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उत्तराखण्ड के लोगों की मेहनत की कमाई लूटने में प्रकाश जोशी का नाम निदेशकों में होना बड़ा काम आया। प्रकाश रुद्रप्रयाग कका रहने वाला है।

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वाराणसी।  साइबर क्राइम थाना पुलिस ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के नाम पर 15 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर उसके एक सदस्य को गिरफ्तार किया है। गिरोह में शामिल 7 अन्य लोगों की तलाश में छापेमारी की जा रही है। इस गिरोह ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के साथ ही बिहार, झारखण्ड तक अपना जाल फैला रखा था। यह गिरोह करीब तीन हजार लोगों को ठग चुका है।

यह गिरोह क्रिप्टो करेंसी में निवेश से अच्छी कमाई का लालच देकर लोगों को फंसाता था। इसके द्वारा अब तक 15 करोड़ की ठगी करने की जानकारी सामने आ चुकी है। पुलिस को आशंका है कि ठगी की रकम 50 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। साइबर क्राइम थाना पुलिस द्वारा पकड़े गए ठग का नाम शुभम उर्फ विशाल मौर्य है। वह वाराणसी जिले के रामनगर के भीटी मच्छरहट्टा का रहने वाला है। उसके पास से मोबाइल हैंडसेट, दो सिम कार्ड और हाई पॉवर यामाहा मोटरसाइकिल बरामद हुई है। इस मामले में 7 अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है।

दरअसल, रामनगर के रहने वाले राजू कुमार ने ठगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो गड़बड़झाले के राज खुलते गए। इस गिरोह ने सितंबर 2022 में रामनगर में बस्ड ग्लोबल नाम की कंपनी शुरू की थी। कंपनी को प्रतिष्ठित और विश्वसनीय दर्शाने के लिए वेबसाइट आदि भी बनवाई गई। उत्तराखण्ड के रुद्रप्रयाग का प्रकाश जोशी तथा उत्तर प्रदेश के उन्नाव का अर्जुन शर्मा और बदायूं के सुकतिया चितरी का रहने वाला राजकुमार मौर्य कंपनी के निदेशक थे। रामनगर के भीटी मच्छरहट्टा के नवनीत सिंह और शुभम मौर्य, पंचवटी के विकास नंदा, गोलाघाट का मोहम्मद दानिश खान और रामेश्वर पंचवटी के सत्यम पांडेय को सुपरवाइजर बनाया गया। इन लोगों ने स्थानीय युवकों को अच्छे वेतन और कमीशन का लालच देकर नौकरी पर रखा और इनके जरिए 600 दिन में रुपये दोगुणा करने का झांसा देकर लोगों से क्रिप्टो करेंसी में निवेश कराने का काम शुरू किया।

साइबर क्राइम थाना प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने बताया कि जांच में पता चला है कि इसस गिरोह ने वाराणसी और आसपास के जिलों के अलावा उत्तराखण्ड, बिहार और झारखण्ड के लोगों को अपना शिकार बनाया। उत्तराखण्ड के लोगों की मेहनत की कमाई लूटने में प्रकाश जोशी का नाम निदेशकों में होना बड़ा काम आया।

सुपरवाइजर नवनीत सिंह बिहार का रहने वाला है लेकिन स्थानीय लोगों से मेलजोल बढ़ाने के लिए उसने अपने आधार कार्ड में रामनगर का पता दर्ज करवा लिया। इस तरह उसने स्वयं को स्थानीय बताकार कई स्थानीय युवकों को अपने साथ जोड़ा। गिरोह ने धीरे-धीरे 7 अलग-अलग कंपनियां बना लीं और निवेश बढ़ने लगा। अक्टूबर 2023 में कंपनी ने घाटा बताकर लोगों को रुपये देना बंद कर दिया। इस साल मई में मुकदमा दर्ज होने के बाद आरोपित रुपये लेकर फरार हो गए। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से बिहार और झारखण् में छिपते घूम रहे रहे शुभम उर्फ विशाल मौर्य को गिरफ्तार कर लिया   है। अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है।

क्या है क्रिप्टो करेंसी

क्रिप्टो करेंसी डिजिटल संपत्ति है, जिसे एक्सचेंज के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह एक लेखा प्रणाली और मुद्रा दोनों के रूप में काम करती है.। यह किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं की जाती। दुनिया भर में अलग-अलग क्रिप्टो जैसे बिटकाइन, एथेरियम, डोजीकाइन आदि हैं। क्रिप्टो करेंसी को आमतौर पर मोबाइल फ़ोन, कंप्यूटर और क्रिप्टो करेंसी एटीएम से खरीदा जाता है। अलग-अलग देशों में अलग-अलग नियम और कानून हैं। भारत में क्रिप्टो करेंसी अभी मान्य नहीं है, इसलिए निवेशक इसमें ट्रेडिंग अपनी जोखिम पर करते हैं।

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