पटनीटॉप को पहले “पाटन दा तालाब” कहा जाता था जिसका अर्थ है “राजकुमारी का तालाब”। उधमपुर जिले में समुद्र तल से 2,024 मीटर की ऊंचाई पर बसे पटनीटॉप के पास ही चेनाब नदी बहती है। देवदार के घने जंगलों, घाटियों, बर्फ और हिमालय के विहंगम दृश्य देखने के शौकीन लोगों के लिए यह स्थान एक लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टीनेशन है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
आमतौर पर जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थलों के बारे में पूछने पर लोग एक सांस में जम्मू, श्रीनगर, गुलमर्ग, सोनमर्ग, वैष्णो देवी, अमरनाथ आदि के नाम गिना देते हैं। लेकिन, जैसा हम सोचते हैं केवल वैसा ही नहीं होता, दुनिया हमारी कल्पना से बहुत बड़ी और सुन्दर है। ठीक ऐसा ही कहा जा सकता है जम्मू-कश्मीर के बारे में। यहां ऐसे कई हिल स्टेशन हैं जहां आप एक बार गये तो फिर बार-बार जाना चाहेंगे। इन्हीं में से एक है पटनीटॉप (Patnitop)।
पटनीटॉप (Patnitop) को पहले “पाटन दा तालाब” कहा जाता था जिसका अर्थ है “राजकुमारी का तालाब”। उधमपुर जिले में समुद्र तल से 2,024 मीटर की ऊंचाई पर बसे पटनीटॉप के पास ही चेनाब नदी बहती है। देवदार के घने जंगलों, घाटियों, बर्फ और हिमालय के विहंगम दृश्य देखने के शौकीन लोगों के लिए यह स्थान एक लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टीनेशन है। सर्दी के मौसम में यह पूरा इलाका बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेता है। स्कीइंग और स्नोबॉल जैसे स्नो गेम्स सर्दियों में इस पहाड़ी स्थल के आकर्षण को और बढ़ा देते हैं। पिछले कुछ वर्षों में राज्य सरकार ने यहां पर खासा काम किया है जिसके चलते यह जम्मू-कश्मीर के सबसे विकसित पर्यटन स्थलों में गिना जाने लगा है। कुल मिलाकर यहां का परिदृश्य इतना सुन्दर है कि एक कहावत प्रचलित हो गयी है,“जम्मू गये और पटनीटॉप नहीं देखातो कुछ नहीं देखा।”
पटनीटॉप (Patnitop) में हर मौसम में करने के लिए कुछ न कुछ है। सर्दी के मौसम में स्कीइंग कर सकते हैं तो गर्मियों में ट्रैकिंग का अलग ही आनन्द है। नौ छेद वाले गोल्फ कोर्स में भी हाथ आजमा सकते हैं। बारिश, बर्फबारी अथवा कोहरा न हो यानी आसमान कुछ साफ हो तो पैरसेलिंग करिये। ढलानों और जंगलों से गुजरने वाले रास्तों पर घुड़सवारी करने का अपना अलग ही मजा है। यहां तीन झरने हैं जिनके पानी में औषधीय गुण होने का दावा किया जाता है। और हां, पटनीटॉप जायें तो रोपवे की सैर करना न भूलें जो आपको आसमान से पटनीटॉप (Patnitop) का शानदार नजारा दिखाता है। यह भारत का सबसे ऊंचा रोपवे है जिसका उद्घाटन वर्ष 2020 में हुआ था। इसके बन जाने से संगेट से पटनीटॉप की दूरी महज 15 मिनट में पूरी हो जाती है। फोटोग्राफी का शौक है तो क्लिक करते-करते आपका कैमरा भले ही भर जाये पर यहां के एक से एक शानदार-भव्य दृश्य खत्म नहीं होंगे।जैसे-जैसे प्रचार-प्रसार हो रहा है, पटनीटॉप (Patnitop) में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां हर साल औसतन छह लाख पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
पटनीटॉप में क्या करें, क्या न करें (What to do and what not to do in Patnitop)
पटनीटॉप (Patnitop) में करने के लिए इतना कुछ है कि आपको कई दिन लग जायेंगे। ज्यादा कुछ करने का मन न हो तो अपने होटल की बालकनी में बैठकर प्रकृतिका अद्भुत सौन्दर्य का आनन्द लें। पानी को बोतल और छड़ी लेकर घूमने निकल जायें। साहसिक खेलों के शौकीन हैं तो क्या कहने! पटनीटॉप को मानो आपके लिए ही बनाया गया है। सर्दियों में बर्फबारी के बाद आप यहां स्कीइंग कर सकते हैं। यहां स्कीइंग के लिए उपयुक्त कई स्लोप हैं। गुलमर्ग के बाद यह राज्य का सबसे लोकप्रिय स्कीइंग स्थल है। पटनीटॉप से सटे नत्थाटॉप और सनासर क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग कर सकते हैं। पयर्टन विभाग की ओर से स्कीइंग और पैराग्लाइडिंग करने के शौकीन लोगों के लिए साल में तीन से चार कोर्स करवाए जाते हैं। हालांकि स्कीइंग के लिए प्रायः जनवरी-फरवरी और पैराग्लाइडिंग के लिए अक्टूबर का इन्तजार करना पड़ता है। यहां रॉक क्लाइम्बिंग का सप्ताहभर का कोर्स भी कराया जाता है। ट्रैकिंग या लम्बी पैदल यात्रा करनी हो तो सुध महादेव और शिवगढ़ ट्रैक आपका इन्तजार कर रहे हैं। सांस की बीमारी अथवा पैरों में तकलीफ होने पर ट्रैकिंग पर जाने से बचना चाहिए। बारिश और हिमपात के समय पैराग्लाइडिंग कतई न करें।
पटनीटॉप के आसपास के दर्शनीय स्थल (Places to visit near Patnitop)
माधोटॉप :
पटनीटॉप (Patnitop) से करीब पांच किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान अपने स्कीइंग मैदानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां केशानदार ढलानों पर सर्दी के मौसम में “बर्फ की कालीन” बिछते ही स्कीइंग के शौकीन उमड़ पड़ते हैं। हमारी आपको सलाह है कि स्कीइंग से पहले किसी अनुभवी व्यक्ति से सलाह-मशविरा अवश्य कर लें। स्कीइंग का कोर्स करना सबसे अच्छा विकल्प है।
नत्थाटॉप :
समुद्र तल से करीब सात हजार फीट की ऊंचाई पर स्थितइस स्थान से पर्वतीय प्राकृतिक सौन्दर्य को उसकी पूरी विराटता के साथ निहारा जा सकता है। यहांसे हिमालय और शिवालिक के दृश्य देखते ही बनते हैं। यहां पर कई स्पॉट एक्टिविटी भी कराई जाती हैं।
सनासर झील :
पटनीटॉप से 20 किलोमीटर दूर समुद्र की सतह से 2,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है सनासर झील। सना और सर नाम के दो गांवों के नाम पर इस झील को यह नाम मिला है। यहां से आप पहाड़ों और जंगलों के सुन्दर परिदृश्यों का आनन्द ले सकते हैं। रॉक क्लाइम्बिंग, पैरासेलिंग, पैराग्लाइडिंग, हॉट एयर बैलून राइड्स आदि भी कर सकते हैं।झील के पास ही एक पर्वत श्रृंखला है जिसे शान्ता रिज के नाम से जाना जाता है।जम्मू-कश्मीर सरकार ने सनासर झील को संरक्षित आर्द्र भूमि (वेटलैण्ड) घोषित किया है।
नाग मन्दिर :
यह पटनीटॉप क्षेत्र के सबसे प्राचीन मन्दिरों में माना जाता है। मन्तलाई में चेनाब नदी के समीप एक पर्वत शिखर पर स्थित इच्छाधरी नाग देवता का यह मन्दिर कब बना यह स्पष्ट तो नहीं हैमगर इसे 800 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है। इसका अधिकतर हिस्सा लकड़ी से बना है। कहा जाता है कि इच्छाधारी नाग देवता ने यहां पर ब्रह्मचारी रूप में 22 वर्ष तपस्या करने के बाद पिण्डी स्वरूप धारण कर लिया था। चूंकि यहां पर नाग देवता का ब्रह्मचारी स्वरूप है, इसलिए जिस स्थान पर वे पिण्डी स्वरूप में विराजमान हैं, वहां पर महिलाओं का प्रवेश निषेध है।
बुद्ध अमरनाथ मन्दिर :
भगवान शिव को समर्पित बुद्ध अमरनाथ मन्दिर के पास ही पौराणिक पुलत्स्य नदी बहती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, लंकापति रावण के दादाजी पुलत्स्य ऋषि ने यहां घोर तप किया था। उनके नाम पर ही इस नदी को यह नाम मिला है। रक्षाबन्धन पर यहां श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं।
बैटोट : पटनीटॉप से तीनकिलोमीटर की दूरी पर स्थित बैटोट एक छोटा-सा लेकिन अत्यन्त सुन्दर कस्बा है। यह उम्दा क्वालिटी कीराजमा के लिए भी मशहूर है।
चेनानी-नाशरी सुरंग :
मनाली-लेह राजमार्ग पर बनायी गयी अटल सुरंग (9.28 किलोमीटर) का निर्माण कार्य पूरा होने से पहले चेनानी-नाशरी सुरंग भारत की सबसे लम्बी सड़क सुरंग थी। यह देश की पहली पूर्ण रूप से एकीकृत सुरंग प्रणाली वाली सुरंग है।जम्मू और श्रीनगर के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग44 पर स्थित इस सुरंग को पटनीटॉप सुरंग भी कहा जाता है। मुख्य सुरंग का व्यास 13 मीटर हैजबकि सामानान्तर निकासी सुरंग का व्यास छहमीटर है। दोनों सुरंगों में 29 जगहों पर मार्ग बनाए गये हैंजो 300-300 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। सुरंग के भीतर लगे कैमरों की मदद से 360 डिग्री तक फोटो लिये जा सकते हैं। इस सुरंग के बनने के बाद जम्मू से श्रीनगर के सफर में दो घण्टे की कटौती हो गयी है।
बाहु किला और मन्दिर : यदि आप जम्मू होते हुए पटनीटॉप जा रहे हैं तो बाहु किला और मन्दिर भी देख सकते हैं। ये तवी नदी के किनारे स्थित हैं। इस किले को भारत के प्राचीन किलों में से एक माना जाता है जिसका निर्माण करीब तीन हजार साल पहले किया गया था। यह मन्दिर देवी काली को समर्पित है जिन्हें यहां बावे वाली माता के नाम से जाना जाता है। यह कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण राजा बहू लोचन द्वारा कराया गया था और बाद में डोगरा शासकों द्वारा इसका पुनर्निर्माण किया गया।किले के पास ही एक बाग-ए-बाहु नाम का एक अत्यन्त सुन्दर पार्क है।
कब जायें पटनीटॉप (When to go to Patnitop)
बारिश के मौसम को छोड़कर यहां सालभर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती हैलेकिन यात्रा करने के लिए सबसे उपयुक्त समय मई से जून और सितम्बर से अक्टूबर है।दिसम्बर से फरवरी के बीच यहां स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग और ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर्स स्पोर्ट्स आयोजित होते हैं। भारत में गुलमर्ग और औली के बाद पटनीटॉप को स्कीइंग के लिए सबसे अच्छा स्पॉट माना जाता है।
ऐसे पहुंचें पटनीटॉप (How to reach Patnitop)
वायु मार्ग : निकटतम हवाईड्डा जम्मू के सतवाड़ी में स्थित जम्मू सिविल एनक्लेव पटनीटॉप (Patnitop) से करीब 115 किलोमीटर दूर है जहां से उधमपुर होते हुए बस या टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है।दिल्ली, मुम्बई चेन्नई और बंगलुरुसे यहां के लिए नियमित उड़ानें हैं। यह श्रीनगर, चण्डीगढ़ और लेह से भी जुड़ा हुआ है। यदि आप श्रीनगर के शेख उल आलम एण्टरनेशनल एयरपोर्ट की फ्लाइट पकड़ते हैं तो श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर 169 किमी लम्बा सफर करना होगा।
रेल मार्ग :निकटतम रेलवे स्टेशन उधमपुर यहां से करीब 47 किमी दूर है।निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन जम्मू तवी यहां से लगभग 116 किमी पड़ता है। देश के लगभग सभी बड़े रेलवे स्टेशनों से जम्मू के लिए ट्रेन मिलती हैं।
सड़क मार्ग :पटनीटॉप जम्मू से करीब 109, उधमपुर 46 से और श्रीनगर से लगभग 170 किलोमीटर पड़ता है। इन तीनों स्थानों से यहां के लिए बस और कैब-टैक्सी मिलती हैं।जम्मू-कश्मीर पर्यटन विकास निगम (जेकेटीडीसी) जम्मू रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे के लिए विशेष लक्जरी बस चलाता है। पटनीटॉप से कटरा के लिए भी बसें उपलब्ध हैं जहां से वैष्णोदेवी कोरास्ता जाता है।