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Shukratirtha: यहां एक वट वृक्ष है। कहा जाता है कि करीब 5000 साल पहले ऋषि शुकदेव महाराज ने पाण्डव धनुर्धर अर्जुन के पौत्र सम्राट परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए इसके नीचे सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनायी थी। कार्तिक पूणिमा पर यहां गंगा स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। अक्षय वट से करीब 200 मीटर दूर एक कुआं है जिसे पांडलकालीन बताया जाता है।

न्यूज हवेली नेटवर्क

शुक्रतीर्थ (Shukratirtha) यानी शुक्रताल (Shukratal) भारत के उन स्थानों में है जिसका पौराणिक महत्व होने के बावजूद लोगों को इसके बारे में बहुत कम जानकारी है। हम भी इसका अपवाद नहीं थे। कुछ लोगों से इसके बारे में सुना जरूर था पर कभी जाना नहीं हो पाया था। अंततः वह दिन भी आ ही गया है जब हम कुछ मित्र मुजफ्फरनगर होते हुए यहां पहुंच गये। गंगा नदी के तट पर स्थित यह तीर्थस्थल मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर है। ट्रैफिक के भारी दबाव को चलते हमें यह दूरी तय करने में करीब सवा घन्टा लगा गया।

यहां एक वट वृक्ष है। कहा जाता है कि करीब 5000 साल पहले ऋषि शुकदेव महाराज ने पाण्डव धनुर्धर अर्जुन के पौत्र सम्राट परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए इसके नीचे सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनायी थी।  परीक्षित द्वापर युग के अंतिम सम्राट थे जिनकी मृत्यु के साथ ही धरती पर कलियुग शुरू हो गया। यह वट वृक्ष देवत्व, सत्य, क्षमा और पवित्रता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। मान्यता है कि पतझड़ के दौरान भी  इसका एक भी पत्ता सूखकर जमीन पर नहीं गिरता है अर्थात इसके पत्ते कभी सूखते नहीं हैं।

शुक्रतीर्थ का अक्षय़ वृक्ष (साभार सोशल मीडिया)
शुक्रतीर्थ का अक्षय़ वृक्ष (साभार सोशल मीडिया)

अक्षय वट की भुजाएं (शाखाएं) पूरे मन्दिर परिसर में फैली हुई हैं। इन भुजाओं के बीच ही दोमंजिला मन्दिर बना हुआ है। मान्यता है कि इस वट वृक्ष की भुजाओँ पर कलावा बांधने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

यहां पर शुकदेव मन्दिर और एक यज्ञशाला भी है। यहां भगवान शिव की 108 फ़ीट ऊंची, देवी दुर्गा की 80 फ़ीट ऊंची, बजरंगबली हनुमान की 72 फीट ऊंची और भगवान गणेश की 35 फीट ऊंची प्रतिमाएं भी स्‍थापित हैं। कार्तिक पूणिमा के दिन यहां गंगा स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। अक्षय वट से करीब 200 मीटर दूर एक कुआं है जिसे पांडलकालीन बताया जाता है।

शुक्रतीर्थ के दर्शनीय स्थान (Places to visit in Shukratirtha)

शुक्रतीर्थ
शुक्रतीर्थ

स्वामी चरनदासजी मन्दिर, भगवान राम मन्दिर, देवी शकम्भरी मन्दिर, नीलकंठ महादेव मन्दिर, गंगा मन्दिर।

ऐसे पहुंचें शुक्रतीर्थ (How to reach Shukratirtha)

शुक्रतीर्थ का निकटतम हवाईअड्डा देहरादून का जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है जो यहां से लगभग 126 किलोमीटर पड़ता है। निकटतम रेलवे स्टेशन मुज़फ्फरनगर यहां से करीब 28 किमी दूर है। जहां तक सड़कमार्ग की बात है, यह मोरना-बिजनोर रोड पर है। मुजफ्फरनगर जिला मुख्यालय से यहां के लिए बस, टैक्सी, टैम्पू आदि मिल जाते हैं। हरिद्वार से शुक्रतीर्थ करीब 87 किलोमीटर है।

2 thought on “Shukratirtha: शुक्रतीर्थ : सम्राट परीक्षित ने यहीं सुनी थी भागवत कथा”
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