घर में तुलसी एक वैद्य समान, वास्तु दोष भी दूर करने में सक्षम
शास्त्रों के अनुसार, जहां तुलसी विराजमान होती हैं, वहां साक्षात नारायण और कृष्ण जी विराजमान रहते हैं, इसलिये तुलसी को माता के रूप में पूजा जाता है। इसी कारण प्राचीन…
शास्त्रों के अनुसार, जहां तुलसी विराजमान होती हैं, वहां साक्षात नारायण और कृष्ण जी विराजमान रहते हैं, इसलिये तुलसी को माता के रूप में पूजा जाता है। इसी कारण प्राचीन…
न्यूज हवेली नेटवर्क सागर शब्द सुनते ही अथाह जलराशि की तस्वीर सामने आ जाती है। बचपन में गंगासागर (Gangasagar) का जिक्र होने पर लगता था कि यह भी अरब सागर…
जिला मुख्यालय नयी टिहरी से 41 किलोमीटर की दूरी पर चम्बा-मसूरी रोड पर कद्दुखाल नामक स्थान है जहां से लगभग 2.5 किमी की पैदल चढ़ाई कर सुरकण्डा माता के मन्दिर…
वास्तुकला की पारम्परिक नागर शैली में निर्मित श्री गोविन्दजी मन्दिर (Shri Govindji Temple) को बनाने में ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है और दो…
श्री सिद्धिविनायक गणपति मन्दिर का निर्माण सम्वत् 1692 में हुआ था लेकिन सरकारी दस्तावेजों के अनुसार इसका निर्माण पहली बार नवम्बर 1801 में हुआ था। शुरुआत में यह मन्दिर बहुत…
भगवान श्री रंगनाथस्वामी को समर्पित श्री रंगनाथस्वामी मन्दिर 108 दिव्य देशमों में से प्रथम माना जाता है। Sri Ranganathaswamy Temple परिसर अपने आप में किसी नगर से कम नहीं है।…
Aparna Shaktipeeth: अपर्णा शक्तिपीठ शेरपुर बोगुरा स्टेशन से 28 किलोमीटर दूर है। इसकी शक्ति है अर्पण और भैरव हैं वामन। यहां भैरव रूप भगवान शिव के दर्शन करने के पश्चात…
Shukratirtha: यहां एक वट वृक्ष है। कहा जाता है कि करीब 5000 साल पहले ऋषि शुकदेव महाराज ने पाण्डव धनुर्धर अर्जुन के पौत्र सम्राट परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने…
Tripur Sundari Shaktipeeth: ललिता देवी (Devi Lalita) का पादुर्भाव तब हुआ जब भगवान विष्णु द्वारा छोड़े गये सुदर्शन चक्र के प्रहार से पाताल समाप्त होने लगा। धरती धीरे-धीरे जलमग्न होने…
Gandaki Shaktipeeth: गण्डकी शक्तिपीठ ही वह स्थान है जहां माता सती के दक्षिण गण्ड (कपोल या गाल) का निपात हुआ था। यहां गण्डकी नदी (Gandaki River) में स्नान के बाद…