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foreign secretary vikram misriforeign secretary vikram misri

विदेश सचिव ने कहा कि कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है।

नई दिल्ली (Agreement on LAC issue) भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर फिर से पैट्रोलिंग को लेकर सहमत हो गए हैं। यह समझौता देपसांग और डेमचोक इलाकों में पैट्रोलिंग से संबंधित है। संघर्ष के इन दोनों बिंदुओं (देपसांग और डेमचोक) पर पैट्रोलिंग शुरू हो चुकी है और जल्द ही दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर देंगे जिसे मिलिट्री टर्म में डिसइंगेटमेंट कहते हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी (Foreign Secretary Vikram Misri) ने सोमवार को इस बारे में स्वयं जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच पैट्रोलिंग की व्यवस्था को लेकर बनी सहमति से 2020 में पूर्वी लद्दाख में उत्पन्न हुए तनाव का धीरे-धीरे समाधान हो रहा है।

यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा से ठीक पहले हुआ है। रूस में ब्रिक्स की बैठक 22-23 अक्टूबर को निर्धारित है।

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विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप भारत-चीन सीमा क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है। समझौते के तहत देपसांग और डेमचोक में दोनों देशों की सेनाएं अपनी पुरानी जगह पर आ जाएंगी। इसके साथ ही डिस्इंगेजमेंट के बाद बफर जोन में भी गश्त का रास्ता साफ हो गया है।

चीन के साथ कूटनीतिक, सैन्य चर्चाएं जारी

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ संभावित द्विपक्षीय बैठक के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि हाल के हफ्तों में भारत और चीन के बीच कूटनीतिक और सैन्य चर्चाएं चल रही हैं। हम अभी भी किसी भी द्विपक्षीय बैठक के लिए समय और विवरण का समन्वय कर रहे हैं। भारत और चीन के बीच साल 2020 से सीमा विवाद है। चीन की तरफ से सीमा पर यथास्थिति में बदलाव के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव हो गया था।

गलवान में बलिदान हुए थे 20 भारतीय जवान

पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में वर्ष 2020 में 15–16 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी जिसमें 20 भारतीय सैनिक बलिदान हो गए थे और करीब दोगुनी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे। हालांकि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने सैनिकों के बारे में कभी आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए।

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