न्यूज हवेली नेटवर्क
छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है जिसका एक बड़ा हिस्सा जनजातीय है। साथ ही यहां की ज्यादातर आबादी हिन्दू है। इस सबका प्रभाव यहां के भोजन में भी देखने को मिलता है। यहां के लगभग सभी पारम्परिक पकवान शाकाहारी और देशज स्वाद वाले होते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि यहां का भोजन बहुत ही सरल और पकाने में आसान है।
छत्तीसगढ़ियों का मुख्य भोजन चावल है। पकवानों को तैयार करने में इसका खूब इस्तेमाल किया जाता है। बासी और बोरे यहां की जनजातियों का मनपसन्द भोजन है जिसे खाने से गर्मी का प्रभाव नहीं पड़ता है और स्वास्थ्य भी सही रहता है। कुछ लोग बोरे और बासी को एक ही समझते हैं जबकि दोनों में अन्तर है। रात को खाना खाने के बाद बचे हुए चावल को पानी में डुबा कर रखने के बाद उसे सुबह उठ कर खाया जाता है तो बासी कहते हैं जबकि जबकि रात को चावल पका कर उसे ठंडा करने के बाद पानी में डालकर खाते हैं तो उसे बोरे कहते हैं। यहां के कई पकवानों को तैयार करने में वनोपज का भी इस्तेमाल किया जाता है, जैसे बांस, नीम का फूल, पलाश के पत्ते, मूनगा के फूल, इमली के फूल, गिरहुल के फूल आदि।
ठेठरी : यह छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे प्रचलित पकवान है। इसको बनाने के लिए बेसन को नमक और अजवाइन डाल कर गूंथ लिया जाता है। फिर इसकी छोटी-छोटी लोई लेकर छोटी रस्सी के सामान गोल-गोल कर उसे बीच से आधा मोड़ कर गोल या शंक्वाकार आकृति बना लेते हैं। इसके बाद इसे तेल में फ्राई किया जाता है।
चीला :
इस पारम्परिक व्यंजन को मीठा और नमकीन दोनों प्रकार का बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए चावल के आटे का घोल तैयार करते हैं। मीठा चीला बनाने के लिए इस घोल में गुड़ या चीनी जबकि नमकीन बनाने के लिए नमक मिलाया जाता है। तवे पर तेल गर्म कर उसमें इस घोल को गोलाकार फैला कर पकाया जाता है।
हथ फोडवा : यह चीला का ही एक रूप है जिसे चावल के आटे का घोल तैयार कर बिना तेल के ही तवे पर पकाया जाता है।
बरा : बरा या बड़ा को उड़द की दाल से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए उड़द की दाल को छह से सात घण्टे तक पानी में भिगोने के बाद सिल पर मोटा-मोटा पीस लिया जाता है। इस पिट्ठी में हींग, हल्दी, नमक, पिसा धनिया, बारीक कटा हरा धनिया आदि मिलाये जाते हैं। इस तैयार पिट्टी से गोल आकार की लोई जैसी बनाकर उसे चपटा कर सरसों के तेल में तला जाता है। पितृपक्ष में छत्तीसगढ़ के लगभग हर घर में इसे अवश्य बनाया जाता है।
चौसला : इस पारम्परिक व्यंजन को चावल के आटे से तैयार किया जाता है। इसके लिए चावल के आटे में नमक और अजवाइन मिलाने के बाद थोड़ा-थोड़ा गर्म पानी डाल कर गूंथा जाता है। फिर छोटी-छोटी लोई काट कर तल ली जाती हैं।
मुठिया :
इसे बनाने के लिए चावल के आटे को गूंथा जाता है। फिर इससे गोल डंडे जैसे तैयार कर भाप में पकाये जाते हैं। अच्छी तरह पक जाने के बाद इनको छोटे-छोटे आकार में काटा जाता है। आखीर में मिर्च और तिल का छौंका लगाया जाता है।
गुजरात : शाकाहारी व्यंजनों की विश्व-यात्रा
अंगाकर : छत्तीसगढ़ की इस सुप्रसिद्ध रोटी को चावल के आटे से तैयार किया जाता है। इसके लिए चावल के आटे को गूंथ कर उसकी रोटियां बनायी जाती हैं जिन्हें ऊपर और नीचे दोनों तरफ पलाश के पत्तों से ढक कर अंगार में पकाया जाता है।
सोहारी : पूरी या पूड़ी को छत्तीसगढ़ में सोहारी कहते हैं। इसको गेहूं के आटे से मीठा और नमकीन दोनों तरह से बनाया जाता है। बहुत से लोग नमकीन सोहारी में अजवाइन भी मिलाते हैं। त्योहारों व अन्य शुभ अवसरों पर इसे अवश्य बनाया जाता है।
आमट : यह कई तरह की सब्जियों, नीम के फूल, मूनगा के फूल, इमली के फूल, गिरहुल के फूल और भीगे चावल से बनाया जाने वाला मसालेदार व्यंजन है। बांस की कोमल टहनिय़ां के छोटे-छोटे टुकड़े इसके स्वाद को और बढ़ा देते हैं। इसे आप छत्तीसगढ़ का साम्भर भी कह सकते हैं।
अईरसा :
इसे बनाने के लिए चावल के आटे को भिगोने के बाद सुखा लिया जाता है। इसको पीस कर गुड़ की चासनी डाल कर अच्छे से मिलाया जाता है। इसके पश्चात छोटे-छोटे आकार में तेल में तल लेते हैं।
डुबकी कढ़ी : यूं तो उत्तर और मध्य भारत के सभी राज्यों में कढ़ी बनती है पर छत्तीसगढ़ की डुबकी कढ़ी अपने मसालेदार-तीखे स्वाद के लिए जानी जाती है। यहां इसे बनाने के लिए प्रायः बेसन की जगह उड़द की दाल का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग इसे मूंग की दाल से भी बनाते हैं।
फरा :
इसको चावल के आटे से मीठा या नमकीन बनाया जाता है। मीठा फरा बनाने के लिए के लिए गुड़ या चीनी का प्रयोग किया जाता है। नमकीन फरा बनाने के लिए भाप में पकाने के बाद स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें छौंका लगाया जाता है। लोग इसे टमाटर-धनिया अथवा इमली की चटनी साथ खाना पसन्द करते हैं।
दोहरौरी : इसको देसी रसगुल्ला भी कह सकते हैं। इसे बनाने के लिए चावल के दरदरे आटे के गाढ़े घोल से बनाये गये गोलाकार पुओं को घी में तलने के बाद चासनी में डुबाया जाता है।
गुलगुल भजिया : इसको बनाने के लिए गेहूं के आटे और चीनी या गुड़ की चासनी की आवश्यकता होती है। इसे तैयार करने के लिए आटे में इतनी मात्रा में चासनी डाली जाती है कि वह पिलपिला सन जाये। इसकी पकौड़ियां जैसी तल ली जाती हैं।
करी : इस पकवान को बेसन के मोटे सेव से तैयार किया जाता है। इसे लड्डू का रूप देने के लिए गुड़ की चासनी तैयार करने के बाद उसमें सेव को मिला कर लड्डू बना लिये जाते हैं।
खुरमी :
इसको गेहूं और चावल के आटे में गुड़, चिरौंजी, नारियल आदि मिला कर बनाया जाता है।
पपची : बालूशाही के सामान दिखने वाला यहा मीठा व्यंजन छत्तीसगढ़ का राज्य पकवान भी है। इसे बनाने के लिए गेहूं और चावल के आटे के पेड़े जैस तल कर उन्हें शक्कर की चाशनी में डुबाया जाता है।
तसमई : खीर को छत्तीसगढ़ में तसमई कहते हैं। इसे बनाने के लिए चावल को दूध में पकाकर उसमें चीनी मिलायी जाती है। इसके बाद इसमें अपनी पसन्द के हिसाव से मेवे भी मिलाये जा सकते हैं। खास अवसरों पर इसे अवश्य बनाया जाता है।
तिलगुर : तिल के लड्डू या तिलगुर छत्तीसगढ़ का प्रमुख मीठा व्यंजन है। इसे तिल और मूंगफली के भुने दानों को गुड़ की चाशनी में मिलाकर बनाया जाता है। मकर संक्रान्ति और सकट चौथ पर इसको प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है।
Would love to try these
[…] छत्तीसगढ़ : शाकाहारी और देशज स्वाद […]
[…] छत्तीसगढ़ : शाकाहारी और देशज स्वाद […]