इज्जतनगर-भोजीपुरा के बीच पटरी सिकुड़ने के कारण ज्वाइंट खुल गया था। इससे पटरी में एक इंच से ज्यादा की दरार आ गई थी और ट्रेन गुजरने पर हादसा हो सकता था।
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली में रेल पटरी चटकी होने का समय पर पता चल जाने से एक बड़ा हादसा टल गया। वाकया सोमवार तड़के का है जब 15055-56 आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस इस पटरी पर से गुजरने वाली थी। पटरी चटकी होने की सूचना पर कंट्रोल रूम ने ट्रेन को इज्जतनगर में रोक दिया। इंजीनियरिंग टीम ने 45 मिनट में ट्रैक को दुरुस्त किया। इसके बाद ट्रैक पर 20 किलोमीटर प्रति घंटा के कॉशन के बाद ट्रेन को इज्जतनगर से आगे रवाना किया गया। आगरा फोर्ट-रामनगर-आगरा फोर्ट एक्सप्रेस का सप्ताह में अप-डाउन 3-3 दिन संचालन होता है। रविवार रात 8:53 बजे आगरा फोर्ट से चलने के बाद यह ट्रेन सोमवार तड़के 4:04 बजे इज्जतनगर पहुंची थी। इसी दौरान इज्जतनगर-भोजीपुरा के बीच (एयर फोर्स गेट के पास) रेलवे क्रॉसिंग संख्या 236 बी के पास ट्रैकमैन प्रेमपाल और हरिबाबू पैट्रोलिंग कर रहे थे। उन्होंने देखा कि रेल पटरी चटकी हुई है और उसमें करीब एक इंच की दरार थी। प्रेमपाल ने तुरंत की इसकी सूचना गेटमैन को दी। गेटमैन ने कंट्रोल रूम को अलर्ट कर दिया। इस दौरान ट्रेन इज्जतनगर स्टेशन छोड़ रही थी। रेल लाइन में फैक्चर की सूचना पर ट्रेन को रोक दिया गया।
कुछ ही देर में रेलवे की इंजीनियरिंग टीम मौके पर पहुंच गई। 45 मिनट में ट्रैक की मरम्मत करने के बाद 20 किलोमीटर प्रति घंटा के कॉशन के साथ ट्रेन को इज्जतनगर से रवाना किया गया। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि तापमान में गिरावट आने पर रेल पटरियां सिकुड़ने से इस तरह के फ्रैक्चर होते हैं। सभी रेलवे सेक्शन में पैट्रोलिंग बढ़ा दी गई है।
एक इंच से ज्यादा गैप
इज्जतनगर-भोजीपुरा के बीच पटरी सिकुड़ने के कारण ज्वाइंट खुल गया था। इससे पटरी में एक इंच से ज्यादा की दरार आ गई थी। जिस स्थान पर यह ट्रैक फैक्चर हुआ वहां ट्रेन की औसतन रफ्तार 60-70 किलोमीटर प्रति घंटा की रहती है। अगर फ्रैक्चर के समय आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस यहां से गुजरती तो हादसा हो सकता था। इज्जतनगर रेल मंडल के पीआरओ राजेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रैकमैन की सूझबूझ से आगरा फोर्ट-रामनगर एक्सप्रेस को इज्जतनगर में कंट्रोल कर लिया गया।
सर्दी में चटकने लगती हैं पटरियां
सर्दी का मौसम आते ही सबसे ज्यादा खतरा रेलवे ट्रैक को होता है। गर्मी में जहां रेल की पटरियां फैलती हैं, वहीं सर्दी के मौसम में पटरियों में सिकुड़न पैदा होती है। इस कारण अक्सर क्रैक आ जाता है। यही कारण है कि रेल प्रशासन सर्दी के मौसम में नाइट पैट्रोलिंग को बढ़ा देता है। रात को हर दो किलोमीटर के दायरे में एक साथ दो पैट्रोलिंग कर्मचारी निगरानी करते हैं।