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पूंछ जैसी दिखने वाली यह विशाल संरचना इस एक्सोप्लैनेट (हमारे सौरमंडल से बाहर स्थित ग्रह) के वायुमंडल से लीक होने वाली गैस से बनी है।

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वॉशिंगटनहमारा अंतरिक्ष अपने आप में अनेक रहस्य समेटे हुए है। वैज्ञानिक किसी एक रहस्य को सुलझा ही पाते हैं कि उससे भी रहस्यमय किसी ग्रह (Planet) अथवा धूमकेतु (Comet) की उपस्थिति उन्हें विस्मय में डाल देती है। एक बार फिर ऐसा ही हुआ है। अंतरिक्ष शोधकर्ताओं को एक ऐसे ग्रह के बारे में पता चला है जिसकी न केवल धूमकेतु की तरह ही पूंछ है बल्कि यह इतनी विशाल (5,63,000 किलोमीटर लंबी) है कि इसमें 40 पृथ्वियां समा सकती हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि पूंछ जैसी दिखने वाली यह विशाल संरचना इस एक्सोप्लैनेट (हमारे सौरमंडल से बाहर स्थित ग्रह) के वायुमंडल से लीक होने वाली गैस से बनी है। इसे तारकीय हवाओं के जरिए उड़ाया जा रहा है जिसे विंडशॉक (पवन शंकु) कहा जाता है।

वर्ष 2014 में खोजे गए इस गैसीय ग्रह को अंतरिक्ष शोधकर्ताओं ने WASP-69 b नाम दिया है। इसका अकार लगभग बृहस्पति के समान है लेकिन द्रव्यमान एक तिहाई से भी कम है। यह पृथ्वी से 160 प्रकाश-वर्ष दूर है। यह अपने तारे के बेहद करीब है। इसी कारण यह 3.9 दिनों में अपने तारे की परिक्रमा कर लेता है। शोधकर्ताओं के अनुसार WASP-69 b प्रति सेकंड 2 लाख टन गैस निकाल रहा है जिसमें ज्यादातर हीलियम और हाइड्रोजन है। माना जा रहा है कि अत्यंत गर्म होने के कारण ऐसा हो रहा है। शोध पत्रिका “लाइव साइंस” की रिपोर्ट के अनुसार यह गैस 7 अरब साल से निकल रही है। जिस दर से ग्रह से गैस निकल रही है उस दर से एक्सोप्लैनेट (Exoplanet) ने संभवतः अपने जीवनकाल के दौरान 7 पृथ्वी के बराबर द्रव्यमान खो दिया है।

वैज्ञानिकों ने पहले ही अनुमान लगाया था कि WASP-69 b के पास धूमकेतु जैसी पूंछ हो सकती है जो अंतरिक्ष में लीक हो रही गैस से बनी है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई थी। हालांकि, 9 जनवरी 2024 को “एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स” पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया है कि शोधकर्ताओं ने हवाई (अमेरिका) में स्थित वेधशाला के डेटा के जरिए इस ग्रह और उसके वातावरण के विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि वास्तव में इसकी पूंछ 5.6 लाख किलोमीटर तक फैली हुई है जो पृथ्वी की चौड़ाई से लगभग 44 गुना है।

एक्सपर्ट्स ने जो कहा

स्टडी के प्रमुख लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में एस्ट्रोफिजिक्स डॉक्टरेट छात्र डकोटा टायलर ने कहा, “पिछले अवलोकनों में संकेत मिला था कि WASP-69 b की एक छोटी पूंछ हो सकती है या शायद कोई पूछ ही न हो लेकिन हम निश्चित रूप से दिखाने में सफल रहे कि ग्रह की हीलियम पूंछ विशाल ग्रह के त्रिया से कम से कम सात गुना ज्यादा फैली है।” इस ग्रह की पूंछ तब बनती है जब तारकीय हवाएं लीक हो रही गैस को ग्रह से दूर धकेल देती हैं जिससे उसके पीछे एक निशान बन जाता है। तारकीय हवाएं हमारे सूर्य से निकलने वाली सौर हवाओं के समान हैं। अगर तारकीय हवाएं गायब हो जाएं तो पूंछ भी खत्म हो जाएगी।

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