Tue. Jun 24th, 2025
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Ziro: टैली घाटी वन्यजीव अभयारण्य, आर्किड अनुसंधान केंद्र, जाइरो पुटु, तरीन मछली केन्द्र और  कर्दो में स्थित ऊँचा शिवलिंग जीरो के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यहां आप ट्रैकिंग के साथ ही परम्परागत जनजातीय व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। यहां की अपा टनी जनजाति कई पर्व धूमधाम से मनाती है।

न्यूज हवेली नेटवर्क

मुद्रतल से 1,688 मीटर की ऊंचाई पर दूर-दूर तक फैले धान के खेत और चीड़ के जंगल। इन्हीं के बीच बने जानजातीय शैली के खूबसूरत घर। यह जीरो (Ziro) यानी जाइरो (Jairo) है, अरुणाचल प्रदेश का एक छोटा-सा हिल स्टेशन। जीरो लोअर सुबनसिरी जिले का जिला मुख्यालय और अरुणाचल प्रदेश के सबसे पुराने शहरों में से एक है। इसमें मूल जीरो गांव और नया जीरो शहर (हापोली) शामिल है। इन दोनों जगहों के बीच की दूरी पांच  किलोमीटर है। दुकानें, बाजार, सरकारी हस्तशिल्प केंद्र और बैंक नए जीरो शहर में हैं।

इस पूरे क्षेत्र में आपको या तो खेत मिलेंगे अथवा घने जंगल। जैव विविधता की दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध इस भू-भाग में छोटी-छोटी बस्तियों में रहते हैं अपा टनी आदिवासी। ये पूर्वोत्तर की कई अन्य जनजातियों की तरह खानाबदोश जीवन नहीं जीते बल्कि घर बनाकर स्थायी तौर पर रहते हैं। अपा टनी जनजाति के लोग प्रकृति की भगवान के रूप में पूजा करते हैं। खेती के अलावा हस्तशिल्प और हैन्डलूम उत्पाद इनकी जीविका का मुख्य साधन हैं।

जीरो के आसपास के पर्यटक स्थल और पर्व (Tourist places and festivals around Ziro)

टैली घाटी वन्यजीव अभयारण्य, आर्किड अनुसंधान केंद्र, जाइरो पुटु, तरीन मछली केन्द्र और  कर्दो में स्थित ऊँचा शिवलिंग यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यहां आप ट्रैकिंग के साथ ही परम्परागत जनजातीय व्यंजनों का स्वाद भी ले सकते हैं। अपा टनी जनजाति कई पर्व धूमधाम से मनाती है। इनमें जनवरी में मनाया जाने वाला मुरुंग, मार्च में मनाया जाने वाला म्योको और जुलाई में मनाया जाने वाला द्री त्यौहार प्रमुख हैं।

जीरो
जीरो

जीरो का मौसम (Ziro weather)

जीरो में मौसम में बदलाव होता रहता है। सर्दियों को छोड़कर बाकी दिनों में यहां काफी आर्द्रता रहती है।बरसाती मौसम की विदायी के साथ ही अक्टूबर और नवम्बर में यहां हल्की सर्दी पड़ती है और इसके बाद मार्च तक तेज सर्दी का दौर होता है। यूं तो यहां कभी भी घूमने जा सकते हैं पर अक्टूबर और नवम्बर में जाना सबसे अच्छा रहेगा।

ऐसे पहुंचें जीरो (How to reach Ziro)

वायु मार्ग : निकटतम हवाईअड्डा असम के नॉर्थ लखीमपुर जिले में स्थित लीलाबाड़ी एयरपोर्ट जाइरो से करीब 122 किलोमीटर दूर है। असम का ही तेजपुर एयरपोर्ट यहां से करीब 280 किलोमीटर पड़ता है। हालांकि यहां के लिए कोई सीधी उड़ान नहीं है। गिनीचुनी उड़ान वाया गुवाहाटी यहां आती हैं। ऐसे में बेहतर यही रहेगा कि आप गुवाहाटी की फ्लाइट पकड़ें और वहां से किसी अन्य साधन से जाइरो पहुंचें।

रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन नाहरलगुन यहां से करीब 100 किमी जबकि नॉर्थ लखीमपुर 117 किमी दूर है। गुवाहाटी से यहां के लिए नियमित रूप से इन्टरसिटी ट्रेन चलती हैं। दिल्ली से नाहरलगुपन के लिए एक साप्ताहिक ट्रेन भी है।

सड़क मार्ग : अरुणाचल प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम सप्ताह में चार दिन गुवाहाटी से जाइरो के बीच रात्रिकालीन बस सेवा का संचालन करता है। नॉर्थ लखीमपुर और ईटानगर (110 किमी) से टैक्सी लेकर भी यहां पहुंचा जा सकता है।

 

115 thought on “जीरो : यहां प्रकृति ही भगवान”
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