सूडान से निकल कर मेसोपोटामिया में पैर जमाने के बाद तरबूज वहां से इजिप्ट (मिस्र) और बाकी दुनिया में फैलने लगा। हालांकि भारत को इसके लिए हजारों साल इन्तजार करना पकड़ा। भारतीयों ने सातवीं सदी में पहली बार इसका स्वाद चखा। आज हालत यह है कि भारत के ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि तरबूज एक भारतीय फल है।
रेनू जे त्रिपाठी
आकार, तासीर और स्वाद में आलू, टमाटर, चाय, अनानास और काजू से बिल्कुल अलग होते हुए भी तरबूज (Watermelon) एक मामले में इनके समान है और वह है घुमक्कड़ी। ये सभी अपनी मूल भूमि से निकले और दुनियाभर में छा गये। आज हालत यह है कि ये सभी अपनी मूल भूमि से ज्यादा उस धरती पर फल-फूल रहे हैं जहां ये घुमक्कड़ी करते हुए पहुंचे और वहां के लोगों ने इन्हें मेहमान मानने के बजाय घर के सदस्य की तरह अपना लिया, जगह दी और इससे भी बढ़कर इनके फलने-फूलने के लिए हर जतन किए।
गर्म मौसम में नवजीवन देने वाला तरबूज (Watermelon) मेसोपोटामिया (इराक) से निकला जहां इसकी घरेलू फसल हुआ करती थी। म्यूनिख की लुडविग मैक्समिलियन यूनिवर्सिटी की वनस्पति विज्ञानी सुजन रेनर और उनकी टीम ने घरेलू तरबूजों की सिट्रुलस लैनेटस प्रजाति की जीनोम सीक्वेंसिंग की। सुजन रेनर ने बताया कि घरेलू तरबूजों का सम्बन्ध सूडान के जंगली तरबूजों से ज्यादा है क्योंकि इनका जीनोम बहुत हद तक मिलता है। प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक सूडान का तरबूज (Watermelon) मेसोपोटामिया के तरबूज का पूर्वज रहा होगा। ऐसा लगता है कि प्राचीन किसानों ने जंगली तरबूज का मीठा वैरिएंट उगाया होगा जो धीरे-धीरे पीढ़ी-दर-पीढ़ी और मीठा होता चला गया। (Watermelon: Chubby wanderer reached India from Sudan via Mesopotamia)

सूडान से निकल कर मेसोपोटामिया में पैर जमाने के बाद तरबूज (Watermelon) वहां से इजिप्ट (मिस्र) और बाकी दुनिया में फैलने लगा। हालांकि भारत को इसके लिए हजारों साल इन्तजार करना पकड़ा। भारतीयों ने सातवीं सदी में पहली बार इसका स्वाद चखा। आज हालत यह है कि भारत के ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि तरबूज एक भारतीय फल है। यहां तक कि कुछ लोग दावा करते हैं कि राजस्थान का जोधपुर इसकी पितृ भूमि है।
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भारत में उत्तर प्रदेश तरबूज (Watermelon) का सबसे बड़ा उत्पादक है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, देश के कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 21.91 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश मिलकर देश के 85 प्रतिशत तरबूज का उत्पादन करते हैं।
तरबूज की करीब बारह सौ किस्में पायी जाती हैं। दुनिया भर में हर साल 117,204,081 टन तरबूज का उत्पादन होता है और चीन इसका सबसे बड़ा उत्पादक है। आज दुनिया के सभी महाद्वीपों में इसका उत्पादन होता है। अमेरिका में यह सबसे अधिक खाया जाने वाला फल है।
तरबूज के लाभ और हानि
यह एक हाइड्रेटिंग (शरीर में से पानी की कमी दूर करने वाला), सूक्ष्म पोषक तत्वों और कई तरह के विटामिन से भरपूर एक ऐसा फल है जिसमें 92 प्रतिशत पानी और काफी कम कैलोरी होती है। इसके 150 ग्राम गूदे में करीब 0.6 ग्राम फाइबर के साथ 11.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट हो सकते हैं जिनमें से लगभग नौ ग्राम शुगर होती है। यह गर्मी में तुरन्त राहत देने के साथ ही लू से बचाव करता है। इसके बीज सलाद, नमकीन, पोहा, बिस्किट, केक और मिठाई में डाले जाते हैं। इतने सारे लाभों के बावजूद एक बार में ज्यादा तरबूज न खायें अन्यथा गैस, डायरिया, ओवर हाइड्रेशन, लिवर में सूजन और कार्डियोवस्यक्यूलर से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं।