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कसार देवी (देवी कात्यायनी)कसार देवी (देवी कात्यायनी)

देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों का संहार करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। मान्यता है कि मान्यता है कि मां दुर्ग साक्षात प्रकट हुई थीं। माता की मूर्ति के पीछे चट्टान पर सिंह की प्राकृतिक आकृति है।

डॉ. मंजू तिवारी

दूनागिरि और कुमाल्ट से वापसी के बाद हमारी अगली मंजिल थी कसार देवी मन्दिर (Kasar Devi Temple)। रविवार को मैं और मेरी बहन स्कूटी से यहां के लिए निकल पड़े। अल्मोड़ा शहर के उत्तर में करीब आठ किलोमीटर दूर कसार गांव (Kasar Village)में स्थित इस मन्दिर का निर्माण काल दूसरी शताब्दी माना जाता है। स्कन्द पुराण के अनुसार यक्षों और गंधर्वों द्वारा यह मन्दिर स्थापित किया गया।

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देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों का संहार करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। मान्यता है कि मान्यता है कि मां दुर्ग साक्षात प्रकट हुई थीं। माता की मूर्ति के पीछे चट्टान पर सिंह की प्राकृतिक आकृति है और मां उस पर विराजमान हैं। यहां अखण्ड ज्योति जलती रहती है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मेला लगता है। (Kasar Devi: The place of appearance of Mata Katyayani in Almora)

कसार देवी मन्दिर, अल्मोड़ा
कसार देवी मन्दिर, अल्मोड़ा

स्वामी विवेकानन्द 1890 में ध्यान करने को कुछ महीनों के लिए यहां आये थे। कालीघाट की एक गुफा में उन्हें विशेष ज्ञान की अनुभूति हुई। विशेष आध्यात्मिक अनुभूतियां होने पर उनका मुख-मण्डल दिव्य ज्योति से आलोकित हो उठा परन्तु जब वे आध्यात्मिक अनुभूति के शीर्ष पर पहुंचे तब उनके अन्दर मानवता की सेवा करने की तीव्र इच्छा जाग्रत हो गयी। इसी कारण वे अपने आध्यात्मिक सुख को त्यागकर जगत की सेवा करने के लिए गुफा से बाहर निकल पड़े। बौद्ध धर्मगुरु लामा अन्ग्रिका गोविन्द ने भी इसी स्थान पर विशेष साधना की थी। यहां एक साधना केन्द्र बना हुआ है जहां साधक आते रहते हैं। 1960-1970 के दौर में हिप्पी आन्दोलन के चलते कसार देवी (Kasar Devi)को बहुत प्रसिद्धी मिली। कसार देवी गांव को आज भी हिप्पी गांव कहा जाता है। यहां आपको दुनिया के हर कोने के लोग मिल जायेंगे।

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दुनिया के तीन पर्यटन स्थलों- अल्मोड़ा में स्थित कसार देवी मन्दिर (Kasar Devi Temple) दक्षिण अमरीका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैण्ड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं। इनके आसपास पाषाण युग के अवशेष मिलते हैं। कसार देवी में कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शान्ति भी मिलती है। यहां मुझे भी असीम मानसिक शान्ति का अनुभव हुआ।

कसार देवी जीपीएस 8

वैज्ञानिकों के अनुसार, कसार देवी मन्दिर (Kasar Devi Temple) के आसपास का पूरा क्षेत्र “वैन एलेन बेल्ट” है जहां धरती के भीतर विशाल भू-चुम्बकीय पिण्ड है। इस पिण्ड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत है जिसे रेडियेशन भी कह सकते हैं। यह भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है जहां खास चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं। अमेरिका की स्पेश रिसर्च इंस्टीट्यूट नासा ने कसार देवी मुख्य मन्दिर के द्वार के बायीं ओर ग्रेविटी पॉइन्ट को चिह्नित कर नासा GPS 8 अंकित किया है।

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कब जायें

कसार देवी से हिमालय दर्शन
कसार देवी से हिमालय दर्शन

कसार देवी (Kasar Devi) घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मार्च से लेकर जून तक का माना जाता है। नवम्बर से फरवरी तक यहां बहुत सर्दी पड़ती है। इसके आलावा क्रैंक रिज (हिप्पी आन्दोलन के लिए चर्चित), बिनसर (17 किमी) आदि भी जा सकते हैं।

क्या खायें

आलू के गुटके, प्याज के पकौड़े,  राजमा-चावल, राई पड़ा खीरे का रायता, मडुवे की रोटी, गहत की बेड़ुवा रोटी, रस-भात, भांग की चटनी, भट्ट की दाल, डुबके और जौला आदि। (जारी)

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