कालिम्पोंग अपनी जैव विविधता, मनोरम पहाड़ों और घाटियों, बौद्ध मठों, मन्दिरों, गिरजाघरों और तिब्बती हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यह ऑर्किड, कैक्टस और सजावटी पौधों की विविध किस्मों का घर है। यहां देश के 80 प्रतिशत ग्लेडियोलस का उत्पादन होता है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
दार्जिलिंग के खुशगवार मौसम में कुछ दिन गुजारने के बाद हमारा अगला गंतव्य था कालिम्पोंग (Kalimpong)। समुद्र की सतह से 1,247 मीटर की ऊंचाई पर शिवालिक पर्वतमाला की तलहटी में बसा कालिम्पोंग दार्जिलिंग की तरह ही पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख हिल स्टेशन है। सिलीगुड़ी से 67 किलोमीटर दूर स्थित यह शहर उत्तर बंगाल में पड़ता है। सिलीगुड़ी, न्यू जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
दर्जिलिंग के होटल से प्रातः दस बजे चेकआउट कर हम रवाना हुए तो आसमान में बादल और हवा में खुनक थी। बीच-बीच में सूर्यदेव दर्शन देकर सुखद अहसास कराते रहे। तक्धा में एक-एक कप कॉफी पीने के बाद हम करीब सवा 12 बजे कालिम्पोंग प्रथम में थे। हम सिलिगुड़ी जाने का अपना कार्यक्रम स्थगित कर आचानक ही कालिम्पोंग रवाना हुए थे, इस कारण किसी होटल में कमरा भी बुक नहीं था। सीजन पीक पर था और हर तरफ पर्यटक नजर आ रहे थे। बहरहाल, कुछ देर इधर-उधर भटकने के बाद हमें एक तीन सितारा होटल में एक कमरा मिल गया।

कमरे में कुछ देर आराम करते हुए ही तय किया कि दोपहर का भोजन किसी तिब्बती या बंगाली रेस्तरां में किया जायेगा। ऐसा करना सस्ता भी पड़ेगा और स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ भी उठा सकेंगे।
कालिम्पोंग (Kalimpong) अपनी जैव विविधता, मनोरम पहाड़ों और घाटियों, बौद्ध मठों, मन्दिरों, गिरजाघरों और तिब्बती हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यह ऑर्किड, कैक्टस और सजावटी पौधों की विविध किस्मों का घर है। यहां देश के 80 प्रतिशत ग्लेडियोलस का उत्पादन होता है। यहां से हिमालय के कंचनजंगा हिम शिखर और तीस्ता नदी घाटी का बहुत सुन्दर नजारा दिखता है। लेप्चाओं के अनुसार, कालिम्पोंग का अर्थ है “रिज जहां हम खेलते हैं”। (Kalimpong: Lepchas’ play hill in the Shivalik ranges)
कालिम्पोंग का इतिहास (History of Kalimpong)
कालिम्पोंग (Kalimpong) सन् 1700 तक यह सिक्किम का एक भाग था। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में भूटान के राजा ने इस पर कब्जा कर लिया। उस समय यह पूरा इलाका डालिमकोट के नाम से जाना जाता था और कालिम्पोंग यहां का एक छोटा-सा गांव था। आंग्ल-भूटान युद्ध के बाद 1865 में इसे दार्जिलिंग में मिला दिया गया। 11 नवंबर 1865 को सिंचुला की संधि के बाद ही कालिम्पोंग को महत्व मिलना शुरू हुआ और धीरे-धीरे यह तिब्बत के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण केन्द्र बन गया। ब्रिटिश सरकार ने कालिम्पोंग को दार्जिलिंग के वैकल्पिक हिल स्टेशन के रूप में विकसित करने का फैसला किया और इसको अन्य स्थानों से आने वाले लोगों के लिए खोल दिया। 1950 तक यह ऊन का प्रमुख व्यापार केन्द्र था। वर्तमान में यह पश्चिम बंगाल का दूसरा सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन है। 14 फरवरी 2017 को दार्जिलिंग जिले का विभाजन कर कालिम्पोंग को पश्चिम बंगाल का 21वां ज़िला बनाया गया। इसमें कालिम्पोंग नगरपालिका और तीन सामुदायिक विकास खंड- कालिम्पोंग प्रथम, कालिम्पोंग द्वितीय और गुरुबथन शामिल हैं। ज़िले का मुख्यालय कालिम्पोंग प्रथम है।
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कालिम्पोंग के घूमने योग्य प्रमुख स्थान (Major places to visit in Kalimpong)
थारपा चोलिंग मठ :

कालिम्पोंग को “मठों की धऱती” भी कहा जाता है जहां कई मठ हैं। तिरपई हिल्स पर स्थित थारपा चोलिंग मठ का इनमें खास स्थान है। इसकी वास्तुकला काफी शानदार है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक खींचे चले आते हैं। डोमो गेशे रिनपोछे द्वारा वर्ष 1912 में स्थापित इस मठ को भारत के सबसे पुराने गेलुग्पा मठों में गिना जाता है।
डरपिन दारा :

स्थानीय भाषा में इसे “दूरबीन पहाड़ी” कहते हैं। इस खूबसूरत पहाड़ी से कम्पिलोंग नगर के साथ-साथ बर्फ से ढकी हिमालय पर्वतमाला, जेलेप ला (दर्रा) तथा तीस्ता नदी और उसकी घाटियां के मनोरम दृश्यों को भी देखा जा सकता है। यहां एक गोल्फ कोर्स और वनस्पति उद्यान भी है। यहां स्थिदत ज़ंग ढोक पालरी मठ को 1978 में दलाई लामा द्वारा संरक्षित किया गया था
मॉर्गन हाउस :

यह दुरपिंडारा पर्वत (डरपिन पहाड़ी) पर स्थित एक ब्रिटिश औपनिवेशिक हवेली है जिसका परिसर 16 एकड़ में विस्तृत है। ब्रिटिश उद्योगपति जॉर्ज मॉर्गन ने वर्ष 1930 में इसका निर्माण कराया था। मॉर्गन दम्पती की कोई सन्तान न होने के कारण ये घर उनके बाद एक ट्रस्ट और फिर भारत सरकार के अन्तर्गत चला गया। वर्तमान में मार्गन हाउस पश्चिम बंगाल के पर्यटन विभाग के अन्तर्गत आता है। कालिम्पोंग शहर के केन्द्र से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस स्थान से हिमालय की कंचनजंगा पर्वत श्रृंखला के भव्य दर्शन होते हैं। यहां ठहरने वाले कई पर्यटक इस बात की शिकायत कर चुके हैं कि यहां रात में अजीबोगरीब आवाजें और डरावने अनुभव होते हैं। अगर आप थोड़ा रहस्य के साथ रोमांच का आनन्द लेना चाहते हैं तो यहां एक रात जरूर रुकें।
मंगल धाम मन्दिर :

दो एकड़ में फैला मंगल धाम मन्दिर” कलिम्पोंग के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मन्दिर में प्रार्थना कक्ष ऊपरी मंजिल पर है जबकि भूतल में गुरुजी श्री मंगलदासजी की समाधि है। इसका निर्माण श्री मंगलदासजी महाराज की स्मृति में कराया गया था जो 1940 में कालिम्पोंग पहुंचे थे और यहां कई अनाथालय, विद्यालय और मन्दिर बनवाए।
नीरा वैली नेशनल पार्क :

88 वर्ग किलोमीटर में फैले नीरा वैली नेशनल पार्क का स्थापन 1986 में हुई थी। यह राष्ट्रीय पार्क पूर्वी भारत के सबसे समृद्ध जैविक क्षेत्रों में से एक है। इसको “लाल पांडा की भूमि” के रूप में भी जाना जाता है। यहां दुर्लभ काला एशियाई भालू भी देखने को मिल जाएगा। इसके अलावा भी यहां पक्षियों, वनस्पतियों और पेड़-पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इस पार्क में स्थित राचेला दर्रा यहां का सबसे ऊंचा स्थान माना जाता है जो भारत और भूटान के साथ सीमा भी बनाता है। इस पार्क को अपना नाम नीरा नदी से मिला है जो इसके बीच से बहती है। यह पर्यटकों के लिए सुबह छह से शाम छह बजे तक खुला रहता है। जुलाई से सितम्बर तक यह बन्द रहता है।
देओलो हिल :

कालिम्पोंग शहर के उत्तर पूर्व में स्थित यह पहाड़ी इस क्षेत्र का सबसे सबसे ऊंचा स्थान और एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यहां से तीस्ता नदी, रेली घाटी और शहर के आसपास के गांवों के विहंगम दृश्य देखे जा सकते हैं। यहां पर एक पार्क भी विकसित किया गया है।
लेप्चा संग्रहालय :

शहर के केन्द्र से लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस संग्रहालय को कलिम्पोंग के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है। यहां न केवल लेप्चा समुदाय के रीति-रिवाजों और विरासत को दर्शाया गया है बल्कि उनके पूजा एवं संगीत उपकरण और परिधानों समेत कई वस्तुओं को संरक्षित कर रखा गया है। यह सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक खुला रहता है। जिन लोगों की विरासत और पुराने संग्रह का अध्ययन करने में रुचि है, उनके लिए यह संग्रहालय घूमने के लिए आवश्यक स्थानों में से एक है।
ज़ोंग डॉग पलरी फो ब्रांग मठ :

यह मठ डरपिन हिल के शीर्ष पर स्थित है। इसकी स्थापना 1970 में हुई थी और छह साल बाद दलाई लामा द्वारा संरक्षित किया गया। यह अपनी आकर्षक वास्तुकला और डर्पिन हिल से दिखने वाले लुभावने परिदृश्यों के लिए जाना जाता है। यह सुबह नौ से सायं पांच बजे तक खुला रहता है।
मैकफर्लेन मेमोरियल चर्च :

1890 के दशक में एक स्कॉटिश मिशनरी द्वारा निर्मित मैकफर्लेन मेमोरियल चर्च कालिम्पोंग का एक प्रमुख दर्शनीय स्थल है। काफी ऊंचाई पर स्थित इस चर्च से पूरे शहर को देखा जा सकता है। इस चर्च की कहानी 1870 में शुरू हुई जब रेव विलियम मैकफर्लेन नामक एक युवा स्कॉटिश मिशनरी कालिम्पोंग में सीमांत तिब्बतियों के बीच काम करने के लिए पहुंचा। उसने यहां कई विद्यालयों और सहायता केंद्रों की स्थापना की। महज 47 वर्ष की आयु में उनका असामयिक निधन हो गया। उनके योगदान के लिए आभार के रूप में उनके भारतीय और यूरोपीय दोस्तों ने एक चर्च बनाने का फैसला किया। इसकी पहल मुख्य रूप से स्कॉटिश मिशनरी डॉ जॉन एंडरसन ग्राहम और उनकी पत्नी कैथरीन द्वारा 1889 में की गयी थी।
सेण्ट टेरेसा कैथोलिक चर्च : यह चर्च कालिम्पोंग के प्रमुख धार्मिक स्थल में से एक है। भूटानी गोम्पा (मठ) से मिलते-जुलते इस मठ का निर्माण स्थानीय कारीगरों द्वारा किया गया था। इसकी दीवारों पर बाइबिल से सम्बन्धित चित्र हैं। दरवाजों पर की गयी नक्काशी ताशी टैगे (हिमालयन बौद्ध धर्म के आठ शुभ प्रतीकों) से मिलती जुलती है। इस चर्च से हिमालय के बर्फीले शिखरों के अद्भुद दृश्यों को भी देख सकते हैं।
शहीद पार्क : इस पार्क की स्थापना उन 1,200 गोरखाओं की याद में की गयी थी जो 1986 से 1988 के बीच गोरखालैण्ड के लिए लड़ते हुए शहीद हो गये थे। यहां हर साल 27 जुलाई को शहीद दिवस आयोजित किया जाता है।
ऋषि बंकिम चन्द्र पार्क : देवदार के वृक्षों और व्यापक परिदृश्यों से घिरा यह पार्क कलिम्पोंग में घूमने की सबसे अच्छी जगहें में से एक है।
क्रॉकिटी : अपने वास्तुशिल्प और लुभावनी परिवेश के लिए प्रसिद्ध इस बंगले की स्थापना 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश ऊन व्यापारियों द्वारा की गयी थी। प्रसिद्ध रूसी दार्शनिक और लेखक हेलेना रोरिक ने अपने जीवन के आखिरी सात साल यहीं पर बिताए थे। क्रॉकिटी आज कालिम्पोंग के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में से एक है जहां हर साल हजारों पर्यटक आते हैं।
फूल नर्सरी : कलिम्पोंग में फूलों की कई नर्सरी हैं और यह फूलों की बागवानी के एक बड़े केन्द्र के रूप में उभरा है। लोग यहां न केवल फूलों को देखने आते हैं बल्कि उनकी पौध और बीज भी खरीद कर ले जाते हैं। यहां स्टैण्डर्ड नर्सरी विभिन्न प्रकार के गुलाब और डाहलिया के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा यूनिवर्सल नर्सरी, श्री गणेश मोनी प्रधान नर्सरी और उडसाई मणि प्रधान नर्सरी भी प्रसिद्ध हैं।
रोपवे : प्रसिद्ध शांको रोपवे तीस्ता और रीली नदियों के बीच बना हुआ है। इसकी कुल लम्बाई 11.5 किलोमीटर है। इसका निर्माण स्वीडन सरकार की मदद से किया गया था। इस रोपवे के कारण समथर पठार जो कि कालिम्गपोंग से 20 किलोमीटर की दूरी पर सिलीगुड़ी जाने के रास्ते पर स्थित है, जाना आसान हो गया है। पहले यहां जाने में एक दिन लग जाता था।
लावा और लोलेगांव : लावा एक एक सुरम्य पर्वतीय कस्बा है जहां कालिम्पोंग से डेढ़ घण्टे की ड्राइव कर पहुंचा जा सकता है। भूटानी शैली का एक बहुत सुन्दर मठ, नीरा वैली नेशनल पार्क, सिल्विकल्चर रिसर्च सेण्टर और चेंजी जलप्रपात इसके आसपास ही हैं। लोलेगांव एक और छोटा पहाड़ी समुदाय है जो लावा से लगभग 24 मील की दूरी पर स्थित खूबसूरत पहाड़ियों पर बसा हुआ है।
पेडोंग : यह शान्त पर्यटन स्थल पुरानी सिल्क रोड पर कालिम्पोंग के पूर्व में 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का पेडोंग मठ, दमसुंग किला, साइलेंस वैली, क्रॉस हिल, रिक्कीसम, रामिती व्यू पॉइन्ट और टिंचुले व्यू पॉइन्ट सबसे अधिक देखे जाने वाले पर्यटक आकर्षणों में से हैं।
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कालिम्पोंग में साहसिक गतिविधियां (Adventure Activities in Kalimpong)
रिवर राफ्टिंग : कालिम्पोंग में घूमने के दौरान आप यदि साहसिक गतिविधियों में शामिल होने की सोच रहे हैं तो तीस्ता नदी में राफ्टिंग आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यह मेली ब्रिज से शुरू होकर कालिम्पोंग के गिलखोला में समाप्त होती है।
ट्रैकिंग और हाईकिंग: कलिम्पोंग कई पहाड़ियों पर फैला हुआ है। यदि आप फुर्सत में हैं तो ज्यादार पर्यटन स्थलों तक ट्रैकिंग कर पहुंच सकते हैं। अच्छा होगा कि आप एक गाइड को हायर कर लें। आपके कुछ रुपये अवश्य खर्च होंगे पर खतरनाक पहाड़ी रास्तों पर वह आपका न केवल अच्छी तरह मार्गदर्शन करेगा बल्कि आप सुरक्षित भी रहेंगे।
कब जायें कालिम्पोंग (When to go to Kalimpong)
पहाड़ियों से घिरे कालिम्पोंग का मौसम हर समय सुखद रहता है। यहां तक कि आप दिसम्बर और जनवरी में भी यहां आराम से घूम-फिर सकते हैं। मई-जून में जब उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्र गर्मी से तपने लगते हैं, कालिम्पोंग का कुछ दिन का प्रवास तरोताजा कर देता है।
ऐसे पहुंचें कालिम्पोंग (How to reach Kalimpong)
हवाई मार्ग : सिलीगुड़ी के पास स्थित बागडोगरा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट कालिम्पोंग का निकटतम हवाई अड्डा है जो करीब 78 किलोमीटर पड़ता है। दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई और बंगलुरु समेत भारत के लगभग सभी प्रमुख शहरों से बागडोगरा के लिए उड़ान है।
ट्रेन मार्ग : कालिम्पोंग में कोई भी रेलवे स्टेशन नहीं है। निकटतम रेल हेड सिवोक यहां से करीब 47 किलोमीटर पड़ता है। न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन यहां से करीब 72 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग : कालिम्पोंग पश्चिम बंगाल के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह दार्जिलिंग से करीब 52, सिलिगुड़ी से 67 और कोलकाता से लगभग 667 किलोमीटर दूर है।
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