Sat. Apr 12th, 2025
window of a house made of traditional architecture of almora.window of a house made of traditional architecture of almora.

इन खिड़कियों पर बैठकर दूर तक दिखाई देता है और लगता है दूर से मेरा बेटा या पति आ रहा है। कुछ देर के लिए मैंने भी एक मां के साथ ऐसी ही एक खिड़की पर बैठकर किसी अपने का इंतजार करने क्षणों को महसूस किया और इन पलों में मुझे मेरा मन, आंखें और गला कुछ तरल-सा अनुभव हुए।

संजीव जिन्दल

दोस्तों, अल्मोड़ा के घरों की ये खिड़कियां कोई साधारण खिड़कियां नहीं है, इन्हीं खिड़कियों पर बैठकर एक मां सीमा पर तैनात अपने बेटे का छुट्टियों पर आने का इंतजार करती है। इन्हीं खिड़कियों पर बैठकर एक पत्नी अपने पति के आने की प्रतीक्षा करती है जो देश में सक्रिय अलगाववादियों से लोहा ले रहा है।

अल्मोड़ा के हजारों नौजवान फौज और अर्ध सैन्य बलों में शामिल होकर देश की रक्षा कर रहे हैं। इन खिड़कियों पर बैठकर दूर तक दिखाई देता है और लगता है दूर से मेरा बेटा या पति आ रहा है। कुछ देर के लिए मैंने भी एक मां के साथ ऐसी ही एक खिड़की पर बैठकर किसी अपने का इंतजार करने क्षणों को महसूस किया और इन पलों में मुझे मेरा मन, आंखें और गला कुछ तरल-सा अनुभव हुए।

अल्मोड़ा यात्रा कोई साधारण यात्रा नहीं थी, अंदर तक झकझोरने वाली यात्रा थी, बहुत कुछ सिखाने वाली यात्रा थी।

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अल्मोड़ा की खिड़कियां।
अल्मोड़ा की खिड़कियां।

छोटी-छोटी खिड़की वालों के

दिल बहुत बड़े होते हैं ।

बड़े-बड़े दरवाजे वालों के

बाहर पहरेदार खड़े होते हैं।

उत्तराखंड के जिस गांव भसोड़ा में मैं ठहरा हुआ था, सच में वहां का एक-एक शख्स किसी देवता से कम नहीं है। सभी गांववासियों ने मुझे इतना प्यार और सम्मान दिया जिसकी मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था। भसोडा गांव की खासियत यह है कि यहां सभी घर बिल्कुल एक से हैं। एक परिवार के पास 8×10 फिट या 10×10 के 4 कमरे हैं। नीचे के दो कमरे पशुओं के लिए और ऊपर के दो कमरे खुद रहने के लिए। वही दो कमरे उनका बेडरूम, ड्राइंगरूम, लॉबी और किचन हैं। किसी भी घर में पंखा, फ्रिज यहां तक की अलमारी भी नहीं है। बस चार बर्तन और जरूरत का बहुत ही कम समान।

घर जरूर छोटा-सा है पर यहां के लोगों का दिल बहुत बड़ा है। यहां के लोगों का दिल दुनिया का कोई भी इंचटेप नहीं नाप सकता। कुछ भी न होते हुए भी चेहरे पर खिली असीम मुस्कान को कौन से थर्मामीटर से नाप कर कौन सी डिग्री में बताऊं मैं समझ नहीं पाया। मैं कई घरों में गया। आप जानकर हैरान हो जाओगे कि न तो मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी अनजान घर में जा रहा हूं और ना ही उन लोगों को ऐसा लगा कि यह कोई मेहमान है। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैं शहर में नौकरी करता हूं और कई दिनों बाद अपने घर वापस आया हूं।

सुरेन्द्र सिजवाली दी आपके दिए हुए प्यार से मैं इतना अभिभूत हूं कि लिखना बहुतकुछ चाह रहा हूं पर लिख ही नहीं पा रहा हूं। लव यू उत्तराखंड, लव यू देवता जैसे लोगों।

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