Thu. Feb 6th, 2025
pushkar singh dhami

MONAL

News Havel, देहरादून। (Uttarakhand UCC Bil) उत्तराखंड कैबिनेट ने सोमवार की सुबह हुई बैठक में समान नागरिक संहिता (UCC) नियमावली पर मुहर लगा दी। राज्य में अब जल्द ही समान नागरिक संहिता (uniform civil code) लागू हो जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) का कहना ही है जल्द ही इसे लागू कर दिया जाएगा।

यूसीसी की अधिसूचना की तारीख पर अभी तक आधिकारिक जानकारी नहीं आई है लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह 26 जनवरी को लागू हो सकता है। सरकारी विभाग मंगलवार को राज्यभर में यूसीसी पोर्टल की मॉक ड्रिल आयोजित करेंगे। यूसीसी पोर्टल को संभालने वाले सरकारी अधिकारियों के पिछले कुछ सप्ताह में प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

यूसीसी के जल्द ही लागू करेंगे : पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि 2022 में हमारी सरकार ने यूसीसी बिल लाकर जनता से किया वादा पूरा किया था। तब से हम इसकी सारी प्रक्रियाएं पूरी कर इसे जल्द से जल्द लागू करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है कि हमारा प्रदेश सबसे पहले यूसीसी लागू करेगा। सब तैयारियां पूरी हो गई हैं। जल्द हम इसे लागू करेंगे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने इसी महीने उत्तर प्रदेश के बरेली में भी कहा था कि राज्य में जनवरी 2025 से ही समान नागरिक संहिता (UCC) लागू हो जाएगी। इसकी लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। ऐसा होने पर उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला प्रदेश बन जाएगा।

उत्तराखंड में इसी माह लागू होगा समान नागरिक संहिता कानून : पुष्कर सिंह धामी

यूसीसी यानी uniform civil code कोड विवाह, तलाक, मेंटिनेंस, संपत्ति का अधिकार, गोद लेने और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों को कवर करता है। व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति, संप्रदाय का क्यों न हो, उन सबके लिए यूसीसी एक समान कानून है। वर्ष 2015 में यूसीसी लागू करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले याचिका दायर करने वाले अधिवर्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि इसका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है।

यूसीसी लागू होने पर होंगे ये बदलाव

  • सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
  • 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक और शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
  • पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
  • पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
  • विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
  • महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
  • हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
  • कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक और गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
  • पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
  • पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
  • संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
  • जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
  • नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
  • गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
  • किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
  • कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
  • लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
  • युगल पंजीकरण रसीद से ही किराओ पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
  • लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
  • लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
  • अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर 6 माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *