हिमालय के आंचल में बसे नेपाल में खान-पान की ढेरों किस्में उपलब्ध हैं जिनका स्वाद भारतीय खानों से मिलता-जुलता है। यहां के भोजन में भारत की तरह ही हल्दी, धनिया, जीरा, हींग, तेजपत्ता, गरम मसाला आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत से नेपाल जाओ तो खासतौर पर सीमा से लगे क्षेत्रों में लगता ही नहीं कि किसी पराये देश में हैं। समान संस्कृति, मिलते-जुलते चेहरे, खानपान और आदतें तुरन्त ही एक-दूसरे के नजदीक ले आती हैं। दाल-भात भारतीय थाली का अहम हिस्सा है तो नेपाली इसे खाये बिना रह ही नहीं सकते। हिमालय के आंचल में बसे इस देश में खान-पान की ढेरों किस्में उपलब्ध हैं जिनका स्वाद भारतीय खानों से मिलता-जुलता है।
नेपाली व्यंजन विविध सांस्कृतिक प्रभावों का एक स्वादिष्ट मिश्रण हैं जो स्वाद, बनावट और सुगंध की समृद्ध टेपेस्ट्री को दर्शाते हैं। संस्कृति, परम्परा और भौगोलिक विभिन्नता के चलते यहां के खाद्य पदार्थ भी उसी हिसाब से अलग पाए जाते हैं। जैसे कि पहाड़ों में रहने वालों और मैदान के निवासियों के भोजन में अन्तर है। हालांकि दाल, भात, तरकारी, चटनी और अचार पूरे देश में समान रूप से लोकप्रिय हैं। यहां कई तरह की करी बनाई जाती हैं जिनमें तरकारी (सब्जी) करी, खासी को मसु (बकरे का मसालेदार मांस), क्वाती (मिश्रित बीन तरी) आदि शामिल हैं। यहां के व्यंजनों में भारत की तरह ही हल्दी, धनिया, जीरा, हींग, तेजपत्ता, गरम मसाला आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
नेपाल के मुख्य व्यंजन (Main dishes of Nepal)
ढिडो :
मूलतः नेपाल के ग्रामीण क्षेत्र के इस पारम्परिक व्यंजन को इस देश का राष्ट्रीय भोजन भी कहा जाता है। यह वास्तव में एक गाढ़ा दलिया है जिसे गेहूं, कुट्टू, बाजरे या ज्वार के आटे को पानी में नमक के साथ उबाल कर तैयार किया जाता है। इसे मक्खन, सब्जी करी, अचार, छाछ और दही के साथ खाया जाता है। इसको पत्ते वाली सब्जियों, बीन्स और आलू के रसेदार सब्जी के साथ भी सर्व किया जाता है।
दाल-भात :
दाल-भात आज भले ही भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे लोकप्रिय भोजन हो पर इसका उत्पत्ति स्थान नेपाल को माना जाता है। नेपाल के सभी घरों और भोजनालयों में दिन में कम से कम एक बार तो यह बनता ही है। इसके साथ मौसमी सब्जियां, चिकन, भैंस का मीट आदि भी परोसे जाते हैं।
मोमोज :
गेहूं के आटे या मैदा में सब्जियों, सोया कीमा आदि को स्टफ कर बनाई जाने वाली इस डिश का असली स्वाद तो नेपाल में ही चखने को मिलता है। नेपाल में चिकन और मीट के मोमोज भी बहुत खाये जाते हैं। तीखी मिर्च की चटनी और सूप के साथ इन्हें खाने का एक अलग ही मजा है।
सेल रोटी :
इस व्यंजन को डोनट, बैगेल अथवा पारम्परिक कुमाऊंनी व्यंजन सिंगल का बिछुड़ा भाई भी कह सकते हैं। जिस तरह कुमाऊं में पर्व-त्यौहारों पर सिंगल और पुए बनाना अनिवार्य है, ठीक उसी तरह नेपाल में तिहार और दशईं जैसे त्योहारों पर सेल रोटी अवश्य बनायी जाती है। यह चावल के आटे का छल्ले की तरह दिखने वाला व्यंजन है जिसे बाहर से कुरकुरा और अंदर से नरम बनाने के लिए गहराई से तला जाता है। कुछ लोग स्वाद बढ़ाने के लिए चावल के गाढ़े घोल में दही और केले भी मैस करते हैं। यह कुरकुरा और मीठा होता है। इसे दही या सब्जी की साथ सर्व करते हैं। यह धीरे-धीरे इस देश के लोकप्रिय स्ट्रीट फूड्स में शामिल होता जा रहा है।
बारा :
यह एक प्रकार का पैनकेक है जिसे नेवारियों द्वारा बनाया जाता है। नेवारिस काठमाण्डू घाटी में स्थानीय लोगों का एक स्वदेशी समूह है। पिसी हुई दाल (हरी या काली) के घोल से बनाए जाने वाले इस पकवान की नेवारी उत्सव “सीथी नखा” के दौरान भारी मांग रहती है। पचने में आसान बारा को प्रायः नाश्ते में खाया जाता है। मांसाहारी लोगों के लिए इसे चिकन कीमा तथा अण्डे या बफैलो मीट की टॉपिंग के साथ सर्व किया जाता है।
चतुमारी :
भले ही इसे “नेपाली पिज़्ज़ा” कहा जाता हो पर स्वाद के मामले में यह पिज़्ज़ा से काफी अलग होता है। दरअसल, यह चावल के आटे का क्रेप है जिसे धनिया, कीमा, अण्डे, सूखे मांस, प्याज, मिर्च और बहुत सारे मसालों सहित टॉपिंग के साथ पकाया जाता है। इसके गोल आकार और ढेर सारे टॉपिंग्स की वजह से इसे नेपाली पिज्जा कहा जाने लगा।
थुकपा :
यह सब्जियों, अण्डों, मीट, चिकन आदि से तैयार किया जाने वाला नूडल सूप है। पोषक तत्वों से भरपूर और गर्म तासीर का यह व्यंजन नेपाल के सर्द मौसम में काफी राहत देता है। इसे आमतौर पर मोमोज के साथ परोसा जाता है। तिब्बती मूल का यह व्यंजन नेपाल में इतना लोकप्रिय है कि अब यहीं का लगता है।
योमारी :
चावल के आटे से तैयार किए जाने वाले इस व्यंजन में नारियल, तिल और गुड़ का भरावन होता है। सर्दी के मौसम में मनाए जाने वाले त्यौहा पुन्ही पर इसे घरों में अवश्य बनाया जाता है। इसके भरावन के साथ काफी प्रयोग किए गये हैं। काठमाण्डू और उसके आसपास के क्षेत्रों में इसका दाल के मसालेदार मिश्रण के भरावन वाला चटपटा संस्करण भी मिलता है। इस व्यंजन को मीठा बनाया जाए अथवा मसलेदार पर इसका आकार मछली जैसा ही रखा जाता है।
गुंड्रुक :
पौष्टिक भोजन को वरीयता देने वाले नेपाली इस व्यंजन को सब्जियों की सूखी पत्तियां से तैयार करते हैं। इसको अचार के रूप में भी तैयार किया जाता है। इसका स्वाद हल्का मशरूमी और हल्का नमकीन होता है जिसे प्रायः दाल-भात के साथ खाया जाता है।
चोइला :
इस गर्म और मसालेदार स्वादिष्ट व्यंजन को भैंस के मांस से बनाया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इसे बत्तख के मांस, चिकन आदि से भी तैयार किया जाता। इसे भात के साथ परोसा जाता है। उत्सवों के दौरान चोइला की भारी मांग होती है।
जुजू धाऊ : यह गाढ़ा और ठोस दही है जिसे मिट्टी के बर्तन में न केवल जमाया जाता है बल्कि खाने के लिए भी सर्व किया जाता है। भैंस के दूध से बनाया जाने वाला यह दही स्ट्रीट फूड्स की तरह बिकता है। त्यैहारों पर इसे खाना अत्यन्त शुभ माना जाता है।
सांधेको :
यह एक तरह का सलाद है जिसे आलू, मूंगफली, मिर्च, प्याज, धनिया के पत्ते और मसालों से तैयार किया जाता है। यह एक लोकप्रिय स्नैक्स है जिसा बीयर और शराब के साथ काफी पसन्द किया जाता है।
थोन : यह सफेद बीयर है जिसे फर्मेंटेड चावल से तैयार किया जाता है।
इसके अलावा गेहूं की रोटी, पूड़ी-कचौरी, पकौड़ीऔर समोसा आपको भारत में होने का एहसास कराते रहेंगे।