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panoramic view of binsar.

बिनसर पक्षी अभयारण्य से हिमालय की बर्फ से ढकी करीब 300 किलोमीटर लम्बी पर्वत श्रृंखला के दर्शन किये जा सकते हैं जिसमें चौखम्बा, त्रिशूल, नन्दादेवी और पंचाचूली जैसे हिम शिखर शामिल हैं।

न्यूज हवेली नेटवर्क

बिनसर यानी नवप्रभात। उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जिला मुख्यालय से 34 किलोमीटर दूर पक्षियों का अद्भुत संसार! बिनसर (Binsar) नाम की पहाडी पर स्थित है। समुद्र तल से 2412 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह स्थान कभी कुमाऊं के चंद राजाओं (7वीं से 18वीं शताब्दी) की ग्रीष्मकालीन राजधानी रहा है। वर्ष 1988 में इसे तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने पक्षी विहार (Binsar Bird Sanctuary) घोषित किया था। (Binsar: The world of birds is situated on this hill of Almora)

बिनसर पक्षी विहार
बिनसर पक्षी विहार

47.04 वर्ग किलोमीटर में फैले बिनसर पक्षी विहार (Binsar Bird Sanctuary)  को वन्यजीवों के एक विशाल परिवार के घर के रूप में जाना जाता है। यहां यूं तो तेंदुआ, काला भालू, घुरल, जंगली बिल्ली, जंगली सुअर, लंगूर, साही, उड़न गिलहरी, लोमड़ी, बार्किंग डियर अदि बहुतायत में पाये जाते हैं पर इसकी असल पहचान यहां पाये जाने वाले दुर्लभ पक्षियों की वजह से है। यहां मोनाल, गोल्डन ईगल, हिमालयन स्नोकॉक, फॉर्किटेल, ब्लैक बर्ड्स, लाफिंग थ्रश, कालिज तीतर, पारकेट, श्यामा, ढेलहरा, तोता, बुलबुल, नीलकंठ समेत 200 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पाये जाते हैं।

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वनस्पतियों के मामले में अत्यंत समृद्ध बिनसर (Binsar) में हरी मखमली घास के मैदान हैं तो यहां के घने जंगलों में देवदार, बांज, बुरांस सुरई, चीड़, शाहबलूत, अंयार जैसे वृक्षों की विस्तृत श्रृंखला है। यहां से ग्रेटर हिमालय की बर्फ से ढकी करीब 300 किलोमीटर लम्बी पर्वत श्रृंखला के दर्शन किये जा सकते हैं जिसमें चौखम्बा, त्रिशूल, नन्दादेवी और पंचाचूली जैसे हिम शिखर शामिल हैं।

बिनसर महादेव मंदिर

बिनसर महादेव मंदिर
बिनसर महादेव मंदिर

यहां घने जंगल के बीच भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है जिसे बिनसर महादेव के नाम से जाना जाता है। हर साल जून में यहां महायज्ञ होता है।

कैसे पहुंचें

हवाई मार्ग : पंतनगर एयरपोर्ट 139 किमी, बरेली एयरपोर्ट करीब 225 किमी।

सड़क मार्ग : अलमोड़ा से बस और टैक्सी-कैब सेवा उपलब्ध है।

रेल मार्ग :  काठगोदाम रेलवे स्टेशन 112 किमी, हल्द्वानी रेलवे स्टेशन 116 किमी।

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One thought on “बिनसर : झांडी ढार पहाड़ी पर पक्षियों का संसार”

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