Fri. Feb 7th, 2025
halal certification

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News Havel, नई दिल्ली(Hearing on Halal Certification case) हलाल प्रमाणन (Halal Certification) वाले खाद्य उत्पादों (food products) के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने को लेकर कानूनी लड़ाई तेज होने के साथ ही रोचक भी हो गई है। हलाल प्रमाणन के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हुई सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि सीमेंट, लोहे की छड़ (सरिया), पानी की बोतलों सहित विभिन्न उत्पादों के लिए प्रमाणन देकर कुछ लाख करोड़ रुपये एकत्र किए जा रहे हैं। इससे सामानों की कीमतें बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सवाल किया – क्या सीमेंट और आटे को भी हलाल प्रमाणन की आवश्यकता है?

पानी की बोतलों, सीमेंट पर हलाल प्रमाणन क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि वह मांस के अलावा अन्य उत्पादों को हलाल के रूप में प्रमाणित देखकर स्तब्ध हैं। इसके जरिये यह प्रमाणित किया जा रहा है कि ये उत्पाद इस्लामी कानून की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

तुषार मेहता राज्य के भीतर हलाल प्रमाणन पर उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं का जवाब दे रहे थे। उन्होंने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ को बताया कि हलाल मांस का प्रमाणन आपत्तिजनक नहीं है लेकिन पानी की बोतलों और सीमेंट जैसे उत्पादों पर ऐसा नहीं होना चाहिए।

बेसन हलाल या गैर हलाल कैसे?

उन्होंने कहा कि क्या आटा (गेहूं का आटा), बेसन को भी हलाल प्रमाणित किया जाना चाहिए…? बेसन हलाल या गैर-हलाल कैसे हो सकता है? सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, “एजेंसियों ने इस तरह के प्रमाणीकरण के साथ ‘कुछ लाख करोड़’ कमाए हैं।”

जमीयत को जवाब के लिए 1 मार्च तक का समय

जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट सहित विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर शमशाद ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति में हलाल की अवधारणा को अच्छी तरह से समझाया गया है और यह जीवनशैली का मामला है। उन्होंने कहा कि सब कुछ स्वैच्छिक है और किसी को भी हलाल प्रमाणित उत्पाद लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है।

जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से पेश वकील ने कहा कि अल्कोहल इस्तेमाल की चीजें में अगर प्रयोग होता है तो इस पर हलाल सर्टिफिकेशन की जरूरत होती है। इसके तुरंत बाद जमीयत की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा कि केंद्र सरकार द्वारा दिए गए जवाब पर अपना जवाब दाखिल करना चाहते हैं। इस पर केंद्र के जवाब पर अपना पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत को 1 मार्च 2025 तक का समय दिया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने लगाया था प्रतिबंध

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने नवंबर 2023 में तत्काल प्रभाव से हलाल-प्रमाणित उत्पादों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया था।

 

 

 

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