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Omkareshwar: ओंकारेश्वर में दो ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं। स्कन्द पुराण, शिवपुराण और वायुपुराण में ओंकारेश्वर की महिमा का वर्णन है। हिन्दुओं में सभी तीर्थों के दर्शन के पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन-पूजन विशेष महत्व है। तीर्थयात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं।

न्यूज हवेली नेटवर्क

गवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो मध्य प्रदेश में विराजमान हैं। पहला उज्जैन में महाकालेश्वर और दूसरा खण्डवा के ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में ओंकारेश्वर-ममलेश्वर (Omkareshwar-Mamaleshwar) के रूप में। दरअसल ओंकारेश्वर नर्मदा नदी के बीच मान्धाता या शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है जबकि दक्षिणी तट पर ममलेश्‍वर (प्राचीन नाम अमलेश्‍वर) मंदिर स्‍थित है। ओंकारेश्वर और अमलेश्वर दोनों शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर्वतराज विंध्य ने घोर तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए। विंध्य ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे विंध्य क्षेत्र में स्थिर निवास करें। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। यहां एक ही ओंकारलिंग दो स्वरूपों में बंटा है। पार्थिवमूर्ति में जो ज्योति प्रतिष्ठित हुई थी, उसे ही परमेश्वर अथवा अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग कहते हैं।

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मान्यता है कि ॐ के आकार में बने इस धाम की परिक्रमा करने से मोक्ष प्राप्त होता है। जिस ओंकार शब्द का उच्चारण सर्वप्रथम सृष्टिकर्ता विधाता के मुख से हुआ, जिसके उच्चारण के बिनावेद का पाठ नहीं होता है, उस ओंकार का भौतिक विग्रह ओंकार क्षेत्र है। इसमें 68 तीर्थ हैं। यहां 33 कोटि देवता परिवार सहित निवास करते हैं। ओंकारेश्वर में दो ज्योतिस्वरूप लिंगों सहित 108 प्रभावशाली शिवलिंग हैं। स्कन्द पुराण, शिवपुराण और वायुपुराण में ओंकारेश्वर (Omkareshwar) की महिमा का वर्णन है। हिन्दुओं में सभी तीर्थों के दर्शन के पश्चात ओंकारेश्वर के दर्शन-पूजन विशेष महत्व है। तीर्थयात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) परिसर एक पांच मंजिला इमारत है जिसकी पहली मंजिल पर भगवान महाकालेश्वर का मन्दिर है, तीसरी मंजिल पर सिद्धनाथ महादेव, चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव का मन्दिर है। मन्दिर के सभामण्डप में 60 बड़े स्तम्भ हैँ जोकि 15 फीट ऊंचे हैं। इसी परिसर में तीर्थयात्रियों के लिए भोजनालय भी चलाया जाता है जहां नाममात्र के शुल्क पर भोजन मिलता है।

ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी के अनुसार, माना जाता है की 12 ज्योतिर्लिंगों में यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां महादेव शयन करने आते हैं। भगवान शिव प्रतिदिन तीनों लोकों में भ्रमण के पश्चात यहां आकर विश्राम करते हैं। भक्तगण विशेष रूप से शयन दर्शन के लिए यहां आते हैं।

ओंकारेश्वर (Omkareshwar)परिक्रमा मार्ग करीब सात किलोमीटर लम्बा है। इस मार्ग पर आप मांधाता पर्वत की एक जगह से परिक्रमा शुरू करते हैं और पूरे पर्वत की परिक्रमा करकेवापस उसी जगह पर पहुंच जाते हैं।

ऐसे पहुंचें ओंकारेश्वर मन्दिर (How to reach Omkareshwar Temple)

हवाई मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट, इन्दौर यहां से करीब 84 किलोमीटर है। एयरपोर्ट से सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की बसेंओंकारेश्वर मन्दिर के लिए मिलती हैं।

रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन हालांकिओंकारेश्वर रोड है लेकिन यदि आप किसी अन्य राज्य से यहां आ रहे हैं तो इन्दौर अथवा खण्डवा की ट्रेन पकड़ना ही उचित रहेगा। खासकर इन्दौर के लिए देश के सभी बड़े शहरों से सीधी रेल सेवा है।

सड़क मार्ग : मध्य प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र के भी विभिन्न स्थानों से ओंकारेश्वर के लिए सरकारी बस सेवा है। ओंकारेश्वर के लिए सीधी बस न मिलने पर इन्दौर पहुंचकर वहां से सरकारी अथवा निजी बस या टैक्सी से ओंकारेश्वर पहुंच सकते हैं।

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