गुमनाम हो चुके चिखलदरा (Chikhaldara) हिल स्टेशन को वर्ष 1823 में हैदराबाद रेजिमेन्ट में सेवारत एक ब्रिटिश कैप्टन रॉबिन्सन द्वारा फिर से खोजा गया। हरी-भरी पहाड़ियों के कारण यह स्थान अंग्रेजों के बीच तुरन्त लोकप्रिय हो गया क्योंकि यह उन्हें उनकी मातृभूमि की याद दिलाता था; खासकर शरद ऋतु के दौरान।
न्यूज हवेली नटवर्क
भारत के अन्य राज्यों के लोग महाराष्ट्र को प्रायः कृषि-बागवानी, उद्योग-धन्धों और तीर्थस्थलों की धरती के तौर पर जानते हैं। हकीकत तो यह है कि ईश्वर ने महाराष्ट्र को प्राकृतिक सौन्दर्य का भी वरदान दिया है। यहां पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियों में ऐसे कई हिल स्टेशन हैं जो किसी को भी सम्मोहित कर देते हैं। हालांकि इनमें से कई के बारे में लोग काफी कम जानते हैं। ऐसा ही एक पर्यटन स्थल है चिखलदरा (Chikhaldara)। यह सतपुड़ा पर्वत श्रेणी की एक बहुत ही सुन्दर घाटी है।
नागपुर जंक्शन से प्रातः ठीक 06:30 बजे रवाना हुई अमरावती इण्टरसिटी सुपरफास्ट एक्सप्रेस ने हमें 09:50 बजे अमरावती पहुंचा दिया। अमरावती से परिवहन निगम की बस में बैठकर हम अपराह्न करीब डेढ़ बजे चिखलदरा (Chikhaldara) पहुंच गये। आष्टि, पोहरा, परतवाडा और धामणगांव गढ़ी होते हुए चिखलदरा (Chikhaldara) जाने वाले मार्ग के परिदृश्य इतने सुन्दर हैं कि नजरें नहीं हटतीं। इसके बाद चिखलदरा में प्रकृति कई राजसी दृश्यों और उत्कृष्ट वन्य जीवन के साथ पर्यटकों का स्वागत करती है। (Chikhaldara: hypnotism of nature in Vidarbha, Maharashtra)
समुद्र तल से 1,088 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शान्त हिल स्टेशन मेलघाट टाइगर प्रोजेक्ट क्षेत्र से घिरा हुआ है। महाराष्ट्र के विदर्भ का यह स्थान पौराणिक मान्यता भी रखता है। इतिहासकारों की मानें तो यह स्थान कभी राजा विराट की नगरी हुआ करता था और विराट नगर के नाम से जाना जाता था। आज्ञातवास के दौरान पाण्डवों ने यहीं शरण ली थी और भीम ने द्रौपदी का अपमान करने पर कीचक का वध किया था।
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गुमनाम हो चुके चिखलदरा (Chikhaldara) हिल स्टेशन को वर्ष 1823 में हैदराबाद रेजिमेन्ट में सेवारत एक ब्रिटिश कैप्टन रॉबिन्सन द्वारा फिर से खोजा गया। हरी-भरी पहाड़ियों के कारण यह स्थान अंग्रेजों के बीच तुरन्त लोकप्रिय हो गया क्योंकि यह उन्हें उनकी मातृभूमि की याद दिलाता था; खासकर शरद ऋतु के दौरान। अंग्रेजों ने यहां कई कॉफी बागान विकसित किए और भवन बनवाए।
चिखलदरा के आसपास के दर्शनीय स्थान (Sightseeing places around Chikhaldara)
भीमकुण्ड जलप्रपात :
लगभग 3,500 फुट गहरे इस कुण्ड का नाम महाभारत के पात्र भीम के नाम पर पड़ा है। यहां एक भव्य जलप्रपात भी है। मान्यताओं के अनुसार कीचक का वध करने के बाद भीम ने इसी जलप्रपात में स्नान किया था। बरसात के मौसम में यहां की छटा देखने लायक होती है। यह प्रतवाड़ा से मोथा होते हुए चिखलदरा जाने वाले रास्ते पर अल्लादोह गांव के पास दक्षिण में स्थित है।
पंचबोल पॉइन्ट : यह अपने पहाड़ी दृश्यों के लिए जाना जाता है। यहां पांच पहाड़ियों के किनारे जुड़े हुए हैं इसलिए इसे पंचबोल पॉइन्ट कहा जाता है। इसे ईको पॉइन्ट के रूप में भी जाना जाता है। इस बिन्दु से पांच अलग-अलग प्रतिध्वनियां सुनी जा सकती हैं। पर्यटक यहां जलप्रपात और कॉफी के बागान देख सकते हैं।
देवी कुण्ड : यह कुण्ड अपनी सुन्दर जल धाराओं के लिए जाना जाता है। यहां स्थानीय लोकदेवी का एक मन्दिर भी है। बारिश के मौसम में यहां की खूबसूरती देखने लायक होती है।
गविलगढ़ दुर्ग :
यह किला मेलघाट बाघ अभयारण्य के समीप सतपुड़ा पर्वतमाला के एक पहाड़ पर स्थित है। वर्तमान में यह खण्डहर अवस्था में है लेकिन आज भी इसकी वास्तुकला पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहां कुछ सुन्दर नक्काशीदार मूर्तियां हैं जिनके बारे में माना जाता है कि इन्हें निजामों के शासनकाल में बनाया गया था। किले की दीवारों पर हाथी, बैल, बाघ, शेर आदि की आकृतियां उकेरी गयी हैं। इसके अलावा देवनागरी, फारसी और अरबी लिपि में भी कुछ जानकारियां अंकित की गयी हैं। किले में लोहे से बनी 10 तोपें भी हैं। ऐसा कहा जाता है कि गवली, जो 12वीं/13वीं शताब्दी में चरवाहा समुदाय के शासक थे, ने इस किले का निर्माण कराया था। बाद के दिनों में इस पर गोंड शासकों का कब्जा हो गया। मुगलों ने गोंड सेना को पराजित कर इस पर कब्जा कर लिया।
मेलघाट बाघ अभयारण्य :
यह अभयारण्य सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की दक्षिणी शाखा गविलगढ़ पहाड़ी पर स्थित है। ताप्ती नदी इसके उत्तर में बहती है। इसकी स्थापना 1967 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गई थी। 1974 में इसे टाइगर रिजर्व के रूप में नामित किया गया। यह प्रोजेक्ट टाइगर के हिस्से के रूप में 1973-1974 में मान्यता प्राप्त मूल नौ बाघ अभयारण्यों में से एक है। सन् 1985 में इसे औपचारिक रूप से बाघ अभयारण्य घोषित कर दिया गया। बाघों के अलावा यहां स्लॉथ भालू, भारतीय गौर, सांभर, भौंकने वाले हिरण, तेंदुए, नीलगाय आदि भी हैं। इसके कुछ क्षेत्रों में लुप्तप्राय वन उल्लुओं का बसेरा होने की पुष्टि हुई है।
मोजारी पॉइन्ट : चिखलदरा से दो किलोमीटर दूर स्थित मोजारी पॉइन्ट प्रकृति की एक सुन्दर रचना है। बादलों से घिरी एक गहरी घाटी के दृश्य के साथ बारिश के धुंधले मौसम में घूमने के लिए यह एक शानदार जगह है। यहां से हम देवी पॉइन्ट क्षेत्र और गाविलगढ़ किले के पश्चिम की ओर भी देख सकते हैं। यहां एक स्थायी हेलीपैड है।
गोराघाट पॉइन्ट : चिखलदरा के पास स्थित गोराघाट पॉइन्ट इस क्षेत्र का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां पर एक सुन्दर व्यूपॉइन्ट विकसित किया गया है जहां से सतपुडा की वादियों को देख सकते हैं।
शक्कर झील :
यह झील गाविलगढ़ किले की ओर जाने वाले रास्ते पर देवी पॉइन्ट के पास है। इस झील में स्पीड बोट, पैडल बोट, स्कूटर बोट आदि का आनन्द ले सकते हैं। माना जाता है कि झील के पानी में कुत्ते के काटने से हुए घाव को ठीक करने की शक्ति है।
वैराट : चिखलदरा से लगभग 10 किलोमीटर दूर वैराट में एक प्राचीन देवी मन्दिर और एक छोटा-सा प्राकृतिक कुण्ड है।
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कब जायें चिखलदरा (When to go to Chikhaldara)
चिखलदरा जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का है। इस दौरान यहां का तापमान 17 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। इस समय आसमान बिल्कुल साफ होता है और यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य अपने पूर्ण यौवन पर होता है। अगस्त यहां का सबसे गर्म महीना होता है जब औसत तापमान 31 डिग्री रहता है और कई बार उमस परेशान कर देती है।
महाराष्ट्र के हिल स्टेशन (Hill stations of Maharashtra)
लोनावाला, खण्डाला, माथेरान, इगतपुरी, महाबलेश्वर, पन्चगनी, जौहर, कोरोली, अम्बोली, भण्डारदरा, राजमाची, कर्जत, तोरणमल, चिखलदरा, पन्हाला, दुरशेत, सतारा, लवासा, कोरोली, सावन्तवाड़ी, मालशेज घाट, भीमाशंकर, तम्हिनी घाट, सतारा, वाई, सूर्यमल।
ऐसे पहुंचें चिखलदरा (How to reach Chikhaldara)
वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा नागपुर का बाबा साहेब इण्टेरनशनल एयरपोर्ट यहां से करीब 229 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन करीब 85 किलोमीटर दूर अमरावती है। मुम्बई, पुणे, नागपुर, सूरत, जबलपुर, इटारसी, निजामुद्दीन (दिल्ली) आदि से अमरावती के लिए ट्रेन हैं।
सड़क मार्ग : चिखलदरा बेहतर सड़क मार्गों द्वारा महाराष्ट्र के लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। आप सरकारी ओर निजी बस, टैक्सी, आदि से यहां पहुंच सकते हैं। (जारी)
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