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Trisrota Shaktipeeth: वन्यक्षेत्र में तीस्ता नदी के किनारे स्थित इस धाम यानी त्रिसोता शक्तिपीठ की शक्ति हैं भ्रामरी जबकि भगवान शिव को अम्बर और भैरवेश्वर कहते हैं। भ्रामरी को मधुमक्खियों की देवी के रूप में जाना जाता है।

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न्यूज हवेली नेटवर्क

श्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मण्डल के सालबाड़ी ग्राम के त्रिस्रोत नामक स्थान पर माता सती के बायें पैर का निपात हुआ था। वन्यक्षेत्र में तीस्ता नदी के किनारे स्थित इस धाम यानी त्रिसोता शक्तिपीठ (Trisrota Shaktipeeth) की शक्ति हैं भ्रामरी जबकि भगवान शिव को अम्बर और भैरवेश्वर कहते हैं। भ्रामरी को मधुमक्खियों की देवी के रूप में जाना जाता है। देवी महात्म्य में इनका उल्लेख मिलता है। देवी भागवत पुराण में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के जीवों पर इनकी महानता का वर्णन है।

त्रिस्रोता शक्तिपीठ को लेकर प्रचलित कथा (Popular story about Trisrota Shaktipeeth)

त्रिसोता शक्तिपीठ (Trisrota Shaktipeeth) को लेकर एक कहानी प्रचलित है। कहा जाता है कि अरुण नाम के एक असुर (अरुणासुर) की शक्ति इतनी बढ़ गयी थी कि मद में आकर उसने स्वर्ग पर चढ़ाई कर देवताओं से लड़ना शुरू कर दिया। पराजित देवताओं को परिवार समेत स्वर्ग छोड़ना पड़ा। अपमानित और हताश देवता माता शक्ति की शरण में पहुंचे। देवताओं के कष्ट का निवारण कर उन्हें स्वर्ग वापस दिलाने के लिए माता सती ने स्वयं को मधुमक्खियों के झुंड में बदल लिया और अरुणासुर को पराजित कर देवताओं की रक्षा की। उसी दिन से माता सती का एक नाम “मां भ्रामरी” पड़ गया।

देवी भ्रामरी का महात्म्य (Importance of Goddess Bhramari)

इस मन्दिर को भ्रामरी का एक महत्वपूर्ण हृदय चक्र माना जाता है जिसमें 12 पंखुड़ियां हैं। यह मनुष्य के किसी भी प्रकार की बीमारी से उबरने के लिए ढाल या एंटीबॉडी के रूप में कार्य करता है। यहां की जाने वाली कुंडलिनी साधना का मुख्य कारक चक्र है। शास्त्रों के मां भ्रामरी लोगों को विभिन्न प्रकारण के संक्रमणों (कीटाणुओं) के बाहरी हमले से बचाने के लिए चक्र में मौजूद हैं।

त्रिस्रोता शक्तिपीठ
त्रिस्रोता शक्तिपीठ

प्रमुख व्रत-पर्व

चैत्र मास में यहां कुम्भम उत्सव मनाया जाता है। आश्विन मास की नवरात्रि पर यहां कीमती पूजा और यज्ञ का आयोजन होता है।मकर संक्रान्ति, शरद पूर्णिम, दीपावली, सोमवती अमावस्या और रामनवमी पर भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और उत्सव जैसा माहौल रहता है।

यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। मन्दिर प्रातः 8 बजे से सायंकाल 6 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है।

ऐसे पहुंचें त्रिस्रोता शक्तिपीठ (How to reach Trisrota Shaktipeeth)

यहां किसी भी मौसम में जाया जा सकता है। मन्दिर प्रातः 8 बजे से सायंकाल 6 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। सिलीगुड़ी का बागडोगरा एयरपोर्ट जलपाइगुड़ी का निकटतम हवाईअड्डाहै जो सड़क मार्ग से करीब 44 किलोमीटर पड़ता है। असम के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरडोली एयरपोर्ट से त्रिसोता शक्तिपीठ (Trisrota Shaktipeeth) तक पहुंचने के लिए करीब 288 किमी का सफर करना पड़ता है। जलपाइगुड़ी रेलवे स्टेशन के लिए कोलकाता, पटना, दिल्ली, गुवाहाटी आदि से ट्रेन उपलब्ध हैं। जलपाइगुड़ी से सालबाड़ी के लिए स्थानीय परिवहन सेवाएं उपलब्ध हैं।

आसपास के प्रमुख स्थान

शिकारपुर चाय बागान, सिलीगुड़ी, न्यू जलपाईगुड़ी, मन्दारमणि, जलधापारा वन्यजीव अभयारण्य,

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