कसार देवी : अल्मोड़ा में माता कात्यायनी का प्रकाट्य स्थल
देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों का संहार करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। मान्यता है कि मान्यता…
देवी भागवत पुराण के अनुसार मां दुर्गा ने शुम्भ और निशुम्भ नामक दो राक्षसों का संहार करने के लिए देवी कात्यायनी का रूप धारण किया था। मान्यता है कि मान्यता…
कालिम्पोंग अपनी जैव विविधता, मनोरम पहाड़ों और घाटियों, बौद्ध मठों, मन्दिरों, गिरजाघरों और तिब्बती हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यह ऑर्किड, कैक्टस और सजावटी पौधों की विविध किस्मों का घर…
हमारे सामने था नन्दादेवी हिम-शिखर जो हिमालय पर्वत श्रृंखला में पूर्व में गौरी गंगा और पश्चिम में ऋषि गंगा की घाटियों के बीच उत्तराखण्ड में स्थित है। इसकी ऊंचाई 7816…
दूनागिरि मन्दिर (Dunagiri Temple) को उत्तराखण्ड के सबसे प्राचीन और सिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है। जम्मू-कश्मीर में कटरा के पास स्थिति वैष्णो देवी मन्दिर के बाद यह दूसरा वैष्णो…
सुयालबाड़ी से लगभग 55 किलोमीटर दूर पदमपुरी पहुंचने के साथ ही हम लोगों का मन बना कि अब हमें आज का स्टे कनरखा गांव में करना है। नैनीताल से 32…
उत्तराखण्ड के लोग नन्दा देवी को अपनी अधिष्ठात्री देवी मानते हैं। यहां की लोककथाओं में नन्दा को हिमालय की पुत्री कहा जाता है। अल्मोड़ा के नन्दा देवी मन्दिर परिसर में…
पारिस्थितिक स्थिति और जैवविविधता मूल्यों को ध्यान में रखते हुए लोकताक झील (मणिपुरी भाषा में लोकताक पाट) को वर्ष 1990 में रामसर अभिसमय के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि के…
पहाड़ों और जंगल से गुजरते ऊबड़-खाबड़ पथरीले रास्ते पर हम तीनों पूरी मस्ती के साथ बातियाते चल रहे थे। अभी कुछ ही कदम चले होंगे कि एक नदी सामने दिखी…
उत्तराखण्ड के देव-दरबार केवल देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के लिए ही नहीं, अपितु न्याय के लिए भी जाने जाते हैं। सबसे पहले हम जिला मुख्यालय अल्मोड़ा से आठ किलोमीटर दूर पिथौरागढ़…
तकरीबन 30 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद नैनीताल जिले में बसा एक खूबसूरत गांव आया सुयालबाड़ी जिसकी गोद में थी हमारेी आज की दिन की मन्जिल यानी ढोकाने…