तुएनसांग शहर की स्थापना 1947 में की गयी थी और इसका नाम पास ही में स्थित ट्वेनसांग गांव के नाम पर रखा गया। नागालैण्ड का सबसे ऊंचा पहाड़ सारामाती इसके निकट ही है।
न्यूज हवेली नेटवर्क
आप यदि प्राकृतिक सौन्दर्य और आदिम संस्कृति को एक साथ अनुभव करना चाहते हैं तो तुएनसांग (Tuensang) एक बढ़िया गन्तव्य है। नागालैण्ड के पूर्वी छोर पर म्यांमार की सीमा के करीब स्थित इस शहर को ट्वेनसांग भी कहते हैं। राज्य का सबसे ऊंचा पहाड़ सारामाती इसके निकट ही है। इस शहर की स्थापना 1947 में की गयी थी और इसका नाम पास ही में स्थित ट्वेनसांग गांव के नाम पर रखा गया।
तुएनसांग (Tuensang) शहर इसी नाम के जिले का मुख्यालय और नागालैण्ड के सबसे तेजी से बढ़ते शहरों में से एक है। यह दीमापुर, कोहिमा और मोकोकचुंग के साथ राज्य के सबसे बड़े शहरों में से एक और शीर्ष पर्यटन स्थलों में शामिल है।
म्यांमार की सीमा के पास स्थित यहां के पहाड़ और जंगल आज भी अपने आदिम स्वरूप में जीवन्त हैं। यहां की चांग, संगतम, सुमी नागा आदि जनजातियों में शिक्षा का उजाला तो फैला है पर इन्होंने अपनी आदिम संस्कृति और विरासत को बड़े जतन से सम्भालकर रखा है। इन जनजातियों के रीत-रिवाज, वेशभूषा, संगीत-नृत्य और खान-पान प्रथमदृष्ट्या भले ही समान लगें पर इनमें काफी भिन्नता है। यहां के लोग तरह-तरह के हस्तशिल्प उत्पाद तैयार करते हैं जिनमें मुखौटे, बर्तन, आभूषण और खिलौने शामिल हैं। यहां के करघों पर रंग-बिरंगे वस्त्र बुने जाते हैं। सरकार से प्रोत्साहन मिलने के साथ ही यहां रेशमी वस्त्र भी तैयार किए जाने लगे हैं।
तुएनसांग के घूमने योग्य स्थान (Places to visit in Tuensang)
नोकलाक :
तुएनसांग (Tuensang) जिले के रिम पर स्थित यह गांव अपनी परम्पराओं और जनजातीय त्योहारों के कारण बहुत अधिक पर्यटन राजस्व प्राप्त करता है। यहां खियमनिउंगन जनजाति रहती है। ये लोग बेंत के काम समेत तरह-तरह की हस्तशिल्प कलाकृतियों बनाने में दक्ष हैं।
ल़ॉन्गट्रोक :
यह एक प्राचीन गांव है जो ऐतिहासिक महत्व के कुछ अवशेषों के लिए जाना जाता है। इनमें से पत्थर की छह संरचनाएं बहुत प्रसिद्ध हैं। इन्हें सोंगलियांगती और चुंगलियांगती सभ्यताओं के अवशेष माना जाता है।
त्सदीमग : लॉन्गट्रोक गांव में स्थित त्सदीमग एक ऑफ बीट डेस्टिनेशन है। यह अपने दो प्राचीन पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है जो दो दोस्तों के प्रतीक हैं। कहा जाता है के ये दोनों नियमित रूप से ल़ॉन्गट्रोक गांव का दौरा करते थे।
चांगसांगमोंगको : यह खूबसूरत स्थान तुएनसांग (Tuensang) शहर और हाकचुंग गांव के बीच पड़ता है। यहां रहने वाली चांग जनजाति के वजह से इसका नाम चांगसांग पड़ा जो बाद में चांगसांगमोंगको हो गया।
चिली : इसे हेड हन्टर गांव भी कहा जाता है क्योंकि पुराने समय में यहां के लोग अपने शत्रुओं को मारने के बाद उनके सिर को विजय चिन्ह के रूप में अपने घरों में सजाते थे। सन् 1978 में इस प्रथा पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी। यहां के कुछ घरों के बाहर आज भी मानव खोपड़ियों, जानवरों के सींग आदि कोकरीने से रखा देखा जा सकता है।
ऐसे पहुंचें तुएनसांग (How to reach Tuensang)
तुएनसांग (Tuensang) शहर नागालैण्ड की राजधानी कोहिमा से करीब 215, दीमापुर से 284 और मोकोकचुंग से लगभग 84 किलोमीटर पड़ता है। इन तीनों जगहों से यहां के लिए निजी और सरकारी बस, टैक्सी-कैब मिलती हैं। दुर्गम पर्वतीय स्थान होने के बावजूद नागालैण्ड रेल नेटवर्क से जुड़ा है। दीमापुर यहां का बड़ा और विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन है। दिल्ली, प्रयागराज, बीकानेर, गुवाहाटी आदि से यहां के लिए ट्रेन सेवा है। दिल्ली, कोलकाता, गुवाहाटी गोवा, नासिक, औरंगाबाद आदि से दीमापुर के लिए सीधी उड़ानें हैं। कोहिमा के पास सिएथू में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट निर्माणाधीन है।