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कार्सियांग (Karseang) कभी सिक्किम का एक भाग था। सन् 1835 में सिक्किम के चोग्याल (राजा) ने इस गांव को ईस्ट इण्डिया कम्पनी को सौंप दिया। अंग्रेजों ने यहां की सुन्दरता के देखते हुए इसका पर्यटन स्थल के रूप में विकास किया और इसके आसपास कई चाय बागान और सन्तरे के बाग लगाए।

न्यूज हवेली नेटवर्क

मिरिक के गेस्टहाउस से चेकआउट कर हम सवेरे ही कार्सियांग (Karseang) के लिए रवाना हो गये। मंजू पार्क, सिंगबुली चाय बागान और दुधिया से गुजरने वाली घुमावदार सड़क पर पड़ने वाले पहाड़, जंगल, नदियां, झरने, चाय और सन्तरे के बागान हर पल मानो एक नया परिदृश्य रच रहे थे। करीब दो घण्टे के सफर के बाद कार्सियांग पहुंचे तो घड़ी की सुइयां नौ बजे का समय दर्शा रही थीं।

सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग राजमार्ग पर समुद्र की सतह से 1,458 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कार्सियांग (Karseang) अपने अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है। यह सफेद ऑर्किड (White Orchids)  के लिए प्रसिद्ध है जो पहाड़ी ढलानों में बहुतायत से खिलते हैं। इसी के चलते इसे “सफेद ऑर्किड की धरती” (Land of White Orchids)  भी कहा जाता हैं। यहां के मूल निवासी लेपचा इसे “कर्सन रिप” कहते हैं। (Karsiang: Land of White Orchids in West Bengal)

सफेद आर्किड
सफेद आर्किड

कार्सियांग (Karseang) कभी सिक्किम का एक भाग था। सन् 1835 में सिक्किम के चोग्याल (राजा) ने इस गांव को ईस्ट इण्डिया कम्पनी को सौंप दिया। अंग्रेजों ने यहां की सुन्दरता के देखते हुए इसका पर्यटन स्थल के रूप में विकास किया और इसके आसपास कई चाय बागान और सन्तरे के बाग लगाए। 1880 में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे का यहां तक विस्तार होने पर यह पर्यटन के नक्शे में तेजी से उभरा। बाद में इस रेलवे का मुख्यालय भी यहीं स्थानान्तरित कर दिया गया। यहां के कुछ स्थानों से हिमालय के तीसरे सबसे ऊंचे शिखर कंचनजंगा, दुनिया के 32वें सर्वोच्च शिखर जन्नू तथा महानन्दा और तीस्ता नदियों को देखा जा सकता है।

कार्सियांग में देखने योग्य स्थान (Places to visit in Karseang)

ईगल्स क्रेग व्यू पॉइन्ट :

ईगल्स क्रेग व्यू पॉइन्ट, कार्सियांग
ईगल्स क्रेग व्यू पॉइन्ट, कार्सियांग

यह कार्सियांग (Karseang)  के साथ-साथ पूरे पश्चिम बंगाल के सबसे प्रसिद्ध स्थानों में से एक है। यहां तक जाने वाला रास्ता अपने आप में एक साहसिक अनुभव है। संकरी और खड़ी सड़क और इसको काटती हुई जल धाराएं राह को और चुनौतीपूर्ण बना देती हैं। इस व्यू पॉइन्ट से आप आसपास के पहाड़ों के साथ ही कंचनजंगा हिमशिखर, स्थानीय बस्तियों, नदियों और चाय बगानों के साथ ही सिलीगुड़ी के मैदानी इलाके का अद्भुत नज़ारा देख सकते हैं। यहां घुमावदार सीढि़यों वाला वॉच टावर, 1988 में अशान्ति के दौरान जान गंवाने वाले गोरखाओं की याद में बनाई गयी वेदी और उद्यान भी हैं।

डॉव हिल :

डॉव हिल, कार्सियांग
डॉव हिल, कार्सियांग

यह एक बेहद खुबसूरत पहाड़ी है। इसका काफी हिस्सा घने जंगल से घिरा हुआ है जहां कई वन्य जीवों को देखा जा सकता है। इस पहाड़ी को लेकर कई प्रेतवाधित घटनाएं या कहानियां भी सुनी जाती हैं

डियर पार्क :

डीयर पार्क, कार्सियांग
डीयर पार्क, कार्सियांग

इसे डॉव हिल इको पार्क के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे सैटेलाइट पार्क कहते हैं। देवदार के विशाल वृक्षों से आच्छादित यह पार्क हिरणों के साथ-साथ कई अन्य जानवरों तथा पक्षियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियों का निवास है जिन्हें आसानी से यहां घूमते हुए देखा जा सकता है। अगर आप प्रकृति प्रेमी होने के साथ-साथ पशु-पक्षी प्रेमी भी हैं तो आपको इस पार्क में जरूर घूमना चाहिए।

चाय बागान :

टी गार्डन्स, कार्सियांग
टी गार्डन्स, कार्सियांग

यह हिल स्टेशन अपने चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है। विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग चाय के एक बड़े हिस्से का यहीं पर उत्पादन होता है। यहां के मकाईबाड़ी और अम्बोटिया चाय बागान देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। यहां आप हरेभरे चाय बागानों के गलियारों में घूम सकते हैं, श्रमिको से मिल सकते है और चाय पत्तियों के प्रसंस्करण की प्रक्रिया के बारे में जान सकते हैं। पर्यटक यहां टी टेस्टिंग सेशन में भी शामिल हो सकते हैं।

वन संग्रहालय :

फ़ॉरेस्ट म्यूजियम, कार्सियांग
फ़ॉरेस्ट म्यूजियम, कार्सियांग

वन विभाग द्वारा संचालित इस संग्रहालय में डॉव हिल क्षेत्र में रहने वाले जानवरों के कंकाल, हड्डियां, खाल और तस्वीरों के अलावा लकड़ी की कलाकृतियां भी प्रदर्शित की गयी हैं। इसके परिसर में एक सुन्दर उद्यान है। प्रकृति प्रेमियों को इस वन संग्रहालय को अवश्य देखना चाहिए।

दार्जिलिंग हिमालयन रेल संग्रहालय : टॉय ट्रेन के नाम से विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे के मुख्यालय के साथ ही इसका एक संग्रहालय भी कार्सियांग में ही है। इस संग्रहालय में कुछ दुर्लभ तस्वीरें, स्केच और ट्रेनों की लघु संरचनाएं देखी जा सकती हैं। अगर आपको दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे को करीब से जानना है तो इस संग्रहालय को अवश्य घूमना चाहिए। आपके साथ बच्चे हों तो उन्हें भारत की इस अनमोल विरासत के दर्शन अवश्य कराएं।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस संग्रहालय :

नेताजी सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम, कार्सियांग
नेताजी सुभाष चंद्र बोस म्यूजियम, कार्सियांग

कार्सियांग से करीब चार किलोमीटर दूर टीएन रोड पर स्थित यह संग्रहालय भवन कभी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के भाई का आवास था। स्वयं नेताजी भी कुछ समय यहां रहे थे। यहां नेताजी की नजरबन्दी से सम्बन्धित चित्र, दस्तावेज और लेख प्रदर्शित किए गये हैं। यह हिमालयी भाषा और संस्कृति के अध्ययन के लिए एक संस्थान के रूप में भी कार्य करता है। यहां फोटोग्राफी करने से पहले अनुमति अवश्य लें क्योंकि चयनात्मक फोटोग्राफी की ही अनुमति है।

चर्च : अंग्रेजों ने दर्जिलिंग क्षेत्र को पर्यटल स्थल के रूप में विकसित करने के साथ ही यहां चाग बागान लगवाए और कई चर्च बनवाए। कार्सियांग में स्थित ब्रिटिश दौर के सेंट पॉल कैथोलिक चर्च, सेंट एंड्रयू चर्च या सेंट मैरी हिल चर्च की संरचना अत्यन्त सुन्दर है।

अम्बोटिया शिव मन्दिर :

अम्बोटिया शिव मंदिर, कार्सियांग
अम्बोटिया शिव मंदिर, कार्सियांग

अम्बोटिया चाय एस्टेट में स्थित अम्बोटिया शिव मन्दिर कार्सियांग के सबसे प्रसिद्ध मन्दिर में से एक है। यहां  दर्शन-पूजन के साथ ही क्षेत्र के अद्भुत सौन्दर्य का भी आनन्द ले सकते हैं। हरेभरे चाय बागानों के बीच स्थित सन्तरे के बागों में जब फल लगते हैं तो एक अलग ही परिदृश्य नजर आता है।

कब जायें कार्सियांग (When to go to Karseang)

कार्सियांग से हिमालय का भव्य नजारा।
कार्सियांग से हिमालय का भव्य नजारा।

कार्सियांग का औसत तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, इसीलिए आप बारिश के मौसम को छोड़कर कभी भी यहां घूमने जा सकते हैं। फिर भी मार्च से जून और सितम्बर से नवम्बर के बीच का समय सबसे अच्छा माना जाता है। दरअसल, मानसून काल में यहां तेज हवा चलने के साथ ही मूसलधार बारिश होती है, इस कारण कई बार भूस्खलन, बादल फटने आदि के कारण रास्ते बाधित हो जाते हैं।

मिरिक : अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य का धनी भारत का सबसे युवा हिल स्टेशन

ऐसे पहुंचें कार्सियांग (How to reachKarseang)

वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर है जहां के लिए देश के सभी प्रमुख शहरों से नियमित उड़ानें हैं।

रेल मार्ग : निकटतम स्टेशन सिलीगुड़ी जंक्शन यहां से लगभग 35 जबकि न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन करीब 43 जबकि किलोमीटर दूर है। सिलीगुड़ी जंक्शन एक बड़ा रेल हेड है जहां के लिए दिल्ली, मुम्बई, हावड़ा गुवाहाटी आदि से नियमित ट्रेन सेवा है।

सड़क मार्ग : कार्सियांग पश्चिम बंगाल के विभिन्न शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दार्जिलिंग, सिलीगुड़ी, कालिम्पोंग, न्यू जलपाईगुड़ी आदि से यहां के लिए नियमित रूप से निजी और सरकारी बसें, टैक्सी आदि चलती हैं।

कालिम्पोंग : शिवालिक पर्वतमाला में लेप्चाओं के खेलने की पहाड़ी

 

2 thought on “कार्सियांग : पश्चिम बंगाल में सफेद आर्किड की धरती”

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