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News Havel, नई दिल्ली। (Ruckus in JPC meeting)वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की शुक्रवार को हुई बैठक में जोरदार हंगामा हुआ जिसके बाद 10 विपक्षी सांसदों को केवल एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया। बैठक में इस कदर हंगामा हुआ कि मार्शल को बुलाना पड़ा। इस दौरान सांसदों की ओर से जमकर नारेबाजी की गई।

जिन विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित किया गया है, उनमें  इन टीएमसी के कल्याण बनर्जी, टीएमसी के ही नदीम उल हक, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के मोबीबुल्लाह, कांग्रेस के नासिर हुसैन, कांग्रेस के ही इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद, शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत तथा डीएमके के ए .राजा और अब्दुल्ला।

मुझे बोलने का मौका नहीं दिया : निशिकांत

हंगामे के बीच भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने कहा, “मैंने विपक्ष को कभी नहीं रोका। आज तक जब भी बैठक हुई, मुझे बोलने का मौका नहीं दिया गया। आज जिस तरह से बदतमीजी की गई, वह किसी भी तरह से स्वीकार नहीं है।”  इस मामले में तृणमूल पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि भाजपा सांसदों के जो मन में आ रहा है, वह बोल रहे हैं। बताया जा रहा है कि जेपीसी के सदस्य (विपक्षी सांसद) इस बात पर सवाल उठा रहे थे कि एड-हॉक मीटिंग क्यों बुलाई जा रही है। अब सभी 27 जनवरी की बैठक में आएंगे।  इस बीच भाजपा सांसद राधामोहन अग्रवाल ने कहा, “बहुत दुःखद रहा कि इंडिया (INDI) ठगबंधन के सभी सदस्यों ने कश्मीर के सामाजिक और धार्मिक प्रतिनिधियों को बोलने भी नहीं दिया और वेल में आ गए। मजबूरी में संयुक्त संसदीय समिति ने इन सदस्यों को निलंबित करके जम्मू-कश्मीर के सदस्यों को सुना।”

वक्फ बोर्ड की बैठक : भाजपा और टीएमसी सांसदों के बीच झड़प, कल्याण बनर्जी जख्मी

जेपीसी ने मांगी थी जानकारी

पिछले महीने वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) की समीक्षा कर रही संसदीय समिति ने कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश द्वारा वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर दिए गए जवाबों को असंतोषजनक बताया था। समिति के अध्यक्ष और भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा था कि इन राज्यों के प्रतिनिधियों को जवाब प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। जरूरत पड़ने पर उन्हें दोबारा बुलाया जाएगा। समिति ने राज्यों से वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण, उनकी प्रकृति (वक्फ बाय यूजर या वक्फ बाय डीड), इन संपत्तियों से उत्पन्न आय और उनकी प्रकृति में परिवर्तन की संभावना पर विस्तृत जानकारी मांगी थी।

विधेयक पर विवाद

पिछले साल 8 अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश होने के तुरंत बाद इस समिति का गठन किया गया था। विपक्षी दलों ने इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधनों को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कड़ी आलोचना की थी। वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि ये संशोधन वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाएंगे और उन्हें जवाबदेह बनाएंगे।

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