महाराष्ट्र के पाव भाजी, पोहा, थालीपीठ, साबूदाना खिचड़ी, श्रीखंड, मोदक, बासुण्डी आदि व्यंजन राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।
अनुवन्दना माहेश्वरी
महाराष्ट्र भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके पश्चिम में समन्दर है तो पूर्वी छोर मध्य भारत से हाथ मिलाता है। जाहिर है कि इस विशाल राज्य के भोजन में भी खासी विविधता है। सरल-सहज शब्दों में यहां के व्यंजनों को दो शैलियों में वर्गीकृत किया जा सकता है– कोंकण और वरदी। कोंकण तटीय क्षेत्रों से सम्बन्धित है और वरदी विदर्भ क्षेत्र से। हालांकि यहां के भोजन की विविधता को जानने के लिए आपको माल्वानी, कोल्हापुरी, नागपुरी और विदर्भ की थाली का स्वाद लेना पड़ेगा। यहां के पाव भाजी, पोहा, साबूदाना खिचड़ी, श्रीखंड, मोदक, बासुण्डी आदि व्यंजन राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।

थालीपीठ :

स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य भी बनाने वाला यह पकवान कई तरह की दालों और विभिन्न प्रकार के अनाज (ज्वार, बाजरा, गेहूं, चावल और चना) के आटे से बनाया जाता है। यह एक तरह की रोटी है जो आमतौर पर ताजे मक्खन, दही, अचार और चटनी के साथ परोसी जाती है। बैंगन भर्ता और भरवां बैगन के साथ इसका स्वाद दोगुना हो जाता है।
मिसल पाव :

महाराष्ट्र के इस एक पारम्परिक व्यंजन के दो मुख्य तत्व हैं- मिसल और पाव। मिसल एक करी है जो अंकुरित मोठ की फलियों से बनायी जाती है। इसे चिवड़ा, प्याज, आलू और मिर्च से सजाया जाता है। इसे पाव के साथ परोसा जाता है। इसे प्रायः सुबह और शाम के नाश्ते में लिया जाता है। इस कोल्हापुरी व्यंजन का मुम्बई में डंका बजता है।
पाव भाजी :

मुम्बई समेत पूरे महाराष्ट्र में लोग पाव भाजी के दीवाने हैं। विशेषकर मुम्बई की पाव भाजी अपने स्वाद के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इसकी भाजी बनाने के लिए कई तरह की सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। पाव को मक्खन लगाकार सेंकने के बाद भाजी के साथ परोसा जाता है। यदि आपका हाजमा अच्छा है तो भाजी में ऊपर से भी मक्खन की डली डाल सकते हैं।
पोहा :

पोहा हालांकि महाराष्ट्र का सबसे लोकप्रिय नाश्ता है पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश से लेकर विदेश तक इसके स्वाद के दीवाने मिल जायेंगे। पोहा कई तरह से बनाया जाता है पर इसकी सबसे प्रसिद्ध किस्म कांदा पोहा है जिसे मोटे चीवड़े (पोहा), प्याज (कांदा), आलू, मूंगफली दाना, हरी मिर्च, अदरक, करी पत्ता और नींबू के रस से बनाया जाता है। इन्दौर आदि शहरों में पोहे को सर्व करते समय अनार के दाने, हरा धनिया और नमकीन सेव भी ऊपर से डालते हैं।
वरण :

यह महाराष्ट्र के पारम्परिक व्यंजनों में से एक है जिसे अरहर की दाल और नारियल के पेस्ट से बनाया जाता है। इसमें तरह-तरह के मसाले, कोकम, मूंगफली, काजू, कच्चा आम भी मिलाये जाते हैं। मेथी के पत्तों का तड़का इसको अनूठा स्वाद देता है।
बड़ा पाव :

करीब पांच दशक पहले मुम्बई में इजाद हुआ बड़ा पाव आज पूरे महाराष्ट्र की पसंदीदा डिश बन चुका है। इसे पाव के अन्दर तीखी चटनी की परत लगाने के बाद बटाटा बड़ा रखकर पेश किया जाता है। बड़ा बनाने के लिए आलू, बेसन, हल्दी, हरी मिर्च, लाल मिर्च पाउडर, हरा धनिया, राई, जीरा, करी पत्ता, नींबू का रस, अदरक आदि का इस्तेमाल किया जाता है जबकि चटनी बनाने में मुख्य रूप मूंगफली और अमचूर का इस्तेमाल होता है। फैक्ट्री श्रमिकों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए तैयार किया गया यह व्यंजन काफी चटपटा और तीखा होता है।
साबूदाना खिचड़ी :

कहा जाता है कि साबूदाना खिचड़ी पुणे की देन है। साबूदाना, करी पत्ता और मूंगफली दाना से तैयार होने वाली इस डिश को आमतौर पर व्रत-उपवास में और शाम के नाश्ते के रूप खाया जाता है। इसे शबू खिचड़ी भी कहा जाता है।
भरली वांगी :

भरली वांगी ठाणे का पारम्परिक व्यंजन है। यह प्याज, टमाटर और मसालों के साथ भरवां बैंगन पकाने की लोकप्रिय शैली है। इसमें मूंगफली और इमली के गूदे के साथ नारियल की स्टफिंग भी होती है। इसे भारतीय फ्लैट ब्रेड या रोटी के साथ खाते हैं, हालांकि दाल-चावल के साथ भी खाया जा सकता है।
मुम्बइया भेलपूरी :

यह महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला चटपटा स्ट्रीट फूड है। इसेमुरमुरा, मूंगफली दाना, उबले आलू, टमाटर,पापड़ी चूरा समेत कई तरह की नमकीन और इमली की खट्टी-मीठी चटनी से तैयार करने के बाद हरे धनिये से सजाकर सर्व किया जाता है।
महाराष्ट्रियन फिश करी :

महाराष्ट्रीयन फिश करी कोंकण क्षेत्र की लोकप्रिय डिश है जिसे पोम्प्रेट मछली, नारियल के दूध, राई, करी पत्ता, इमली के पानी, नींबू के रस और कई तरह के मसालों से तैयार किया जाता है। कई जगह इसे बॉम्बिल और बॉम्बे डक मछली से भी बनाया जाता है। इसे प्रायः चावल के साथ खाया जाता है।
पूरन पोली :

यह मराठी पकवान मीठे पराठे की तरह होता है जिसे प्रायः त्योहारों पर बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए तुअर दाल के मीठे भरावन को गेहूं के आटे के पेड़े में भरने के बाद रोटी की तरह बेला जाता है। पक कर भूरा हो जाने के बाद इसे दोनों तरफ देसी घी चुपड़ कर खाया जाता है।
मोदक :

चावल के आटे से बनाये जाने वाले इस व्यंजन को भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इसे तैयार करने के लिए चावल के आटे की पेड़ियां बनाकर उनमें कद्दूकस किया हुआ नारियल, केसर, खसखस, इलायची पाउडर, काजू, किशमिश, गुड़ आदि का मिश्रण भरकर सांचे में डाल कर आकार दिया जाता है। इसे स्टीम्ड, उबला या तला हुआ किसी भी रूप में तैयार किया जा सकता है। अब तो केसर मोदक, चॉकलेट मोदक, पनीर मोदक आदि भी बनाये जाने लगे हैं।
श्रीखंड :

यह एक ऐसा पकवान है जो गुजरात और महाराष्ट्र दोनों जगह समान रूप से लोकप्रिय है। अब तो यह उत्तर भारत की मिठाई की दुकानों में भी दिखने लगा है। दही इसका मुख्य तत्व है। श्रीखंड बनाने के लिए दही को सूती कपड़े की पोटली में बांधकर सारा पानी निकाल दिया जाता है। बाकी बचे ठोस दही में इलायची पाउडर, काजू, बादाम, अखरोट आदि मेवों के कतरे, चीनी, गुलाबजल और केसर डालकर इसे तैयार किया जाता है। महाराष्ट्र में इसे जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण को भोग लगाने की परम्परा है।
बासुण्डी :

बासुण्डी एक पारम्परिक लोकप्रिय मिठाई है जिसे दीवाली, भाईदूज, रक्षाबंधन और गुड़ी पड़वा आदि त्योहारों पर तैयार किया जाता है। इसे गाढ़े मीठे दूध में बारीक कटे हुए काजू, बादाम, किशमिशऔर पिस्ता के साथ ही केसर और इलायची पाउडर डालकर तैयार किया जाता है।
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