- बंगलुरु के मुस्लिम इलाके को कहा था “मिनी पाकिस्तान”, अंडरगारमेंट्स टिप्पणी पर कहा, “स्त्री-द्वेषी कमेंट करने से बचना चाहिए”
- इस तरह के कमेंट निजी पक्षपात को दर्शाते हैं, खासकर जब उन्हें किसी खास जेंडर या समुदाय पर निर्देशित माना जाता है
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायाधीश वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद के खिलाफ चल रही कानूनी कार्यवाही को बुधवार को बंद कर दिया। न्यायाधीश वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद ने अदालती कार्यवाही के दौरान किए गए विवादास्पद कमेंट्स के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी जिसे सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों बेंच ने मंजूर कर लिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पीठ का नेतृत्व करते हुए कहा कि यह फैसला न्याय के हित में और न्यायपालिका की गरिमा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
न्यायमूर्ति श्रीशानंद ने मकान मालिक-किराएदार विवाद पर बंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को “मिनी पाकिस्तान” कहा और एक महिला वकील को लेकर महिला विरोधी कमेंट किया था। उनके ये कमेंट सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट से एक रिपोर्ट मांगी थी।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि “कोई भी भारत के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कह सकता।” “यह मूल रूप से राष्ट्र की संप्रभुता के विरुद्ध है।” सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को अपने हाथ में लिया था और कर्नाटक हाई कोर्ट से विवादास्पद टिप्पणी पर रिपोर्ट मांगी थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने न्यायमूर्ति एस खन्ना, बी आर गवई, एस कांत और एच रॉय के साथ मिलकर 20 सितंबर को संवैधानिक अदालतों के जजों के लिए अदालत में उनकी टिप्पणियों के बारे में स्पष्ट दिशा-निर्देश स्थापित करने की आवश्यकता जताई थी।
पक्षपात को दर्शाती हैं इस तरह की टिप्पणी : सीजेआई
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा, “इस तरह के कमेंट निजी पक्षपात को दर्शाते हैं, खासकर जब उन्हें किसी खास जेंडर या समुदाय पर निर्देशित माना जाता है। इसलिए किसी को भी स्त्री-द्वेषी कमेंट करने से बचना चाहिए। हम एक खास जेंडर या समुदाय पर कमेंट के बारे में अपनी गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं और ऐसे कमेंट को नकारात्मक रूप में समझा जा सकता है। हमें उम्मीद और भरोसा है कि सभी हितधारकों को सौंपी गई ज़िम्मेदारियों को बिना किसी पूर्वाग्रह और सावधानी के पूरा किया जाएगा।”
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब सोशल मीडिया कोर्ट रूम में होने वाली कार्यवाही को मॉनीटर करने में अहम भूमिका निभाता है तो यह सुनिश्चित करने की तत्काल जरूरत है कि न्यायिक टिप्पणी कानून की अदालतों से अपेक्षित शिष्टाचार के अनुरूप हो।
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद के कमेंट के विडियो सोशल मीडा पर वायरल हुए थे। इस वीडियो में उन्होंने बंगलुरु के एक मुसलिम बहुत इलाके को पाकिस्तान कहा था जबकि दूसरे वीडियो में वह एक महिला वकील के खिलाफ आपत्तिजनक कमेंट करते हुए नजर आए थे। दूसरे विडियों में न्यायमूर्ति वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद महिला वकील से यह कहते हुए नजर आए थे कि वह “विपक्षी दल” के बारे में बहुत कुछ जानती है, इतना कि वह उनके अंडरगारमेंट्स का रंग भी बता सकती हैं।
वीडियो के वायरल होने के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट ने बिना इजाजत के कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग पर रोक लगा दी थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “कोर्ट की प्रक्रिया में अधिकतम पारदर्शिता लाने के लिए उसे ज्यादा से ज्यादा प्रकाश में लाने की जरूरत है। अदालत में जो कुछ भी होता है उसे दबाना नहीं चाहिए। पारदर्शिता का उत्तर दरवाजे बंद करके सब कुछ बंद कर देना नहीं है।” इसके बाद न्यायाधीश वेदव्यासाचार्य श्रीशानंद ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली। सीजेआई के नेतृत्व वाली बेंच ने माफी मंजूर करते हुए केस बंद कर दिया है।